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Maharashtra Election: छगन भुजबल जीते तो पता चला, जनता ने शरद पवार को किस हद तक किनारे कर दिया

Maharashtra Election Yevla Result: चुनाव आयोग के मुताबिक येवला सीट पर भुजबल को 1 लाख 35023 लोगों ने वोट दिया है. इस सीट पर भुजबल का मुकाबला राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के कैंडिडेट माणिकराव शिंदे से था.

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छगन भुजबल शरद पवार की गुट वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP)से अलग हो गए थे, इसके बाद शरद पवार ने उनके खिलाफ प्रचार किया. (फ़ोटो/इंडिया टुडे)

Maharashtra Election Yevla Result Live: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में येवला (Yevla) सीट का मुकाबला काफी दिलचस्प रहा. यह सीट अजित पवार की NCP के छगन भुजबल के कारण काफी चर्चा में रही. छगन भुजबल, शरद पवार के गुट वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) से अलग हो गए थे. इसके बाद शरद पवार ने उनके खिलाफ प्रचार किया. 23 नवंबर को हुई चुनाव आयोग की काउंटिंग के मुताबिक छगन भुजबल 26400 वोटों से जीत चुके हैं.

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चुनाव आयोग के मुताबिक येवला सीट पर भुजबल को 1 लाख 35023 लोगों ने वोट दिया है. इस सीट पर भुजबल का मुकाबला राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के कैंडिडेट माणिकराव शिंदे से था. माणिकराव को कुल 1 लाख 8623 वोट मिले हैं. छगन भुजबल ने उन्हें 26400 वोटों से हराया है. माणिकराव शिंदे पहले भुजबल के सहयोगी रह चुके हैं. वह पूर्व विधायक मधुकरराव शिंदे के बेटे हैं.

साल 2009 में मधुकरराव शिंदे और छगन भुजबल का येवला सीट पर मुकाबला हुआ था. उस समय पहली बार छगन की येवला सीट से 50,000 वोटों से जीत हुई थी. इसके बाद साल 2014 में छगन 46 हजार वोटों के अंतर से जीते थे. 2019 में छगन ने 56 हजार वोटों के अंतर से शिवसेना के उम्मीदवार संभाजी साहेबराव पवार को हराया था.

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पुराने खिलाड़ी हैं भुजबल

छगन भुजबल ने 1973 में अपना सियासी सफर शुरू किया था. उसी साल उन्होंने शिवसेना से नगरसेवक का चुनाव लड़ा और जीता था. भुजबल 1973 से 1984 तक मुंबई नगर निगम में विपक्ष के नेता रहे. बाद में 1985 में मेयर बने. 1991 में कांग्रेस में शामिल हुए. इसके बाद 1999 में वो शरद पवार के नेतृत्व वाली NCP में शामिल हो गए थे. लेकिन जुलाई 2023 में जब एनसीपी दो फाड़ हुई तो छगन ने अजित पवार को अपना नेता चुना और उनके साथ चले गए.

इस चुनाव में शरद पवार ने येवला में एक चुनावी रैली की थी. इसमें उन्होंने भीड़ को संबोधित करते हुए 2019 के चुनावों के दौरान "गलत उम्मीदवार" देने के लिए माफ़ी मांगी थी. पवार ने मतदाताओं से भावनात्मक अपील की थी और उनसे भुजबल को हराने का आग्रह किया था. उन्होंने भुजबल को ‘विश्वासघाती’ कहा था. हालांकि जनता ने सीनियर पवार का आग्रह अस्वीकार कर छगन भुजबल को जिताया है.

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