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फिल्म रिव्यू: भावेश जोशी सुपरहीरो

अपने अंदर की सुपरपावर फील करवाने वाली फिल्म.

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'भावेश जोशी सुपरहीरो' को डायरेक्ट करने वाले विक्रमादित्य मोटवानी ने इससे पहले राजकुमार राव के साथ 'ट्रैप्ड' डायरेक्ट की थी.
'भावेश जोशी सुपरहीरो' कहानी है तीन दोस्तों की. मुंबई में रहने वाले तीन दोस्तों की - भावेश, सिकंदर और रजत. तीनों ही लड़के रोज़मर्रा की ज़िंदगी में आने वाली दिक्कतों से बहुत परेशान हैं. मिलकर तय करते हैं कि 'दुनिया बदल देंगें'. ईमानदारी और सच्चाई से. काम शुरू होता है एक सुपरहीरो गढ़ने से. कागज़ के मास्क पहनकर ये लड़के बन जाते हैं 'इंसाफ मैन'. ये नाम भले ही हॉलीवुड के सुपरहीरोज़ की तर्ज़ पर रखा गया है लेकिन अपना सुपरहीरो (जो अभी तैयार होना बाकी है) उन सबसे अलग है. खालिस इंडियन. 'भावेश जोशी' भारतीय सिनेमा इतिहास का पहला ऐसा सुपरहीरो है, जिसके पास कोई सुपरपावर नहीं है. अच्छा, इंसाफ मैन के बाद भटक गए थे, तो ये लड़के गलत काम - जैसे पेड़ काटना, रोड पर सूसू करना- करने वालों को पकड़ते हैं और कैमरे पर आइंदा ऐसा नहीं करने की कसम खिलवाते हैं. धीरे-धीरे इनके इस काम का लेवल अप होता है और इनके लाइफ करवट लेती है.
आशिश इससे पहले फिल्म 'गुड़गांव' और प्रियांशु 'बैंग बाजा बारात' नाम की वेब सीरीज़ में नज़र आ चुके हैं
आशीष इससे पहले फिल्म 'गुड़गांव' और प्रियांशु 'बैंग बाजा बारात' नाम की वेब सीरीज़ में नज़र आ चुके हैं

पानी को लेकर हो रही धांधली जैसा जरूरी मुद्दा फिल्म में उठाया गया है. भावेश जोशी के कैरेक्टर को इस धांधली के बारे में पता चलता है. और वो इसे एक्सपोज़ करने में लग जाता है. अपने वीडियो में वो कहता है:
आज हमारा पानी चुरा रहे हैं, कल ऑक्सीजन छीन लेंगे. फिर हमारे हिस्से की धूप खा जाएंगे.
ये चीज़ें हिटिंग वाले मोड में रखी गई हैं. आप इससे प्रेरित भी होते हैं आपको इस स्थिति पर गुस्सा भी आता है. इस खुलासे के चक्कर में एक बड़ी घटना हो जाती है और इन लड़कों की ज़िंदगी हमेशा के लिए बदल जाती है. एक स्पॉयलर ये है कि फिल्म का नाम उसके मुख्य किरदार के नाम पर नहीं है. फिल्म में आमिर खान के देश छोड़कर जाने वाले बयान को भी दिखाया गया है. भावेश का किरदार ठीक वही कहता है, जो आमिर खान ने कहा था लेकिन उसमें 'रंग दे बसंती' वाला डायलॉग मिक्स कर देता है. वो कहता है-
हमारा देश टूट-फूटा सा तो है, इसे छोड़कर अमेरिका ही चले जाना चाहिए. लेकिन मैं इसे ऐसे नुचता छोड़कर नहीं जा सकता. मैं लड़ूंगा.
हालांकि फिल्म में अमेरिका जाने वाली बात कहानी का हिस्सा है. इसके बाद उसे देशद्रोही और पाकिस्तान का एजेंट घोषित कर दिया जाता है. उसे पीटा जाता है, पुतले फूंके जाते हैं. लोगों को लगता है किस्सा खत्म हो गया. लेकिन उन्होंने फिल्म का ट्रेलर नहीं देखा होता है, इसलिए उन्हें पता नहीं होता कि असल किस्सा तो अब शुरू हुआ है! अब सिकंदर थोड़ी सी मेहनत करता है. ट्रेनिंग वगैरह लेता है, लाइट वाली मास्क तैयार करता है और बाइक में नाइट्रो बूस्टर लगा लेता है. यहां एक चीज ऐसी है जो पचती नहीं है. एक लड़का है शायद इंजीनियर. लेकिन सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर दोनों का काम कर लेता है. वो एयरपोर्ट की साइट भी हैक कर लेता है और अपनी बाइक भी मॉडिफाई कर लेता है. खैर, आगे बढ़ते हैं. भावेश ने जो काम शुरू किया था अब वही काम सिकंदर भी करने लगता है. वो जैसे ही कुछ बड़ा करता है, विलेन ग्रुप के लोग मिलकर उसे किसी दूसरे केस में फंसाकर पब्लिक की नज़र में बुरा बना देते हैं, ताकि उसे पब्लिक का सपोर्ट न मिले और वो जनता मूर्ख बनती रहे.
हर्षवर्धन ने म 2016 में राकेश ओमप्रकाश मेहरा की फिल्म 'मिर्ज़या' से अपना बॉलीवुड डेब्यू किया था. ये उनकी दूसरी फिल्म है.
हर्षवर्धन ने 2016 में राकेश ओमप्रकाश मेहरा की फिल्म 'मिर्ज़या' से अपना बॉलीवुड डेब्यू किया था. ये उनकी दूसरी फिल्म है.

