मैंने इसके जवाब में हम्म बस किया. फिर अगले ने बताया कि आनंदी बेन का लेटर मोटा भाई के लिए है. फिर मैंने कुछ इंटरेस्ट दिखाया. मोटा भाई माने अमित शाह, भारत में सबसे ज़्यादा मानवी वाली पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष. उनके नाम लिखी किसी भी चीज़ ध्यान खींचती है. ये अपनी डिफॉल्ट सेटिंग है. अनुवादानुसार लेटर में आनंदी बेन ने लिखा है कि वो चाहती हैं कि पार्टी अब नए लोगों को मौका दे क्योंकि उनकी उनकी अब उमर हो गई है.

आनंदी बेन अमित शाह से मिलीं, उसके बाद ये खत सामने आया
एक मीटिंग का नतीजा है ये खत
लेटर पर बातें शुरू हुईं 9 अक्टूबर, 2017 को. लेकिन लेटर पर तारीख है 4 अक्टूबर, 2017. टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर है कि इसी हफ्ते आनंदी बेन को मोटा भाई के यहां से बुलावा आया था. वो गांधीनगर जाकर अमित शाह से मिलीं. और इसी मीटिंग का नतीजा है कि अानंदी बेन ने अपना दिल बड़ा कर लिया है, चुनाव से पहले टिकट पर दावा छोड़ दिया है.
कही-सुनी बात ये है कि आनंदी बेन ने शाह को मनाने की कोशिश की कि उन्हें इस चुनाव में एक्टिव रहने दिया जाए. लेकिन बात बनी नहीं. आनंदी बेन के नाम में पटेल लगा है. वो पाटीदार समाज से आती हैं जिसका गुजरात में काफी दबदबा है, लेकिन वो फिलहाल भाजपा से कुछ नाराज़ चल रहा है. हार्दिक पटेल की अगुआई में इस समाज ने आरक्षण के लिए जो आंदोलन किए, वो गुजरात की भाजपा सरकार को निशाने पर लेकर ही हुए थे.
अब बिना एक पाटीदार एक्स सीएम को टिकट दिए भाजपा चुनावो में अपना 150+ टार्गेट कैसे पूरा करेगी, ये तो मोटा भाई जानें. हम जो जानते हैं वो आपको बता देते हैं. दावा नहीं किया जा सकता, लेकिन अब आनंदी बेन को लेकर खबरें कुछ कम होंगी, ऐसी संभावना है. तो आप हमसे आनंदी बेन के बारे में आज जान लें.

बतौर सीएम, पटेल आंदोलन आनंदी बेन पटेल की सबसे बड़ी परीक्षा थी
1. 21 नवंबर 1941 को आनंदीबेन पैदा हुई थीं. गुजरात के मेहसाना जिले के विजापुर तालुका में. जेठाभाई इनके पप्पा थे, जो पेशे से टीचर थे. अपनी बेटी को पढ़ने के लिए स्कूल भेजा. स्कूल में इकलौती लड़की थीं. 700 लड़कों के बीच बैठकर चौथी क्लास तक पढ़ी हैं.
2. हाई स्कूल में आनंदी और नरेंद्र मोदी दोनों क्लासमेट रहे हैं. आगे की पढ़ाई के लिए आनंदी एन. एम. हाई स्कूल गईं. वहां इनके अलावा दो और लड़कियां थीं. एथलीट थीं. तीन साल तक लगातार चैंपियन भी रही हैं. अच्छे खेल के लिए बेन को 'वीरबाला' अवॉर्ड मिला था.
3. कॉलेज में भी सीन स्कूल जैसा ही था. साल 1960 में एम. जी. पांचाल साइंस कॉलेज ज्वाइन किया. साइंस की पढ़ाई की. पूरे कॉलेज में एक मात्र लड़की, जिसने साइंस में ग्रेजुएशन किया.

