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MIT ने कहा- बच्चो ऐप बनाओ, इंडियन चिल्लर पार्टी ने गदर काट दिया

2020 में लगभग हर महीने 'ऐप ऑफ द मंथ' अवॉर्ड भारतीय बच्चों के नाम रहा.

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अमेरिका का मशहूर MIT हर महीने बच्चों के लिए ऐप डिवेलपमेंट का कंपटीशन करता है. 2020 में लगभग हर महीने भारतीय बच्चे ही विनर रहे हैं. (सांकेतिक फोटो)
अमेरिका में एक इंजीनियरिंग का इंस्टिट्यूट है, MIT यानी मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी. इसे दुनिया का सबसे बेहतरीन इंजीनियरिंग इंस्टिट्यूट माना जाता है. हर महीने यह दुनियाभर के बच्चों के लिए ऐप बनाने का एक ऑनलाइन कंपटीशन कराता है. जीतने वाले को ज्यादा कुछ नहीं देता, बस अपनी वेबसाइट पर उसके ऐप का लिंक और उसके बारे में जानकारी देता है. इतने बड़े इंस्टिट्यूट की वेबसाइट पर नाम आना किसी तमगे से कम नहीं है. जब हमने MIT की इस वेबसाइट
पर विजिट किया तो देखा कि कि यहां पर भारत के बच्चों ने गदर मचा रखा है. कैसे, आइए जानते हैं.
2020 रहा भारतीय बच्चों के नाम
MIT की ऐप बिल्डिंग वेबसाइट पर हर महीने के हिसाब से जीतने वाले बच्चे का नाम, इंट्रोडक्शन और ऐप का लिंक दिया गया है. साल 2020 में तकरीबन हर महीने ही भारत के बच्चों ने महीने के बेस्ट ऐप का इनाम जीत रखा है. देखें-
#मार्च - इस महीने क्लास 9 में पढ़ने वाले 15 साल के अनीश अली शाह ने आवाज से चलने वाला AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) पर बेस्ड ऐप बनाया. इसे सीरी और एलेक्सा की तरह का कमांड देकर टिक टैक टो गेम खेला जा सकता है. इसी महीने 10 साल से कम बच्चों के ग्रुप में क्लास 4 के आयुश संकर्णन हैरी पॉटर पर एक ऐप बनाकर महीने के बेस्ट यंग ऐप डिवेलपर बने.
#मई - क्लास 6 में पढ़ने वाले ऋषभ कार्तिकेयन ने The Megapurpose App नाम का एक ऐप बनाया. इसके जरिए कोडिंग करने वालों को बहुत सहूलियत होती है.
#जून - 9 साल के क्लास 5 में पढ़ने वाले जशहित नारंग ने गिनतियों को जल्दी-जल्दी सीखने के लिए ऐप बना डाला. इसे महीने का बेस्ट ऐप चुना गया.
#सितंबर - 13 साल के ऋषभ जायसवाल ने धर्मेंद्र कुमार और पूनम जायसवाल के साथ मिलकर फिजिट स्पिनर का ऐप वर्जन तैयार कर दिया. इसमें स्पिनर की स्पीड को घटाने बढ़ाने का फीचर भी है.
#अक्टूबर - 11 साल की त्रिशा गुप्ता ने ट्रुथ ऑर डेयर गेम पर ऐप तैयार कर दिया. वह अभी क्लास 7 में पढ़ती हैं. 12 साल के आर्यन बर्देजा जो कि आठवीं में पढ़ते हैं, उन्होंने म्यूजिक से जुड़ा एक ऐप बनाया और महीने के ऐप इन्वेंटर चुने गए.
#नवंबर - यह महीना पूरी तरह से भारत के बच्चों के नाम रहा. यंग और टीन हर कैटेगिरी में भारतीय बच्चों के ऐप्स को ऐप ऑफ द मंथ चुना गया. 11 साल के अथर्व गुप्ता ने पेट्स पर ऐप बनाया था. 6 साल की याशिका ने रॉक पेपर सिजर नाम के गेम पर ऐप बनाया.
#दिसंबर - प्रणेत पाहवा 9 साल के हैं और 5वीं में पढ़ते हैं. उन्होंने हेल्थ केयर पर ऐप तैयार किया है. इससे डॉक्टर से लेकर दवाई तक खोजी जा सकती है. 11 साल की अनविता दिव्या ने अपने दोस्तों को मेसेज भेजने और नोट्स लेने के लिए ऐप बनाया, और प्रणेत के साथ महीने की ऐप डिवेलपर चुनी गईं.
अगर आपको इन बच्चों के इंटरेस्टिंग ऐप्स के बारे में ज्यादा जानकारी चाहिए तो यहां पर क्लिक
करके मिल सकती है.
आपको लगता है कि आप भी ऐप बना सकते हैं. तो यहां पर क्लिक
करके MIT पर ऐप डिवेलप करने के लिए रजिस्टर कर सकते हैं.
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अमेरिका का MIT बच्चों और युवाओं को लगातार साइंस से जुड़े इनोवेशन करने को प्रेरित करने वाले कंपटीशन कराता रहता है,

MIT का इतना भौकाल क्यों है?
बस इतना समझ लीजिए कि तकनीक की दुनिया में जो भी अडवांस दिख रहा है, उसमें MIT के लोगों की टांग जरूर अड़ी हुई है. यह एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी है. इसकी स्थापना 1861 में हुई. तब से आज तक इससे 1 लाख 20 हजार स्टूडेंट्स पढ़कर निकल चुके हैं. इनमें से 39 को नोबेल पुरस्कार मिल चुका है. याद रहे कि आजादी के बाद सिर्फ 5 भारतीय नागरिकों ने नोबेल पुरस्कार ही जीते हैं, जिनमें साइंस में कोई नहीं है. आजाद भारत के नोबेल पुरस्कार विजेता भारतीय नागरिकों में शामिल हैं मदर टेरेसा (1979), दलाई लामा (1989), अमर्त्य सेन (1998), राजेंद्र पचौरी (2004), कैलाश सत्यार्थी (2014).
आखिर में एक निवेदन- अगर आपके घर में कोई बच्चा है और वह ऐप बनाने में रुचि नहीं रखता तो उसे जबरदस्ती ऐप बनाने के काम में न जुटाएं. हो सकता है, वह इससे बड़े किसी दूसरे काम की तैयारी कर रहा हो.

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