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सड़क पर सिगरेट बेचने वाला लड़का हिंदी फिल्म का स्टार जैकी श्रॉफ कैसे बन गया?

देव आनंद ने जब जैकी को पहली बार देखा, तब वो गंदी शर्ट और फटी हुई जींस पहने सड़क पर चारमिनार सिगरेट बेच रहे थे.

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पहली दो तस्वीरों में नौजवान जैकी श्रॉफ. आखिरी तस्वीर जैकी के हालिया दिनों की है.
सुभाष घई को राज कपूर के बाद 'शोमैन' कहा गया. इनकी शुरुआती 15 में से 12 फिल्में सुपरहिट रही थीं. एज अ डायरेक्टर. 1976 में शुरू हुआ ये सक्सेसफुल करियर यूं ही चलता रहता अगर बीच में 'कर्ज़' (1980) और 'क्रोधी' (1981) जैसी फिल्में नहीं आतीं. 'कर्ज़' घई का ड्रीम प्रोजेक्ट था. लेकिन फिल्म पिट गई. सुभाष घई सतर्क हो गए. वो पहले से दिलीप कुमार और संजय दत्त के साथ 'विधाता' बना रहे थे. साथ ही साथ एक और स्क्रिप्ट पर काम कर रहे थे. फिल्म का नाम था 'संगीत'. इसे वो पहले संजय दत्त के साथ बनाना चाहते थे. लेकिन संजय का ड्रग्स एडिक्शन वाला दौर चल रहा था. इसके बाद उन्होंने सुपरस्टार कमल हासन को कास्ट करने का सोचा. क्योंकि अगर साउथ वाले स्टारडम को छोड़ भी दें, तो नॉर्थ इंडिया में कमल के खाते में 'एक दूजे के लिए' (1981) जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्म थी. ब्लॉकबस्टर देने के बाद कोई खाली तो नहीं ही रहता है. कमल व्यस्त थे. उनके घई की फिल्म में काम करने के आसार कम ही नज़र आ रहे थे.


सुभाष घई ने तय किया कि अब वो इस फिल्म को ड्रॉप करके कोई दूसरा प्रोजेक्ट शुरू करेंगे. नए चेहरों के साथ छोटे बजट की फिल्म. कहा जाता है, घई ने उसी फिल्म का टाइटल बदलकर 'संगीत' से 'हीरो' कर दिया. अपना प्रोडक्शन हाउस 'मुक्ता आर्ट्स' शुरू किया. और नए चेहरों को कास्ट करके एक सुपरहिट फिल्म बनाई. 'हीरो' 16 दिसंबर, 1983 को रिलीज़ हुई और 75 हफ्तों तक थिएटर में चली. इस फिल्म से सड़क पर सिगरेट बेचने वाला एक लड़का स्टार बना और फिल्में छोड़ने का मन बना चुकी लड़की फिल्ममेकर्स की पहली पसंद. नाम जैकी श्रॉफ और मीनाक्षी शेषाद्री. # सड़क पर सिगरेट बेचते देख जैकी को मिली पहली फिल्म सबसे पहले आपका ये कंफ्यूज़न दूर किया जाए कि 'हीरो' जैकी श्रॉफ के करियर की पहली नहीं फिल्म थी. वो 1982 में आई फिल्म 'स्वामी दादा' में देव आनंद के साथ काम कर चुके थे. वो फिल्म में 10 मिनट के लिए एक हिटमैन के रोल में दिखाई दिए थे. देव आनंद ने द टेलीग्राफ को दिए अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि वो जैकी श्रॉफ को मिले कैसे थे. देव साहब ने बताया कि वो एक बार सड़क से अपनी कार में गुज़र रहे थे. उन्होंने देखा कि सड़क पर एक लड़का गंदी शर्ट और फटी हुई सी जींस पहने चारमिनार सिगरेट बेच रहा था. उन्होंने उस लड़के की आंख में पता नहीं ऐसा क्या बात देख ली कि उसे अपनी फिल्म में लेना चाहते थे. और किस्मत ऐसी कि देव साहब जैसे ही अपने ऑफिस पहुंचे, उन्हें वो लड़का वहां मिल गया. उन्होंने तत्काल प्रभाव से जैकी श्रॉफ को अपनी फिल्म 'स्वामी दादा' में कास्ट कर लिया. फिल्म आई और गई किसी को कानों-कान कोई खबर नहीं लगी. क्योंकि देव आनंद फिल्म प्रमोशन जैसी किसी स्ट्रैटेजी में विश्वास नहीं रखते थे. इस फिल्म के साथ-साथ जैकी मॉडलिंग भी कर रहे थे.
जैकी श्रॉफ और मीनाक्षी शेषाद्री के साथ जैकी के मेंटॉर देव आनंद.
जैकी श्रॉफ और मीनाक्षी शेषाद्री के साथ जैकी के मेंटॉर देव आनंद.


