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Bihar Election Result: नीतीश कुमार के सब मंत्री जीते, बस एक मंत्री का काम खराब हो गया

Chakai Election Result 2025: RJD की Savitri Devi चुनाव जीत चुकी हैं. उन्होंने JDU उम्मीदवार और बिहार सरकार में मंत्री Sumit Kumar Singh को हराया है.

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RJD उम्मीदवार सावित्री देवी(बाएं) ने बिहार में मंत्री और JDU के सुमित कुमार सिंह(दाएं) को हरा दिया है. (फोटो- सोशल मीडिया)

बिहार के जमुई जिले की चकाई विधानसभा सीट से राज्य सरकार में मंत्री सुमित कुमार सिंह को हार मिली है. उन्हें राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की प्रत्याशी सावित्री देवी ने हरा दिया है. सुमित जनता दल यूनाइडेट के उम्मीदवार थे. वो समाजवादी नेता श्रीकृष्ण सिंह के पोते भी हैं. सुमित कुमार सिंह एकमात्र ऐसे मंत्री हैं, जिनको इस चुनाव में हार मिली है. बाकी सभी मंत्रियों ने अपनी सीटें निकाल ली हैं.

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चुनाव आयोग की वेबसाइट के मुताबिक, सावित्री देवी को 80,357 वोट मिले. जबकि सुमित कुमार सिंह को 67,385 लोगों ने वोट दिया. यानी दोनों के बीच वोटों का अंतर 12,972 रहा.

पिछले चुनाव में सुमित सिंह ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था, और तब की आरजेडी उम्मीदवार सावित्री देवी को हरा दिया था. दोनों के बीच वोटों का अंतर 500 के करीब था. उससे भी पहले साल 2015 में आरजेडी से सावित्री देवी ने चुनाव जीता था. उन्होंने तब के निर्दलीय प्रत्याशी सुमित कुमार सिंह को करीब 12 हजार वोटों से हराया था.

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बता दें कि सुमित कुमार सिंह के दादा श्रीकृष्ण सिंह, उनके पिता नरेंद्र सिंह और भाई अभय सिंह यहां से विधायक रहे हैं. चकाई विधानसभा सीट पर यादव वोट निर्णायक भूमिका में रहे हैं. साथ ही, यहां मुस्लिम और राजपूत वोट भी काफी संख्या में हैं. चकाई विधानसभा सीट पर अब तक कुल 16 चुनाव हुए हैं. इनमें से 13 चुनाव में दो परिवारों के छह लोग विधायक बन चुके हैं.

चंद्रशेखर सिंह, जो पहले झाझा से तीन बार विधायक रह चुके थे, 1962 में वहां से चुनाव हार गए. लेकिन 1972 में उन्होंने चकाई से जीत हासिल की. यही सीट आगे चलकर उन्हें मुख्यमंत्री पद और फिर केंद्र में पेट्रोलियम मंत्री बनने की सीढ़ी बनी. चकाई की सत्ता पर कब्जा सिर्फ श्रीबाबू और चंद्रशेखर सिंह के इर्द-गिर्द ही घूमता रहा. लेकिन 1977 में एक नाम उभरा जिसने सबको चौंका दिया, फाल्गुनी यादव. न पार्टी, न संगठन, सिर्फ जनसमर्थन. निर्दलीय चुनाव लड़कर उन्होंने दो पूर्व मुख्यमंत्रियों की परंपरा को पहली बार रोका. वे 1977, 1980 और फिर 1995 में इस सीट से विधायक बने. उनके निधन के बाद उनकी पत्नी सावित्री देवी ने भी इस विरासत को आगे बढ़ाया और 2015 में राजद के टिकट पर विधायक बनीं.

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