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तिलिस्मी सीरियल ‘चंद्रकांता’, जिसके ये 7 किरदार भुलाए नहीं भूलते

जब शिवदत्त सांप से खुद को डसवाता था, तो ज़हर हमारी रगों में उतरता था.

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फोटो - thelallantop
90 के दशक का फर्स्ट हाफ. भारत में अभी केबल चैनलों के पैर नहीं जमे थे. करोड़ों भारतीयों को मनोरंजन परोसने का ज़िम्मा या तो विविध भारती के पास था या दूरदर्शन के पास. टीवी की दुनिया में दूरदर्शन, तब सल्तनत का अकेला सुलतान था. ये वो दौर था जब इंडियन टेलीविजन इतिहास के 2 सबसे महान सीरियल अपना जलवा दिखाकर गायब हो चुके थे. 'रामायण' और 'महाभारत'. फिर कुछ ग्रैंड, कुछ भव्य-दिव्य, कुछ सीट से चिपकाए रखने वाला कंटेंट देखने के तमन्नाई दर्शकों की आरज़ू पूरी की, नीरजा गुलेरी की तिलिस्मी प्रेम-गाथा ‘चंद्रकांता’ ने.
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दर्शकों को माइथोलॉजी के भक्ति रस से निकालकर राजा-महाराजाओं की आपसी रंजिश, विश्वासघात, प्रेम और कुर्बानियों की अनोखी दुनिया में ले गया ये सीरियल. ऐयारियों और मक्कारियों के ऑन स्क्रीन प्रदर्शन ने दर्शकों को अचंभित कर दिया. इस सीरियल की दीवानगी ऐसी थी कि जिस वक्त ये टीवी पर आ रहा होता था, लोग बाकी काम टाल देते थे. खाना-पीना पहले निपटा लेते थे.
जैसे ही ये टाइटल ट्रैक प्ले होने लगता था, पूरा परिवार (और पड़ोसी भी) टीवी के सामने आसन जमा लेते थे.

नीरजा गुलेरी भारत के इतिहास में पहली महिला थीं, जिन्होंने इतना बड़ा सीरियल डायरेक्ट किया. जैसा कि सबको पता है ‘चंद्रकांता’ सीरियल बाबू देवकीनंदन खत्री के इसी नाम के उपन्यास पर बना था. कहते हैं कि ये वही उपन्यास है, जिसे पढ़ने के लिए लोगों ने हिंदी सीखी. बड़े ही विस्तृत कैनवस पर बने इस सीरियल की ख़ास बात ये थी कि इसके हर किरदार को बड़ी मेहनत से, वक़्त देकर स्थापित किया गया. इसीलिए आज तक इसके ढेर सारे किरदार लोगों के ज़ेहन में ताज़ा हैं. सिर्फ लीड किरदार नहीं. भले ही कईयों को उनके असली नाम पता न हो लेकिन किरदार बाखूबी याद हैं. आज ऐसे ही कुछ किरदारों को याद करेंगे.

#1 राजकुमारी चंद्रकांता (शिखा स्वरूप)

शुरुआत उस शहजादी से करते हैं, जिसके इर्दगिर्द तमाम कहानी घूमती रही. चंद्रकांता विजयगढ़ की राजकुमारी है. परियों सी सुंदर. नौगढ़ के राजकुमार वीरेंद्र सिंह से मुहब्बत करती है. लेकिन एक समस्या है. नौगढ़ और विजयगढ़ में कट्टर दुश्मनी है. इसी के चलते उसके पिता महाराज जयसिंह कभी राज़ी नहीं होंगे, उसका हाथ वीरेंद्र सिंह के हाथ में सौंपने को. इस खानदानी दुश्मनी से अच्छी तरह वाकिफ़ होने के बावजूद चंद्रकांता खुद को रोक नहीं पाती है इश्क के दरिया में उतरने से.
टाइटल रोल में शिखा स्वरुप.
टाइटल रोल में शिखा स्वरूप.