जब सुभाष घई ने 'संगीत' का आइडिया ड्रॉप किया, तब वो 'हीरो' के लिए हीरो ढूंढ़ रहे थे. उन्हें जैकी के बारे में पता चला. उन्होंने इस लड़के को रफ-टफ रहते देखा था. बढ़ी हुई मूछ-दाढ़ी, अजीबोगरीब तरीके के कपड़े पहने हुए. लेकिन जब वो उनसे मिलने आया तो प्रिम एंड ट्रिम होकर. दाढ़ी-मूछ नहीं थी. सिंपल शर्ट-पैंट पहकर आया था. जैकी-सुभाष घई की बातचीत हुई. दाढ़ी-मूछ बढ़ाने को कहा गया. साथ ही इस लड़को को एक्टिंग भी नहीं आती थी. घई ने छौने नॉन-एक्टर पर खूब मेहनत की. कैमरा चलाकर बातचीत की. ऑडिशन के दौर हुए और जैकी फिल्म में कास्ट कर लिए गए. मगर उन्हें एक्टिंग अब भी नहीं आती थी. देव आनंद के फैन होने के साथ-साथ जैकी उनकी ही फिल्म में काम करके आए थे, इसलिए देव साहब का प्रभाव उन पर ज़्यादा था. वो चीज़ एक्टिंग में भी झलक रही थी. जैकी लाइनें सही से न बोल पाने के चक्कर में फ्रस्टेट हो गए थे. घई उन्हें साइड पर लेकर गए. समझाया कि इनसिक्योर होने की ज़रूरत नहीं है. उनकी फिल्म के हीरो वही हैं. वो उन्हें किसी और से रिप्लेस नहीं करेंगे. घई ने जैकी के सामने एक डिमांड रखी. उन्होंने कहा कि अगर तुम्हें कॉपी ही करना है, तो देव साहब से ज़्यादा ये कैरेक्टर शत्रुघ्न सिन्हा वाले ज़ोन में है. उन्हें लेकर आओ. जैकी ने पहले तो वो किया लेकिन फिर बीतते समय के साथ उन्हें उनका सुर मिल गया. 'हीरो' की रिलीज़ के अगले दो सालों में जैकी 17 फिल्मों में काम कर रहे थे.
फिल्म हीरो के एक सीन में जैकी श्रॉफ. उन्हें इस रोल में कास्ट करने के बाद सुभाष घई ने उन पर बहुत मेहनत की थी.
फिल्म हीरो के एक सीन में जैकी श्रॉफ. उन्हें इस रोल में कास्ट करने के बाद सुभाष घई ने उन पर बहुत मेहनत की थी.

