भगवान दादा कौन? बहुतों को नाम से कुछ याद नहीं आया होगा.
'ओ बेटा जी' वाले भगवान दादा की 34 बातें: जिन्हें देख अमिताभ, गोविंदा, ऋषि कपूर नाचना सीखे!
जिनके फिल्म की शूटिंग के दौरान मारे एक थप्पड़ ने ललिता पवार की आँख हमेशा के लिए ख़राब कर दी थी.
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फिल्म मैंने प्यार किया में सलमान के साथ भगवान दादा. (फोटोः स्क्रीनग्रैब)
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तीन कोशिश करते हैं.
- किसी फिल्म में तो देखा होगा.

फिल्म अलबेला के पोस्टर में भगवान दादा और गीता बाली.
दावे से साथ कह सकता हूं कि अब भी आप नहीं जाने उन्हें. और ये भी दावा है कि उन्हें लेकर आपकी सारी पूर्व-धारणाएं अगले कुछ पलों में अपर्याप्त साबित होने वाली हैं. क्यों न आगे बढ़कर जांच लिया जाए:
https://www.youtube.com/watch?v=vnD8Wnj7xo820. उनके द्वारा निर्देशित अलबेला
24. गीतकार आनंद बक्शी को भी फिल्मों में लाने में भगवान दादा का योगदान था. बक्शी साहब ने दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे, अमर प्रेम, आराधना, शोले, परदेस, मोहरा, यादें, ख़ुदा गवाह
https://www.youtube.com/watch?v=r7NVIwO8_pI
पहना था जो हवाई में समंदर किनारे पहना जाने वाला वस्त्र है. थवमनी ने भी फिल्म में इसे पहना. ऐसी ये पहली तमिल फिल्म थी. इस फिल्म के बाद थवमनी फिल्मों में अपने परिधान खुद डिजाइन करती थीं, मेकअप खुद करती थीं और करार में इसे लेकर विशेष शर्त रखती थीं.
वो क़यामत एक्ट्रेस जिन्होंने सनी देओल के पापा को एक्टिंग करनी सिखाई
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https://www.youtube.com/watch?v=kM261SrhDVs ब्लैक एंड वाइट एरा के इस गाने में उन्हें देखा होगा. उनका मस्त, मंद गति से नाच था. गाना भी बहुत relatable रहा है. ये 1951 में रिलीज हुई फिल्म अलबेला
का था. इसमें उनके साथ गीता बाली थीं.
#हवलदार पांडू
1975 से 1989 के बीच सबसे ज्यादा कॉन्सटेबल और हवलदार पांडू वे ही बने थे. फरार (1975), शंकर शंभू (1976), खेल खिलाड़ी का (1977), चाचा भतीजा (1977), शिक्षा (1979), साहस (1981), कातिलों के कातिल (1981), दर्द-ए-दिल (1983), बिंदिया चमकेगी (1984), सनी (1984), झूठा सच (1984), रामकली (1985), लवर बॉय (1985), काली बस्ती (1985 ), फर्ज़ की जंग (1989), गैर कानूनी (1989)- किसी फिल्म में तो देखा होगा.
#मामूली आदमी
कुक, बारटेंडर, डांसर, भगवान दादा, मुंशी, सचिव, एक्टर, कैदी, यात्री, शराब बेचने वाला, ट्रेन मास्टर, कव्वाल, डकैत जैसे 'मामूली' और 'निचले' रोल उन्होंने किए थे.
फिल्म अलबेला के पोस्टर में भगवान दादा और गीता बाली.
दावे से साथ कह सकता हूं कि अब भी आप नहीं जाने उन्हें. और ये भी दावा है कि उन्हें लेकर आपकी सारी पूर्व-धारणाएं अगले कुछ पलों में अपर्याप्त साबित होने वाली हैं. क्यों न आगे बढ़कर जांच लिया जाए:
2. वे हिंदी फिल्मों के पहले एक्शन हीरो थे. मुक्कों से लड़ाई की शुरुआत उन्होंने की थी. बिना बॉडी डबल के एक्शन करना भी संभवत: उन्होंने ही शुरू किया.1. मुंबई के दादर इलाके में लालूभाई मेंशन नाम की चॉल थी. गणपति सेलिब्रेशन के दौरान इधर से निकलने वाले जुलूस इस चॉल के सामने रुका करते थे और भोली सूरत दिल के खोटे गाना बजाते थे और नाचते थे. उन्हें इंतजार होता था कि भगवान दादा अपनी चॉल से निकलें और अपना सिग्नेचर डांस स्टेप करके दिखाएं. और वे आते थे. ऐसा करते थे. उसके बाद ही जुलूस आगे बढ़ता.
3. हिंदी फिल्मों के वे पहले डांसिंग स्टार थे.
4. उन्होंने भारतीय सिनेमा की पहली हॉरर फिल्म भेडी बंगला (1949) बनाई थी. वी शांताराम जैसे दिग्गज फिल्मकार इससे बहुत प्रभावित हुए थे.
