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TVF के शो 'कॉलेज रोमांस' पर दिल्ली हाईकोर्ट भड़का, कहा: बहुत अश्लील है, ईयरफोन लगाकर देखना पड़ा

कोर्ट ने डायरेक्टर और ऐक्टर के खिलाफ FIR के आदेश को कायम रखा है.

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कोर्ट एक अपील पर सुनवाई कर रहा था

दिल्ली हाईकोर्ट ने TVF के शो 'कॉलेज रोमांस' की भाषा को अश्लील, प्रोफेन और वल्गर बताया है. उसका कहना है कि ये भाषा युवाओं के दिमाग को दूषित और भ्रष्ट करेगी. ऐसा हाईकोर्ट ने एक FIR के आदेश के खिलाफ दी गई अर्जी की सुनवाई करते हुए कहा. दरअसल इससे पहले एडीशनल चीफ मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट(ACMM) कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को डायरेक्टर और लीड ऐक्टर्स के खिलाफ FIR का आदेश दिया था. हाईकोर्ट ने उस आदेश को बरकरार रखा. ACMM कोर्ट ने सिमरप्रीत सिंह और अपूर्व अरोड़ा पर सेक्शन 292, 294  के तहत FIR करने को कहा था.

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बार एंड बेंच के मुताबिक जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा (Swarana Kanta Sharma) का कहना है, उन्हें 'कॉलेज रोमांस' के एपिसोड ईयरफोन लगाकर देखने पड़ते थे. क्योंकि इसकी भाषा ऐसी नहीं है कि सबके सामने देखी जा सके.

हाईकोर्ट की एक सदस्यीय बेंच ने कहा:

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कोर्ट को इसके एपिसोड चैंबर में ईयरफोन लगाकर देखने पड़े. क्योंकि इसकी भाषा में इस हद तक अपवित्रता है कि इसे आसपास के लोगों को बिना अलार्म किए या चौंकाए नहीं देखा जा सकता और भाषा की मर्यादा को ध्यान में रखते हुए नहीं सुना जा सकता है. चाहे प्रोफेशनल स्पेस, पब्लिक डोमेन या फिर आपका घर हो. आम आदमी की भाषा का डेकोरम होता है. अदालत ये नोट करती है कि ये वो भाषा नहीं है, जो देश का युवा और दूसरे नागरिक इस्तेमाल करते हैं. ये भाषा हमारे देश की फ्रीक्वेंट बोली जाने वाली भाषा नहीं हो सकती है.

इसलिए हाईकोर्ट ने ये फैसला दिया है कि इसके डायरेक्टर सिमरप्रीत सिंह और ऐक्टर अपूर्व अरोड़ा को सेक्शन 67 और 67A के तहत कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा. सेक्शन 67 उस कंटेन्ट के लिए है, जो इलेक्ट्रॉनिक रूप से पब्लिश या ट्रांसमिट किया गया है और सेक्शुअली उकसाने वाला है. 67A ऐसा कंटेन्ट जिसमें सेक्शुअल ऐक्ट हो.

डिटेल्ड ऑर्डर में जस्टिस शर्मा ने कहा कि किसी एक की आजादी के नाम पर ऐसी भाषा आम जनता और एक लार्ज नंबर ऑफ ऑडियंस को दिखाने की छूट नहीं दी सकती. क्या ऐसी भाषा का इस्तेमाल देश और युवा एजुकेशनल इंस्टीट्यूट में करते हैं? जज ने कहा कि ऐसा देखते हुए इस भाषा के इस्तेमाल की अनुमति देना खतरनाक होगा. शो में इस्तेमाल की गई भाषा आम जनता के नैतिक टेस्ट में पास नहीं होती. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में सरकार से भी कड़ा रुख अख्तियार करने को कहा है.

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जस्टिस शर्मा ने कहा है कि आज इस भाषा को कॉलेज जाने वाले छात्रों की भाषा कहा जा रहा है. इसका असर स्कूली बच्चों पर भी पड़ेगा और आने वाले दिनों में ये नॉर्मल हो जाएगा. चूंकि नई पीढ़ी, पुरानी पीढ़ी से सीखती है, ऐसे में अगर स्कूली छात्र भी इसी तरह की अश्लील भाषा बोलने लगे, तो यह समाज के लिए बहुत खराब बात होगी.

वीडियो: वेब सीरीज़ रिव्यू: कैसी है TVF की 'पिचर्स 2'?

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