# मीनाक्षी ने 104 डिग्री बुखार में ठंडे झरने के नीचे की शूटिंग 1981 में मीनाक्षी जब मिस इंडिया बनीं, तब उनकी उम्र सिर्फ 17 साल थी. इसके बाद से उन्हें फिल्मों के ऑफर आने लगे. उन्होंने मनोज कुमार के प्रोडक्शन में उनके भाई राजीव गोस्वामी के अपोज़िट अपना करियर शुरू किया. फिल्म थी 'पेंटर बाबू', जो बुरी तरह से पिट गई. मीनाक्षी का फिल्मों से मन हट गया. वो एक्टिंग छोड़ देना चाहती थीं. लेकिन तभी उन्हें सुभाष घई ने कंविंस करके अपनी फिल्म में कास्ट किया. घई मीनाक्षी को अपनी फिल्म में इसलिए चाहते थे क्योंकि वो नया चेहरा थीं. और ट्रेंड डांसर भी. जो कि 'हीरो' की हीरोइन के लिए काफी ज़रूरी था. 'हीरो' ब्लॉकबस्टर रही और मीनाक्षी ने अपना करियर एक फिल्म की बजाय 15 साल तक खींच लिया. जब करियर में पीक पर थीं, तब शादी करके फिल्मों से दूर हो गईं.
हमने ऐसे सारे किस्से बहुत सुने है कि कोई सेट पर नाचते-नाचते बेहोश हो गया, तो किसी के घुटने छिल गए. ऐसी खबरों पर यकीन करना मुश्किल रहता है. आप जब तक खुद किसी भरोसेमंद शख्स के मुंह से वो बात सुन नहीं लेते. लेकिन हमने ये वाला किस्सा उस आदमी के मुंह से सुना, जिसे इंडस्ट्री में उसकी साफगोई और ईमानदारी के लिए जाना जाता है. जैकी श्रॉफ. जैकी ने एक इंटरव्यू में बताया कि 'हीरो' में एक गाना था 'निंदिया से जागी बहार'. इस गाने की शूटिंग के समय मीनाक्षी को 104 डिग्री बुखार था. और इस सीन की शूटिंग सुबह 5 बजे होनी थी. वो भी एक झरने के नीचे. तमाम दिक्कतों के बावजूद मीनाक्षी सेट पर पहुंचीं और वो सीन शूट किया. इसके बाद से जैकी मीनाक्षी के प्रोफेशनलिज़्म के कायल हो गए. मीनाक्षी ही वो हीरोइन थीं, जिनके बाद सुभाष घई ने सिर्फ उन्हीं लड़कियों को अपनी फिल्म में कास्ट करना शुरू किया, जिनका नाम 'म' अक्षर से था. माधुरी दीक्षित, मनीषा कोईराला, और महिमा चौधरी. उन्होंने अपना ये अंधविश्वास तोड़ा 'ताल' में ऐश्वर्या राय को कास्ट करके.
'निंदिया से जागी बहार' गाने की शूटिंग के दौरान मीनाक्षी.
'निंदिया से जागी बहार' गाने की शूटिंग के दौरान मीनाक्षी.

# जब फिल्म का हीरो एक बांसुरी बन गई सुभाष घई जब ये पिक्चर लिख रहे थे, तब उन्होंने इसकी कहानी में ही बांसुरी को बिलकुल फिल्म के साथ रखा था. वो इंस्ट्रूमेंट उनके हीरो का एस्केप रूट था. फिल्म के म्यूज़िक के लिए घई, लक्ष्मकांत-प्यारेलालजी की जोड़ी के पास पहुंचे. म्यूज़िकल जोड़ी ने कहा कि इस फिल्म का म्यूज़िक टाइमलेस होना चाहिए. घई को कॉन्फिडेंस आ गया. बात ही बात में बांसुरी वाली बात भी छिड़ गई. अभी बातचीत चल ही रही थी कि प्यारेलालजी पियानो पर बैठे एक धुन बजाने लगे. सबको ये धुन अटक गईं. फाइनल हुआ कि बांसुरी वादक हरिप्रसाद चौरसिया के साथ इसे रिकॉर्ड किया जाएगा. ये वही धुन थी, जो पूरी फिल्म में इस्तेमाल की गई. 2014 में जब जैकी बेटे टाइगर ने 'हीरोपंती' से अपना एक्टिंग डेब्यू किया, ये बांसुरी वाली धुन उस फिल्म में भी इस्तेमाल की गई.
इस धुन से एक बड़ा मज़ेदार वाकया जुड़ा हुआ है. 2012 में टाइम्स को दिए इंटरव्यू में जैकी श्रॉफ ने इस बारे में बताया था. उन्होंने बताया कि दो लड़के हैं. वो हर संडे उनके घर आते हैं और 'हीरो' की धुन बांसुरी पर बजाते हैं. फर्क नहीं पड़ता जैकी घर पर हैं या नहीं. उन्होंने पिछले 15 सालों से इसे अपना रूटीन बनाया हुआ है. न उन्होंने कभी कुछ मांगा न दिया. वो कौन हैं, वहां क्यों आते हैं? ये सारे सवाल उन लड़कों से न कभी जैकी ने किया, न उन्होंने बताया. वो बस बांसुरी बजाने आते हैं और बजाकर चुपचाप चले जाते हैं. हालांकि जैकी को ये किस्सा बताए अब 8 साल हो चुके हैं. ये चीज़ अब भी चल रही है या बंद हो गई, कहीं मिलें, तो उनसे पूछिएगा.
फिल्म हीरो के एक सीन में बांसुरी बजाते जैकी श्रॉफ. मगर असल में ये धुन फ्लूटिस्ट हरिप्रसाद चौरसिया की बजाई हुई है.
फिल्म हीरो के एक सीन में बांसुरी बजाते जैकी श्रॉफ. मगर असल में ये धुन फ्लूटिस्ट हरिप्रसाद चौरसिया की बजाई हुई है.