5. उनके पिता कपड़े की मिल में मजदूरी करते थे.6. महाराष्ट्र के अमरावती में 1913 को उनका जन्म हुआ. पूरा नाम था भगवान अभाजी पलव. बाद में उन्हें भगवान, मास्टर भगवान और भगवान दादा के नाम से पुकारा जाता था.
7. उनका बचपन गुरबत में बीता. दादर, परेल के मजदूर इलाकों में खेले-बढ़े. चौथी कक्षा के बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी. बाद में वे अपने समय के सबसे धनी अभिनेताओं में से एक बने.8. उन्होंने साइलेंट फिल्मों के दौर से काम करना शुरू किया. करीब 1931 से और 1996 तक यानी करीब 65 साल सक्रिय रहे. बतौर अभिनेता, निर्देशक, लेखक, निर्माता और अन्य भूमिकाओं में.
10. भगवान दादा को राज कपूर ने ही सलाह दी कि सोशल मैसेज वाली फिल्म बनाएं. जिस पर उन्होंने अलबेला डायरेक्ट की. और ये फिल्म 1951 में प्रदर्शित हुई. उसी साल राज कपूर की आवारा लगी.9. राज कपूर उनके दोस्त थे.
https://www.youtube.com/watch?v=vnD8Wnj7xo8
11. अलबेला उस साल तीसरी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म थी. पहले नंबर पर राज कपूर की आवारा और दूसरे नंबर पर गुरु दत्त की बाज़ी थी.12. इस फिल्म के बाद भगवान दादा अपने करियर के चरम पर थे. लेकिन बाद में उन्होंने अलबेला की तर्ज पर झमेला और लाबेला जैसी फिल्में बनाई जो उतनी सफल नहीं हुईं.
13. भगवान दादा को बर्बादी के आंसू रुलाने वाली फिल्म का नाम था हंसते रहना. इसके हीरो थे किशोर कुमार. इसे बनाने के लिए दादा ने अपने जीवन की सारी जमा-पूंजी और पत्नी के गहने गिरवी रख दिए. लेकिन ये फिल्म पूरी नहीं हो पाई. अपने नखरों से किशोर कुमार ने फिल्म के निर्माण को बहुत नुकसान पहुंचाया और इसे बंद करना पड़ा.
14. जुहू में समंदर के ठीक सामने उनका 25 कमरों वाला बंगला था. उनके पास सात गाड़ियां थीं. हफ्ते के हर दिन के लिए अलग-अलग. उनके पास चेंबूर में आशा स्टूडियो भी था.
15. उत्तरोत्तर असफलता के बाद वे दादर में दो कमरे वाली चॉल में रहने लगे. वहीं देहांत हुआ.16. ब़ॉम्बे टु गोवा (1972) कमर्शियल और सोलो हीरो के तौर पर अमिताभ बच्चन की पहली फिल्म थी. लेकिन तब तक उन्हें नाचना नहीं आता था. बस में एक गाना था देखा न हाय रे सोचा न हाय रे रख दी निशाने पे जां.. इसमें वे नाच नहीं पा रहे थे. बाद में धीरे-धीरे बच्चन ने नाचने की एक स्टाइल विकसित की. हाथ आगे निकालकर धीरे-धीरे पैरों को हिलाना और ठुमकना. ये भगवान दादा स्टाइल थी. बच्चन के डांस की प्रेरणा भगवान दादा ही थे. बॉलीवुड में आज तक कोरियोग्राफर्स भगवान दादा स्टेप जैसी टर्म का उपयोग करते हैं. इस स्टाइल में अधिकतम भारतीय शादियों, पार्टियों में नाचते आ रहे हैं.
17. गोविंदा और मिथुन समेत बहुत से स्टार्स के डांस में भगवान दादा का बड़ा असर है. (इस गाने में खुद दादा भी नजर आते हैं)18. ऋषि कपूर को खुद भगवान दादा ने डांस के स्टेप सिखाए थे जब ऋषि किशोरवय थे. वे उनका बहुत अहसान मानते थे.
19. 1940 से पहले की भगवान दादा की फिल्मों की रील अब उपलब्ध नहीं हैं. क्योंकि मुंबई के गोरेगांव में फिल्मी नेगेटिव्ज़ के एक गोदाम में आग लग गई थी जिससे उनकी पूर्व की सारी फिल्में जल गईं.
20. उनके द्वारा निर्देशित अलबेला
भारत में ही नहीं पूर्वी अफ्रीका में भी बहुत लोकप्रिय थी.
21. उन्होंने जीवन में 300 से ज्यादा फिल्मों में एक्टिंग की लेकिन मराठी भाषी होने के बावजूद कभी भी कोई मराठी फिल्म नहीं की.22. वे शेव्रले कारों के इतने शौकीन थे कि सिर्फ इसलिए शेव्रले नाम की एक फिल्म में काम किया.
23. भगवान दादा ने ही दोस्त और संगीतकार सी. रामचंद्र को फिल्मों में मौका दिया जिन्होंने 100 से ज्यादा फिल्में कीं. ऐ मेरे वतन के लोगों और ये जिंदगी उसी की है जैसे आइकॉनिक गाने उन्होंने ही संगीतबद्ध किए.