आनंदीबेन पटेल और नरेंद्र मोदी क्लासमेट रहे हैं
4. श्री वी. डी. पारेख अंध महिला विकास ग्रह इनका पहला वर्क प्लेस रहा. यहां इन्होंने करीब 50 विधवा औरतों को वोकेशनल कोर्स कराया.
5. 1965 में आनंदी की शादी मफतभाई पटेल से हुई. शादी के बाद वो उनके साथ अहमदाबाद आ गईं. और साइंस में ही मास्टर्स किया. और अपने घर के बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी उठाई. उन्हें पढ़ाना बहुत अच्छा लगता था. बाद में बेन ने 1970 में मोहनीबा स्कूल विद्यालय ज्वाइन किया. और वहां तीस साल तक पढ़ाया.
6. आनंदी को वेज खाना पसंद है. उन्हें पक्षियों से खूब लगाव है. खाली टाइम में गार्डनिंग करती हैं.
7. पॉलिटिक्स में बेन बड़े ही ड्रामेटिक तरीके से आईं. एक बार स्कूल ट्रिप में आनंदी ने अपने साथ की दो लड़कियों को डूबने से बचाया था. जिसके लिए उन्हें राष्ट्रपति से वीरता पुरस्कार भी मिला. उनके इस कारनामे पर बीजेपी के नेताओं की नजर थी. उन्हें पार्टी ज्वाइन करने को कहा गया. वो 1987 में बीजेपी की गुजरात प्रदेश महिला मोर्चा अध्यक्ष बन गईं.
8. आनंदी बेन ने कई अवॉर्ड्स भी पाए हैं. डूबती लड़कियों को बचाने के लिए गैलेंट्री अवॉर्ड के अलावा चारुमूर्ति योद्धा अवॉर्ड और अंबूभाई पुरानी व्यायम विद्यालय अवॉर्ड भी आनंदी को मिल चुके हैं.

आनंदी बेन पटेल गुजरात की पहली महिला सीएम थीं
9. 1987 में बीजेपी जॉइन किया. 1998 में गुजरात विधान सभा की मेंबर बनीं. इकलौती ऐसी औरत हैं, जो लगातार चार बार एमएलए चुनी गई हैं.
10. उन्होंने पहला असेंबली चुनाव 1998 में मंडल जिले से जीता था. उन्हें उस वक्त एजुकेशन डिपार्टमेंट सौंपा गया था. साल 2002 में वापस से चुनी गईं और बतौर एजुकेशन मिनिस्टर काम किया. तीसरी बार वो चुनाव साल 2007 में पटल से जीतीं. चौथी दफा चुनाव 2012 में घाटलोढिया विधान सभा क्षेत्र से जीती थीं.
11. साल 2014 में आनंदी गुजरात की 15वीं मुख्यमंत्री बनी. गुजरात के 15 मुख्यमंत्रियों में आनंदी पहली महिला मुख्यमंत्री थीं.
इसके बाद हुआ ये कि आनंदी बेन ने एक त्याग किया. खबर आई कि गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल अपनी कुर्सी से मुक्त होना चाहती हैं. इस इच्छा का इज़हार उन्होंने फेसबुक पर एक पोस्ट में किया. पार्टी के लोगों से रिक्वेस्ट की कि उन्हें गुजरात की जिम्मेदारियों से बरी किया जाए. सब जानते थे कि भाजपा आलाकमान आनंदी बेन से खुश नहीं था क्योंकि पाटीदार आंदोलन 'मैनेज' नहीं हो पाया था. तुरंत कुछ नहीं हुआ. लेकिन बाद में पद उनके हाथ से गया ही. लेकिन कोई कुछ कहता कैसे, आनंदी बेन ने तो खुद ही इस्तीफे की पेशकश कर रखी थी.
अब उनकी विधायकी भी जा रही है. कह कोई अब भी कुछ नहीं पाएगा. क्योंकि आनंदीबेन ने तो खुद लेटर लिख कर मना कर दिया है!