इन ह्यूमन-एनिमल रिलेशनशिप वाली फिल्मों में एक फ़िल्म ऐसी है, जिसके बारे में हम आज बात करेंगे विस्तार से. क्यूंकि इस फ़िल्म में मेन हीरो कुत्ता था. बाकी हीरो-हीरोइन साइड एक्टर्स थे. फ़िल्म में लव स्टोरी थी लेकिन लोगों को उससे ज्यादा कुत्ते और मालिक की स्टोरी पसंद आई थी.
एटीज़ यानी मल्टीस्टारर फिल्मों का दौर. एक पिक्चर में दो-तीन हीरो हों, तब ही जनता थिएटर जाती थी फ़िल्म देखने. ऐसे में 18 अक्टूबर 1985 को रिलीज़ हुई जैकी श्रॉफऔर पूनम ढिल्लों की फ़िल्म 'तेरी मेहरबानियां'. 83 में 'हीरो' से ज़बरदस्त हिट हुए जैकी श्रॉफ का करियर साल 1985 आने तक डिक्लाइन पर था. एक के बाद एक फ्लॉप आ रहीं थीं. उनके करियर के लिए ये एक बहुत महत्वपूर्ण फ़िल्म थी. अपनी ही निर्देशित कन्नड़ फ़िल्म 'तालिया भाग्य' को विजय रेड्डी ने 'तेरी मेहरबानियां' नाम से रीमेक किया था. हिंदी के अलावा 'तालिया भाग्य' को तमिल में 'नंदरी' के नाम से और ओड़िया में 'बाबू आई लव यू' के नाम से बनाया गया था. उस वक़्त तक जैकी का 'हीरो' से खिला स्टारडम मुरझाने लगा था. किसी को भी फ़िल्म से ख़ास उम्मीदें नहीं थीं. लेकिन मल्टीस्टारर के दौर में सोलो हीरो वाली 'तेरी मेहरबानियां' एक सरप्राइज़ हिट साबित हुई. फ़िल्म ऐसे सफ़ल हुई कि प्रोड्यूसर के सी बोकाड़िया ने जैकी को 7 फिल्मों के लिए एडवांस में साइन कर लिया.
ऐसे ही कुछ सुने-अनसुने-कमसुने किस्से हम आपको आगे बताएंगे. # जब मोती ने जैकी श्रॉफ को काट लिया फ़िल्म में जिस कुत्ते का प्रमुख रोल है उसका असल नाम ब्राउनी था. और फिल्म में मोती नाम था. फिल्म में तो राम और मोती के बीच का प्रेम कमाल था लेकिन असल ज़िंदगी में जग्गू दादा के साथ मोती इतना फ्रेंडली नहीं रहा. एक दफा तो मोती ने जैकी दादा को अपने तीखे दांतों से पीड़ा भी दे दी थी. किस्सा ये है कि उस वक़्त सेट पर जैकी और मोती यानी डॉग दोनों के लिए मस्त एसी बस खड़ी रहती थी. अब भले जैकी अपनी वैन से शूट करने के लिए कितने भी पहले पहुंच जाएं, शूटिंग तब ही शुरू होती थी जब ब्राउनी साब वैन से निकलकर आते थे. तो एक बार हुआ क्या, ब्राउनी कुर्सी पर बैठा आराम फ़रमा रहा था कि जग्गू दादा वहां पहुंच गए. वो कुर्सी सरकाकर जैसे ही बैठने को हुए ब्राउनी ने अपने दांत गड़ा दिए जग्गू दादा में. वो भी एक बार, नहीं दो बार. बेचारे जग्गू दादा की उस दिन ऐसी 'बम चिकी चिकी बम' हुई कि तब से अब तक वो कुत्तों से दो बिलांग दूर ही रहते हैं.

जैकी श्रॉफ और पूनम ढिल्लों के साथ फ़िल्म का लीड मोती.
# ब्राउनी द वंडर डॉग जग्गू दादा की बातें हो गई. अब बात 'तेरी मेहरबानियां' के हीरो की. यानी मोती की. इन मोती भाईसाब को हल्के में मत लीजिएगा. जैकी श्रॉफ से लेकर अमिताभ बच्चन तक, बड़े-बड़े स्टार्स के साथ सालों तक स्क्रीन शेयर की है जनाब ने. सिर्फ हिंदी नहीं तमिल, तेलुगु, कन्नड़, बंगाली, मलयालम के साथ-साथ कई थाई फ़िल्में भी करी हुई थीं मोती ने. इंडस्ट्री में ब्राउनी को सब वंडर डॉग बुलाते थे. क्यूंकि एक्टिंग से लेकर स्टंट तक सब ब्राउनी के बाएं पंजे का काम था.
