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फिल्म रिव्यू- एक दीवाने की दीवानियत

'सनम तेरी कसम' फेम हर्षवर्धन राणे की नई फिल्म 'एक दीवाने की दीवानियत' कैसी है, जानने के लिए पढ़ें ये रिव्यू.

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इस फिल्म को मिलाप जावेरी ने डायरेक्ट किया है.

फिल्म- एक दीवाने की दीवानियत
डायरेक्टर- मिलाप जावेरी 
एक्टर्स- हर्षवर्धन राणे, सोनम बाजवा, शाद रंधावा, सचिन खेड़ेकर
रेटिंग- 1.5 स्टार्स 

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2016 में हर्षवर्धन राणे की एक फिल्म आई 'सनम तेरी कसम'. ट्रैजिक लव स्टोरी थी. पिट गई. 2025 में माहौल को भांपते हुए इसे दोबारा रिलीज़ किया गया. फिल्म चल गई. कहा गया कि इसका सीक्वल बनना चाहिए. सीक्वल तो नहीं बना. मगर उसी मिजाज़ की नई फिल्म बनी, जिसका नाम है 'एक दीवाने की दीवानियत'. इस फिल्म को देखने के बाद लगता है कि ये कई सालों पुरानी फिल्म है. इसे भी दोबारा रिलीज़ किया गया है. क्योंकि 2025 में आप इस किस्म के सिनेमा की उम्मीद नहीं करते. इसे क्रिंज कहना अंडरस्टेटमेंट होगा. ये एक ऐसी रोमैंटिक फिल्म, जो हैरसमेंट को रोमैंटिसाइज़ करती है. एनटाइटलमेंट की पराकाष्ठा लांघती है. लड़की की ना को हां मानती है. और दुनियाभर का रोना-धोना करके खुद को जस्टिफाई करने की कोशिश करती है.

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'एक दीवाने की दीवानियत' की कहानी एक लाइन की है. एक अमीर लड़के को फिल्म हीरोइन से पहली नज़र में प्यार हो जाता है. लड़की को नहीं होता. इसलिए अब जो लड़का है, वो उस लड़की और उसके परिवार को हैरस कर रहा है. ताकि वो शादी के लिए हां कर दे. इसमें कुछ भी इनडायरेक्ट या शुगरकोटेड नहीं है. जो है यही है. इसमें ढेर सारे रोने वाले सीन्स, स्लो-मो वॉकिंग शॉट्स, दो-तीन रीमिक्स गाने और शेर-ओ-शायरी नुमा डायलॉग्स जोड़ दीजिए, तैयार हो गई पिक्चर.

ये एक मैनचाइल्ड की एकतरफा लव स्टोरी है. जिसे ना सुनने की आदत नहीं है. जब टीवी पर उसे इस बाबत सवाल पूछा जाता है, तो उसका जवाब है- "क्या मैंने कभी बद्तमीज़ी की, कभी हाथ लगाया?" मगर इन्होंने लड़की की फिल्म थिएटर से उतरवा दी. उसे काम मिलना बंद हो गया. जो फिल्म साइन कर चुकी थी, उससे निकलवा दिया. उसके परिवार के साथ हिंसा की. और उसे गलत साबित करने के लिए खुद पर गोली चलवा ली. नॉर्मली बात करते-करते उसका सोइकोपैथिक साइड जाग जाता है. अजीब तरह की बातें और हरकतें करने लगता है. फिल्म बताती है कि समझो ब्रो, इसका बचपन बहुत बुरा गुज़रा है. मां हैं नहीं. पापा काफी टॉक्सिक हैं. इसलिए ये लड़का ऐसा है!

'एक दीवाने की दीवानियत' के मेकर्स ने हर वो चीज़ इस फिल्म में डाली, जिसके लिए 'एनिमल', 'कबीर सिंह', 'रांझणा' और 'तेरे नाम' जैसी फिल्मों की आलोचना हुई. क्योंकि मेकर्स का मक़सद कभी एक अच्छी फिल्म बनाना नहीं था. वो एक हिट फिल्म बनाना चाहते थे. इस फिल्म में हर्षवर्धन राणे इसलिए कास्ट किए गए क्योंकि पब्लिक ने उन्हें इस तरह के रोल में पहले पसंद किया. एक ऐसा आदमी, जिसका प्रेम कभी पूरा नहीं हो सका. 90 परसेंट इंडिया इस थॉट के साथ रिलेट करेगा. 

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इसके बाद आता है फिल्म का प्री-इंटवल सीक्वेंस. लड़की, लड़के से बुरी तरह परेशान हो चुकी है. उसे इस लड़के से निजात चाहिए. ऐसे में वो कुछ ऐसा करती है, जो शायद भारतीय सिनेमा में कभी नहीं हुआ. और मैं उम्मीद करना चाहूंगा कि आगे भी ऐसा न ही हो. क्योंकि ये इतनी ऑकवर्ड सिचुएशन है, जिससे आप जल्द से जल्द निकल जाना चाहते हैं.

मगर फिल्म खत्म होने से पहले लड़के को अपनी गलती का एहसास होता है. फिल्म और उसका नायक अपने सारे पाप धोने की कोशिश करते हैं. जिस लड़के को सवा दो घंटे में लड़की की 'ना' नहीं सुनाई दी, अचानक से उसका हृदय परिवर्तन हो जाता है. अब वो महिलाओे के साथ कैसे पेश आना चाहिए, इस पर ज्ञान दे रहा है. 'कंसेंट' की बातें कर रहा है.

जिस देश में पहले ही महिलाओं के साथ इतनी घटनाएं हो रही हैं. पब्लिक 'सैयारा' देखकर रो रही है, वहां आप 'एक दीवाने की दीवानियत' जैसी फिल्म रिलीज़ करते हैं. इससे ये तो साफ है कि आपको सोशल रिस्पॉन्सिब्लिटी की नहीं पड़ी. मगर एक फिल्म या पीस ऑफ आर्ट के तौर पर भी ये कुछ भी ऑफर नहीं करती. फिल्म में सिर्फ एक फन चीज़ है. 'दीवानियत' को मिलाप जावेरी ने डायरेक्ट किया है. उनकी पिछली फिल्म थी 'सत्यमेव जयते 2' और अगली फिल्म है 'मस्ती 4'.

सोनम बाजवा ने फिल्म में हीरोइन का रोल किया है. उनकी एक फिल्म थिएटर में लगी हुई है जिसका नाम है 'दिलबरा'. उसके पोस्टर पर प्रोड्यूसर का नाम लिखा है रितेश अब्राहम और डायरेक्टर हैं जॉन देशमुख. मैं यकीनी तौर पर कह सकता हूं अगर इन दोनों में किसी ने ये फिल्म बनाई होती, तो वो मिलाप से बेहतर बनाते. 

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