# जब पाकिस्तान की दिग्गज सिंगर रेशमा इंडिया आईं और प्यारेलाल जी नाराज़ हो गए रेशमा नाम की पाकिस्तानी सिंगर थीं. इंडिया के राजस्थान में पैदा हुई थीं. पार्टिशन के टाइम उनकी फैमिली पाकिस्तान के लाहौर में सेटल हो गई. इंडिया आती-जाती रहती थीं. 1973 में फिल्म 'बॉबी' में राज कपूर ने उनका गाना 'अंखिया नू रहन दे' लिया था. लेकिन उसे लता मंगेशकर की आवाज़ में रिकॉर्ड किया गया था. ज़ाहिर तौर पर सुभाष घई ने वो गाना सुन रखा था. बताया जाता है कि रेशमा राज कपूर की पार्टी में परफॉर्म कर रही थीं. यहां सुभाष घई ने उन्हें 'लंबी जुदाई' गाते सुना. सुनते ही वो इस गाने के साथ प्रेम में पड़ गए. जब वो फिल्म 'हीरो' बना रहे थे, तब उन्होंने रेशमा को अपनी फिल्म के लिए 'लंबी जुदाई' गाने के लिए बुलाया था. जब रिकॉर्डिंग शुरू हुई, तो रेशमा की एक डिमांड थी. उनका कहना था कि इस गाने की रिकॉर्डिंग में वो अपना ऑर्केस्ट्रा न इस्तेमाल करें. गाने में कम से कम म्यूज़िक रखें. जब गाने की बारी आई, तो रेशमा रिकॉर्डिंग रूम एक मटका लेकर ज़मीन पर बैठ गईं. उन्होंने मटका बजाते हुए 'लंबी जुदाई' गाना शुरू किया.
रेशमा को पाकिस्तान से खास तौर पर 'हीरो' फिल्म में गाने के लिए बुलाया गया था.
रेशमा को पाकिस्तान से खास तौर पर 'हीरो' फिल्म में गाने के लिए बुलाया गया था.


सब सही चल रहा था. बस रेशमा 'हिज़्र की ऊंची दीवार बनाई' के बदले 'हिज़्र की ऊंची दीवार गिराई' गा दे रही थीं. लक्ष्मीकांत ने बीच में रोकते हुए टोका. लेकिन कई बार करेक्ट करने के बावजूद रेशमा फ्लो में 'बनाई' को 'गिराई' ही गा दे रही थीं. इस बात से नाराज़ होकर लक्ष्मीकांत जी कमरे से बाहर चले गए. प्यारेलाल जी लक्ष्मीकांत जी को मनाकर वापस कमरे में लाए. थोड़ी देर रेशमा से बातचीत की. उन्हें बताया कि क्या गाना है. इसके बाद रेशमा ने वो शब्द पकड़ लिया. मटके के ऊपर थाप के साथ वो गाना शुरू हुई. गाने के नोट के हिसाब सा मटके पर थाप भी फ्लक्चुएट कर रहा था. जैसे ही उस गाने का हाई नोट आया रेशमा की हाथ के थाप से वो मटका टूटकर रिकॉर्डिंग रूम में बिखर गया. वो इस कदर गाने में मशगूल थीं कि उन्हें रियलाइज़ ही नहीं हुआ. हालांकि फाइनली वो गाना रिकॉर्ड हो गया. रिलीज़ के बाद 'लंबी जुदाई' इंडिया में इंस्टेंट हिट हो गया. बाद में इमरान हाशमी की फिल्म 'जन्नत' में भी वो गाना इस्तेमाल किया गया लेकिन दूसरी सिंगर के साथ. फिल्म 'हीरो' वाला 'लंबी जुदाई' आप यहां सुन सकते हैं. खराब वीडियो क्वॉलिटी के लिए अडवांस में माफी-
# सुभाष घई GOT लेवल का ब्रांड प्लेसमेंट करते थे सुभाष घई अपनी फिल्मों में तब से ब्रांड प्लेसमेंट करते रहे हैं, जबसे इस प्रोसेस को ब्रांड प्लेसमेंट नाम भी नहीं दिया गया था. जैसे 'हीरो' में 'राजदूत 350' था. 1983 से लेकर 1989 तक इंडिया में ये गाड़ी एस्कॉर्ट्स ग्रुप बनाता था. फिल्म में एक रेसिंग कंपटीशन था, जहां बड़े आराम से इस बाइक का प्रमोशन हो गया. लोगों ने देश के हार्टथ्रॉब को गाड़ी चलाते हुए देखा और अपने लिए भी खरीद डाली. हलोगों ने देश के हार्टथ्रॉब को गाड़ी चलाते हुए देखा और अपने लिए भी खरीद डाली. हालांकि जैकी श्रॉफ 'हीरो' से स्टार बनने के बावजूद अपनी बाइक पर ही घूमते थे. वो काम पर भी बाइक से ही जाते थे. एक बार जैकी स्टार एंड स्टाइल मैग्ज़ीन के ऑफिस पहुंचे थे. यहां भी वो बाइक से ही आए. उन्हें देखकर लोग बातें बनाने लगे. लेकिन जैकी को अपने स्टारडम या स्टार स्टेटस का कोई इल्हाम नहीं था. चेन्नई में एक फिल्म की शूटिंग के दौरान सपरिवार अमिताभ बच्चन और जैकी श्रॉफ एक ही होटल में ठहरे हुए थे. बच्चन परिवार ने उस फाइव स्टार होटल का पूरा सेकंड फ्लोर बुक कराया हुआ था. जैकी सोच रहे थे कि अमिताभ बच्चन से मिल लिया जाए. इतनी ही देर में अभिषेक और श्वेता बच्चन उनके पास ऑटोग्राफ लेने आ गए. जैकी को लगा अमिताभ बच्चन के बच्चे उनके पास ऑटोग्राफ लेने आए हैं, इसका मतलब वो वाकई बड़े आदमी हो गए हैं.
फिल्म के एक सीक्वेंस में यामहा राजदूत 350 चलाते हुए जैकी श्रॉफ.
फिल्म के एक सीक्वेंस में यामहा राजदूत 350 चलाते हुए जैकी श्रॉफ.