24. गीतकार आनंद बक्शी को भी फिल्मों में लाने में भगवान दादा का योगदान था. बक्शी साहब ने दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे, अमर प्रेम, आराधना, शोले, परदेस, मोहरा, यादें, ख़ुदा गवाह
जैसी 600 से ज्यादा फिल्मों में गीत लिखे थे.
https://www.youtube.com/watch?v=r7NVIwO8_pI
25. हेमंत कुमार को भी उनकी पहली बड़ी फिल्म नागिन (1954) दिलवाने में दादा की भूमिका रही.26. गुरबत के दौर में सब दोस्तों ने उनका साथ छोड़ दिया. लेकिन ओम प्रकाश, सी. रामचंद्र और राजिंदर कृष्ण जैसे दोस्त थे जो अंतिम समय तक चॉल में उनसे मिलने जाते रहे.
27. शराब से उन्हें बहुत लगाव था. बहुत पी. इतनी कि एक दोस्त ने मजाक में कहा था कि वे लोग खाली बोतलें भी बेचते तो बांद्रा में बंगला खरीद सकते थे. कथित तौर पर दादा शराब की बोतल लिए ही मरना चाहते थे. उनकी मृत्यु दिल का दौरा पड़ने से हुई.
28. उनकी मृत्यु पर 2002 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने शोक प्रकट किया था. उन्होंने अपने संदेश में कहा था कि भगवान दादा ने अपनी अदाकारी और नृत्य के विशेष अंदाज के माध्यम से हिंदी सिनेमा में हास्य अभिनेताओं की पूरी पीढ़ी को प्रेरित किया है.
29. भगवान दादा ने एक तमिल फिल्म वना मोहिनी (1941) का निर्देशन भी किया था. ये फिल्म कई मायनों में मील का पत्थर मानी जाती है. इस फिल्म में मुख्य भूमिका एक हाथी चंद्रू और श्रीलंकाई एक्ट्रेस के. थवमनी देवी ने की थी. ये पहली फिल्म थी जिसमें किसी हाथी को क्रेडिट्स में प्रमुख रखा गया.30. थवमनी को इस फिल्म से लॉन्च किया गया था और इसके बाद उन्हें करियर में पीछे मुड़कर नहीं देखना पड़ा. ये फिल्म हॉलीवुड की जंगल से प्रेरित थी. उसमें डोरोथी लमूर ने सरोन्ग
पहना था जो हवाई में समंदर किनारे पहना जाने वाला वस्त्र है. थवमनी ने भी फिल्म में इसे पहना. ऐसी ये पहली तमिल फिल्म थी. इस फिल्म के बाद थवमनी फिल्मों में अपने परिधान खुद डिजाइन करती थीं, मेकअप खुद करती थीं और करार में इसे लेकर विशेष शर्त रखती थीं.
32. एक घटना जिसके लिए शायद उन्हें कभी न भूला जा सकेगा वो ललिता पवार से जुड़ी है. 1942 में एक फिल्म की शूटिंग के दौरान भगवान दादा को एक थप्पड़ ललिता को मारना था. उन्होंने इतनी जोर से मार दिया कि ललिता चोटिल हो गईं. उनकी बाईं आंख की एक नस अंदर से फट गई. उनके मुंह के बाईं ओर लकवा हो गया. तीन साल उनका इलाज चला लेकिन आंख सही नहीं हो पाई.31. शूटिंग के दौरान भगवान दादा खड़े खड़े सो जाते थे.

33. ललिता पवार का चेहरा उसके बाद हमेशा के लिए बदल गया. एक्ट्रेस के तौर पर उनका प्रोफाइल भी. उन्हें नेगेटिव रोल बहुत मिलने लगे. बाद में बुरी औरत के किरदारों में अपनी लोकप्रियता का श्रेय वे भगवान दादा को देती थीं.
34. 1947 में भारत-पाक बंटवारे के दौरान दंगे शुरू हो गए. तब भगवान दादा ने मुंबई के भिंडी बाजार में रह रहे मुसलमान कलाकारों और टेक्नीशियंस को सुरक्षा दी.
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जिसे हमने पॉर्न कचरा समझा वो फिल्म कल्ट क्लासिक थी
भारतीय सेना की अनूठी कहानियों पर एक-दो नहीं, 8 फिल्में बन रही हैं!
आपने किसे देखा था भीगी साड़ी में ज़ीनत अमान को या भगवान शिव को?
राज कुमार के 42 डायलॉगः जिन्हें सुनकर विरोधी बेइज्ज़ती से मर जाते थे!
‘बादशाहो’ की असल कहानीः ख़जाने के लिए इंदिरा गांधी ने गायत्री देवी का किला खुदवा दिया था!
बाला: वह डायरेक्टर जो एक्टर्स की ऐसी तैसी करता है और वे करवाते हैं
इंडिया का पहला सुपरस्टार, जिसने पत्नी की न्यूड पेंटिंग बनाई, अफेयर कबूले
वो 12 हीरोइन्स जिन्होंने अपनी फिल्मों के डायरेक्टर्स से शादी की
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