शिमला की संजौली मस्जिद (Sanjauli Masjid) एक बार फिर चर्चा में है. इस मस्जिद में कुछ लोग नमाज पढ़ने के लिए पहुंचे थे. इस दौरान देवभूमि संघर्ष समिति के सदस्य मौके पर पहुंच गए और उन्होंने कथित तौर पर मुसलमानों को मस्जिद में जाने से रोकने की कोशिश की. अगले दिन, हिमाचल पुलिस ने समिति के छह लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की और उन्हें हिरासत में लिया.
शिमला की संजौली मस्जिद में नमाजियों को रोका, देवभूमि संघर्ष समिति के 6 कार्यकर्ताओं पर FIR
Shimla की Sanjauli Masjid में कुछ लोग नमाज पढ़ने के लिए पहुंचे थे. इस दौरान देवभूमि संघर्ष समिति के सदस्य मौके पर पहुंच गए और उन्होंने कथित तौर पर मुसलमानों को मस्जिद में जाने से रोकने की कोशिश की. फिर क्या हुआ?


इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, पूरा मामला शुक्रवार, 14 नवंबर का है. इस दिन कुछ लोग नमाज अदा करने के लिए शिमला की संजौली मस्जिद पहुंचे थे. इसी दौरान कुछ स्थानीय लोग नाराज हो गए और देवभूमि संघर्ष समिति के सदस्य भी वहां पहुंच गए. इन लोगों ने कथित तौर पर मुसलमानों को मस्जिद में जाने से रोकने की कोशिश की और कहा कि स्थानीय अदालत ने मस्जिद को अवैध बताया है, इसलिए यहां नमाज नहीं होनी चाहिए.
उन्होंने नमाज पढ़ने आए लोगों की नागरिकता पर भी शक जताया और दावा किया कि उनकी पहचान नहीं की गई थी. कुछ स्थानीय लोगों ने नमाज पढ़ने आए लोगों को नमाज पढ़ने से भी रोका और कथित तौर पर उन्हें वापस भेज दिया. तनाव बढ़ने पर मौके पर पुलिसकर्मी तैनात किए गए, जिन्होंने जल्द ही भीड़ को शांत कर स्थिति को काबू में कर लिया.
पुलिस ने अगले दिन यानी शनिवार को इस मामले में छह लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की, जिनमें देवभूमि संघर्ष समिति के छह सदस्य मदन ठाकुर, विजय शर्मा, कल्पना शर्मा, श्वेता चौहान, शिल्पी और पारुल शामिल हैं. मदन ठाकुर संगठन के सह-संयोजक हैं.
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घटना के बाद देवभूमि संघर्ष समिति ने शिमला में एक सीनियर पुलिस अधिकारी को पत्र देकर कहा था कि नमाज के लिए आने वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है और उनकी पहचान भी सुनिश्चित नहीं की जा सकती है, इसलिए इस पर रोक लगाई जाए. संगठन ने यह भी मांग की कि मस्जिद की बिजली और पानी की सप्लाई काट दी जाए, क्योंकि स्थानीय अदालत ने इसे अवैध घोषित किया है.
पिछले साल भी संजौली मस्जिद को लेकर विरोध हुआ था. कई लोगों ने इसे अवैध बताते हुए कुछ हिस्से गिराने की मांग की थी. बाद में एक कोर्ट ने मस्जिद समिति को दो महीने के अंदर तीन मंजिलें गिराने का आदेश दिया था. इलाके में हालात अभी भी तनावपूर्ण हैं. पहले भी झड़पें हो चुकी हैं.
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