शिखा स्वरूप का एक्टिंग करियर भले ही कुछ ख़ास न रहा हो, लेकिन चंद्रकांता की ये भूमिका कर के वो भारतीय टेलीविज़न के इतिहास में अमर हो गईं. ठीक वैसे जैसे सीता के किरदार में दीपिका चिखलिया या द्रौपदी के किरदार में रूपा गांगुली.

#2 राजकुमार वीरेंद्र सिंह (शाहबाज़ ख़ान)

चंद्रकांता के प्रेम ने राजकुमार को इतना पागल कर दिया है कि वो रिस्क उठा कर उसके राज्य ही आ पहुंचा. ज़ाहिर है अपनी जान दांव पर लगा कर. वो राजकुमारी चंद्रकांता से शिद्दत से शादी करना चाहता है, लेकिन उसके पिता नौगढ़ के हर एक बाशिंदे से सख्त नफरत करते हैं. उनकी निगाह में उनके भाई को नौगढ़ के महाराज सुरेन्द्र सिंह ने मारा है. हालांकि ये एक ग़लतफ़हमी है, जिसका ओरिजिनेटर कोई और ही है. कौन, ये आगे बताएंगे. इस दुश्मनी का कोई तोड़ निकालने और अपनी दिल की दुनिया आबाद करने राजकुमार विजयगढ़ आ धमका है.
वीरेंद्र सिंह की भूमिका में शाहबाज़ खान.
वीरेंद्र सिंह की भूमिका में शाहबाज़ खान.


फिल्मों में अक्सर नेगेटिव रोल करते दिखाई देते शाहबाज़ ख़ान, यहां एक नर्मदिल शहजादे के रूप में दिखाई दिए. और खूब पसंद किए गए.

#3 क्रूर सिंह (अखिलेंद्र मिश्रा)

ये वही शख्स है जिसने दोनों राज्यों के रिश्तों में चरस बो रखी है. क्रूर सिंह विजयगढ़ राज्य का महामंत्री है और चंद्रकांता से शादी करने के लिए मरा जा रहा है. साथ ही उसका एक साइड सपना भी है कि वो विजयगढ़ का महाराज बने. इस चक्कर में क्या-क्या जतन नहीं किए भाई साहब ने. महाराज के भाई की हत्या खुद कर दी और इल्ज़ाम नौगढ़ वालों पर ठोक दिया.
'यक्कू' क्रूर सिंह (अखिलेंद्र मिश्रा_.
'यक्कू' क्रूर सिंह (अखिलेंद्र मिश्रा)


क्रूर सिंह उन दुर्लभ विलेन्स में से एक था, जिससे दर्शकों का एक कनेक्शन बन जाता है. क्रूर सिंह को स्क्रीन पर देखने को लोग लालायित रहते थे. उसके अंदाज़ेबयां की नक़ल उतारते थे. ख़ास तौर से उसका वो तकिया कलाम, ‘यक्कू’.

#4 महाराज शिवदत्त (पंकज धीर)

कहानी सिर्फ नौगढ़ और विजयगढ़ की ही नहीं है. इनकी सीमाओं से सटा एक और राज्य भी है. चुनारगढ़. यहां के महाराज शिवदत्त भी चंद्रकांता में इंटरेस्टेड हैं. आपने विषकन्याओं का ज़िक्र बहुत सुना होगा, महाराज शिवदत्त विष-पुरुष हैं. नाग से अपनी ज़ुबान पर कटवाने वाले इनके सीन देखकर सिहरन होती थी.
चुनारगढ़ के महाराज शिवदत्त.
चुनारगढ़ के महाराज शिवदत्त.

पंकज धीर भी उन अभिनेताओं में आते हैं, जिनके पूरे करियर में एक-दो भूमिकाएं ऐसी होती हैं जो उनकी पहचान बन के रह जाती है. पंकज धीर खुशनसीब हैं कि उनके करियर में ऐसी दो भूमिकाएं आईं. एक तो ‘महाभारत’ का कर्ण और दूसरा ‘चंद्रकांता’ का महाराज शिवदत्त.