खैर, हम ब्रांड प्लेसमेंट की बात रहे थे. सुभाष घई ने 'ताल' में कोका कोला के साथ बड़ी डील की थी. उनकी फिल्म में लड़का-लड़की यानी अक्षय खन्ना और ऐश्वर्या राय पहली बार गलती से ही सही लेकिन कोका कोला की बोटल पर ही मिलते हैं. ये चीज़ आप 'इश्क बिना' गाने में देख सकते हैं. इंडस्ट्री के लोगों ने कहा अब कुछ ज़्यादा ही हो रहा है. लेकिन जनता को ये बात उतनी नहीं खली. उसके बाद कोक 'हम साथ साथ हैं' के साथ बहुत बड़े लेवल पर जुड़ा. 2001 में ऋतिक रौशन-करीना कपूर स्टारर 'यादें' में 'पास पास' जैसे ब्रांड की प्लेसमेंट हुई. और अब तो एक फिल्म के अंदर न जाने कितने ब्रांड्स प्लेस कर दिए जाते हैं. उन पर किसी का ध्यान भी नहीं जाता. अब तो लोगों का ध्यान खींचने के लिए गेम ऑफ थ्रोन्स जैसी बड़ी सीरीज़ में भोंडे तरीके का ब्रांड प्लेसमेंट भी होता है.
फिल्म ताल के गाने इश्क बिना में कोका कोला की बोतल के साथ ऐश्वर्या राय और अक्षय खन्ना.
फिल्म ताल के गाने इश्क बिना में कोका कोला की बोतल के साथ ऐश्वर्या राय और अक्षय खन्ना.

# जब जैकी ने सलमान खान की 'हीरो' देखने से मना कर दिया जाते-जाते बोनस में एक छोटा सा किस्सा लेते जाइए. सलमान खान ने अपना प्रोडक्शन हाउस शुरू किया. SKF यानी सलमान खान फिल्म्स. इसके तहत उन्होंने सुभाष घई की 'हीरो' को रीमेक करने का प्लान बनाया. इस फिल्म से आदित्य पंचोली के बेटे सूरज और सुनील शेट्टी की बेटी अथिया को लॉन्च किया जाना था. फिल्म बनकर तैयार होने के बाद एक प्रीमियर किया गया. रिलीज़ से ठीक एक दिन पहले यानी 10 सितंबर, 2015 को. इस प्रीमियर पर इंडस्ट्री के तमाम लोग पहुंचे हुए थे. जैकी श्रॉफ भी आए थे. लेकिन जब उनसे फिल्म देखने के लिए अंदर थिएटर में जाने को कहा गया, तो उन्होंने मना कर दिया. उन्होंने सूरज पंचोली को कहा-
'' बच्चा मैं इधर तुम लोगों को आशीर्वाद देने आया हूं. मैं ये फिल्म थिएटर में अपने पैसे खर्च करके देखूंगा.''

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