ये फिल्म विक्रमादित्य मोटवानी का ड्रीम प्रोजेक्ट था. इसके लिए उन्होंने हर्षवर्धन कपूर को क्यों चुना ये आपको फिल्म देखने के बाद खुद ही पता चल जाएगा. 'मिर्ज़या' में अच्छा काम करने के बावजूद उनको अब तक हल्के में लिया जा रहा था. ये फिल्म उनके करियर वाली बाइक की नाइट्रो बूस्टर हो सकती है. 'भावेश जोशी' एक ऐसी सुपरहीरो फिल्म है, जिसका मेन कैरेक्टर हमें अपने आस-पास का लगता है. फिल्म में विक्रम मोटवानी ने उसकी सिम्पलिसिटी को मेंटेन रखा है. जैसे ही लगता है कि एक नॉर्मल आदमी की औकात से बाहर की चीज़ कर रहा है वैसे ही वो अपने सुपरहीरो को इंसान बना देते हैं. जैसे फिल्म में एक सीन है जहां सिकंदर अपनी कॉस्ट्यूम वगैरह डालकर एकदम फील में होता लेकिन दो-तीन लोग उसे मिलकर पीटने लगते हैं. वो बिना कुछ सोचे खिड़की से छलांग मारकर बाहर लटकी रस्सी के सहारे नीचे जाने की कोशिश करता है. लेकिन उसकी रस्सी झूलने लगती है. इस क्रम में वो कभी गुंडों के नजदीक आता है, तो कभी दूर चला जाता है. फिर आप कंफर्म हो जाते हैं कि नहीं यार ये भी अपने जितना ही डंब है.
फिल्म में एक बहुत कमाल का चेज़ सीक्वेंस है. भावेश अपनी बाइक पर भाग रहा है और पीछे पूरी विलेन गैंग उसे पकड़ने की कोशिश कर रही है. सोचिए बैटमैन भागे और उसकी बाइक पंक्चर हो जाए तो कैसा लगेगा. लेकिन भावेश के साथ ये सब होता है. एकदम इमर्जेंसी वाले मौके पर उसकी बाइक का नाइट्रो बूस्टर एक्टिवेट ही नहीं होता. इसके बावजूद वो गुंडों से आगे ही रहता है. वो सुपरहीरो वाले ज़ोन में घुस ही रहा होता है कि उसकी बाइक फिसल जाती है और वो गिर जाता है. ये फिल्म की सबसे अच्छी बात है कि जैसे हीरो सुपरहीरो बनने लगता है, डायरेक्टर उसे इंसान बना देता है.
फिल्म डायरेक्टर निशिकांत कामत ने 'भावेश जोशी' में विलेन राणा का रोल किया है.
फिल्म डायरेक्टर निशिकांत कामत ने 'भावेश जोशी' में विलेन राणा का रोल किया है.

पहले हाफ में सारी चीज़ों की प्लानिंग हो जाती है, अगले हाफ में बस उसे एक्जिक्यूट करना बचता है. इसलिए दूसरे के मुकाबले पहला हाफ ज़्यादा ग्रिपिंग है. फिल्म देखते वक्त थोड़ी देर के लिए तो आपके अंदर वाला सुपरहीरो भी जाग जाता है लेकिन भावेश की हालत देख आप उसे कंट्रोल कर लेते हैं. क्लीशे चीज़ों को ये फिल्म इन योर फेस टाइप जवाब देती है. जैसे आशीष वर्मा यानी रजत, सिकंदर को कहता है-
तुझसे अकेले घंटा कुछ नहीं होगा.
आम तौर पर इन चीज़ों का जवाब फिल्म में खतरनाक काम पूरा करके दिया जाता है लेकिन यहां सिकंदर कहता है:
तो मत छोड़ ना अकेला.
रियलिस्टिक अप्रोच यू नो! अपने यहां गिनती के कुछ सुपरहीरोज़ हुए हैं. क्रिश, फ्लाइंग जट्ट, जी-वन. लेकिन इस तरह का सेल्फमेड कैरेक्टर बस अमिताभ बच्चन की 'शहंशाह' में दिखा था. उस लिहाज़ से हमें सुपरहीरो फॉर्मेट में ग्रो होने में बहुत टाइम लग गया. विक्रमादित्य ने पीछे 'ट्रैप्ड', 'लुटेरा' और 'उड़ान' जैसी फिल्में बना रखी हैं. इसलिए उनसे उम्मीदें ज़्यादा रहती हैं, और वो सर्व भी करते हैं. इसमें भी किया है. आप पूरी फिल्म अपनी सीट से चिपके रहते हैं और कुछ अच्छा होता देखते रहते हैं.
फिल्म में हेमंत पाटिल का किरदार एक वार्ड का कॉर्पोरेटर है, वो ही पानी की सारी धांधली किसे के इशारे पर कर रहा होता है.
फिल्म में हेमंत पाटिल का किरदार एक वार्ड का कॉर्पोरेटर है, वो ही पानी की सारी धांधली किसे के इशारे पर कर रहा होता है.

कास्टिंग इस फिल्म का मजबूत हिस्सा है. हर्षवर्धन कपूर, प्रियांशु पेंयुली और आशीष वर्मा तीनों ही परफेक्ट हैं. फिल्म में कॉर्पोरेटर पाटिल का रोल करने वाले एक्टर को और देखने का मन करता है लेकिन उनका रोल लिमिटेड है. गाने ज़्याद हैं नहीं क्योंकि फिल्म में लव स्टोरी बैकसीट पर बैठी है. लेकिन जो भी हैं, वो सिचुएशनल हैं. भावेश जोशी कोई सुपरहीरो फिल्म नहीं है लेकिन अपने अंदर के सुपरपावर को फील करने के लिए ये एक बार देख लेने लायक फिल्म जरूर है.


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