#5. पंडित जगन्नाथ (राजेंद्र गुप्ता)

पंडित जगन्नाथ महाविद्वान व्यक्ति हैं. ज्योतिष के ज्ञाता. रमल विद्या में पारंगत. पांसा फेंक कर भूत-भविष्य सबका हाल जान लेते हैं. जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम लॉन्च होने से पहले पूरे ब्रम्हांड में यहीं थे, जो पूरी एक्यूरेसी से बता सकते थे कि फलां बंदा कहां है. क्या कर रहा है. बहुत गुणी आदमी थे. इनसे बस एक ही दिक्कत थी कि विलेननुमा राजा के खेमे के थे.
पंडित जगन्नाथ के रोल में राजेंद्र गुप्ता.
पंडित जगन्नाथ के रोल में राजेंद्र गुप्ता.

#6 बद्रीनाथ (इरफ़ान ख़ान)

इरफ़ान उन कलाकारों में से हैं, जो ‘इरफ़ान’ बनने के पहले से पसंद किए जाते रहे हैं. उन्होंने भी कभी किसी रोल से परहेज़ नहीं किया. चंद्रकांता में उन्होंने महाराज शिवदत्त के टॉप के ऐयार बद्रीनाथ की भूमिका में समां बांध दिया था. बाद में इरफ़ान इंडस्ट्री में बुलंदियों तक पहुंच गए. ये कहना गलत न होगा कि ‘चंद्रकांता’ की पूरी कास्ट में अगर कोई सबसे ज़्यादा सफल रहा, तो वो इरफ़ान ही हैं. उन्होंने कई यादगार रोल किए. बावजूद इसके चंद्रकांता का ‘बद्रीनाथ’ और उसका जुड़वा भाई ‘सोमनाथ’ आज भी याद किया जाता है.
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ऐयारश्री बद्रीनाथ.


बद्रीनाथ चुनारगढ़ का प्रमुख ऐयार था. ऐयार माने ऐसा जासूस जो दुश्मनों के भेद निकालने के साथ-साथ राज्य की सुरक्षा में भी योगदान दे. शॉर्ट में बोले तो उस ज़माने का जेम्स बांड.

#7. नाज़िम-अहमद

ये हैं दो शख्स लेकिन इन्हें साथ ही मेंशन करना सही है. ये पैकेज में ही आते हैं. महा-मक्कार ऐयार क्रूर सिंह के दाएं-बाएं वाले हैं. ऐसी कोई ऊटपटांग हरकत नहीं है, जो ये ना करते हों. क्रूरसिंह के तमाम नापाक इरादों में पूरी शिरकत रहती हैं इनकी. बल्कि इन्हीं के सहारे तो वो अपने मंसूबे पूरे होने के ख्वाब देखता है. हां सबसे ज़्यादा दुर्गत भी इन्हीं दोनों की होती थी. पूरी तरह इंटेंस सीरीज में इन दोनों का किरदार बढ़िया कॉमिक रिलीफ हुआ करता था. एक और साथी भी था इनका आमिर, लेकिन वो कभी-कभार ही नज़र आता था.
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इन किरदारों के अलावा तेजसिंह ऐयार, सूर्या, सभ्या, चपला जैसे न जाने कितने किरदार थे जो अब भी यादों में पैबस्त हैं. कलाकारों के नाम भले ही लोग भूल गए हो, लेकिन किरदार और उनकी शक्लें अच्छी तरह याद हैं सबको. पिछले दिनों एक बार फिर इस सीरियल को नए किरदारों के साथ बनाने की कोशिश की गई, लेकिन बात न बनी. ‘चंद्रकांता’ अगर कोई थी तो शिखा स्वरूप. राजेंद्र गुप्ता को तो आज भी कहीं देख लेते हैं तो पंडित जगन्नाथ ही कहते हैं. चंद्रकांता के बाद कई सारे टीवी शोज़ आएं, हिट भी हुए, लेकिन जो भव्य-दिव्य कैनवस उसका था उसे रिपीट करना किसी से मुमकिन न हो सका.
यहां एक एपिसोड का यूट्यूब लिंक दे रहे हैं, जिन्हें पूरा देखना हो वो यहां से आगे खुद खोज सकते हैं:



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