ब्राउनी एक लैब्राडोर प्रजाति का कुत्ता था. ब्राउनी ने जब 'तेरी मेहरबानियां' की थी, उस वक़्त उसकी उम्र साढ़े चार साल थी. उम्र भले कम थी लेकिन फ़ीस ब्राउनी पूरी लेता था. एक फ़िल्म के लिए एक से दो लाख रुपये चार्ज करता था. ट्रेवल भी बाकायदा प्लेन में करता था. और रुकता भी सिर्फ़ एयरकंडिशन्ड रूम में था.
ब्राउनी को एन जेम्स नाम के व्यक्ति ने ट्रेन किया था. जेम्स बताते हैं उन्होंने ब्राउनी को तीन हज़ार रुपये में कोड़ीकनाल से खरीदा था. ब्राउनी ने सिर्फ 'तेरी मेहरबानियां' में नहीं बल्कि इसकी ओरिजनल फ़िल्म में भी काम किया था. जिसके चलते ब्राउनी काम में इतना माहिर हो गया था कि उसे कभी दूसरे टेक की ज़रूरत नहीं पड़ती थी. ब्राउनी इतना कमाल का एक्टर था कि 'तेरी मेहरबानियां' के प्रोड्यूसर के.सी बोकाड़िया तो कहते थे, ज़रूर ब्राउनी पिछले जन्म में कोई बड़ा एक्टर रहा होगा. कुछ यही कहना मनमोहन देसाई का था जिन्होंने ब्राउनी को 'मर्द' में कास्ट किया था. ब्राउनी ने अपने मालिक जेम्स के लिए खूब शोहरत और धन जमा किया. जेम्स ने भी ब्राउनी की सुविधा का हर ख्याल रखा. वो प्रोड्यूसर से साफ़ कह देते थे कि ब्राउनी तो एसी रूम में ही रुकेगा. जैकी श्रॉफ की 'जवाब हम देंगे' में एक बंदर नज़र आया था, वो भी जेम्स की ट्रेंड की हुई फीमेल बंदर थी. जिसका नाम था सावित्री.

सदाशिव अमरापूरकर. पूनम ढिल्लों. जैकी श्रॉफ.
# मॉडर्न कल्चर इम्पैक्ट 'तेरी मेहरबानियां' का म्यूजिक दिया था लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की जोड़ी ने. फ़िल्म के सारे गाने बंपर हिट हुए थे. इन सभी गीतों के बोलों को एस.एच बिहारी ने लिखा था. हालांकि 'तेरी मेहरबानिया' के रिलीज़ होने के कुछ वक़्त बाद ही बिहारी साब का इंतकाल हो गया था. सारे गानों में से शब्बीर कुमार का गाया 'तेरी महरबानियां' गाना खूब लोकप्रिय हुआ. फ़िल्म में ये गाना तब आता है, जब जैकी श्रॉफ का किरदार यानी राम मर जाता है. इस सीन में जब राम की लाश के पास मोती रोता है, तब उसके साथ फ़िल्म देख रहा हर दर्शक भी रोता है. इस अद्भुत गीत का एक कमाल रेफरेंस मॉडर्न कल्चर में भी है. याद कीजिए अनुराग कश्यप की कल्ट क्लासिक 'गैंग्स ऑफ़ वासेपुर 2' का वो सीन, जिसमें सुलतान के लोग दानिश को मार देते हैं. घर पर उसकी मैय्यत सजी होती है और बाहर बैंडमास्टर गाना गाता है 'तेड़ी महड़बानिया, तेड़ी कदड़दानिया'. 'तेरी मेहरबानियां' समेत बहुत से पुराने गाने कश्यप की फ़िल्म में सुनने को मिले थे. # क्या 'नूरी' फ़िल्म की कॉपी थी 'तेरी मेहरबानियां'? 1979 में यश चोपड़ा की फ़िल्म आई थी 'नूरी'. मनमोहन कृष्णा फ़िल्म के डायरेक्टर थे. 'नूरी' में मरहूम फ़ारूख़ शेख और पूनम ढिल्लों लीड रोल में थे. जब 'तेरी मेहरबानियां' रिलीज़ हुई तब कहा गया था कि 'तेरी मेहरबानियां' की कहानी 'नूरी' से बहुत मिलती है. क्यूंकि जैसे 'नूरी' में हीरोइन आत्महत्या कर लेती है, सेम वैसे ही 'तेरी मेहरबानियां' में भी आत्महत्या करती है. जैसे 'नूरी' में हीरो की विलन हत्या कर देता है, सेम 'तेरी मेहरबानियां' का भी हीरो मारा जाता है. फ़िल्म के प्लॉट में इतनी समानता के बाद ये कहा जाता रहा कि 'तेरी मेहरबानियां' 'नूरी' की कॉपी है. लेकिन 'तेरी मेहरबानियां' के प्रोड्यूसर के सी बोकाड़िया इस बात से हमेशा से इनकार करते आए हैं.