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बिहार चुनाव: जब एक विधायकी सीट के लिए इंदिरा गांधी और मोरारजी देसाई में टक्कर हुई

जनता पार्टी के नेता त्रिपुरारी सिंह ने अपने प्रचार में प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई को बुलाया, तो उनके प्रतिद्वंद्वी पंचानन सिंह ने भी अपनी ओर से कोई कसर बाकी नहीं रखी. उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस नेता इंदिरा गांधी को अपने प्रचार के लिए बुलाया. इंदिरा गांधी हेलीकॉप्टर से जमुई के केकेएम कॉलेज ग्राउंड में उनका प्रचार करने पहुंची थीं.

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जमुई सीट पर इंदिरा गांधी और मोरारजी देसाई दोनों ने प्रचार किया (इंडिया टुडे, फाइल फोटो)

साल 1977. लोकसभा चुनाव हो चुके थे. कांग्रेस को करारी शिकस्त मिली थी. जनता पार्टी की सरकार बनी. मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने. इसके बाद उन्होंने 9 राज्यों की विधानसभा भंग कर दी. इसमें बिहार भी था. जून 1977 में बिहार में विधानसभा चुनाव हुए. इस चुनाव में कई हाई प्रोफाइल मुकाबले हुए. लेकिन जमुई सीट पर हुए मुकाबले ने सबका ध्यान खींचा. क्योंकि इस सीट से चुनाव लड़ रहे अपने-अपने दल के प्रत्याशियों के प्रचार में प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी दोनों ने जोर आजमाइश की थी.

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जमुई से जनता पार्टी के प्रत्याशी थे त्रिपुरारी सिंह. वहीं कांग्रेस से पंचानन सिंह चुनावी मैदान में थे. तब के दौर में किसी विधानसभा चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी विशेष के चुनाव प्रचार या फिर जनसभा में प्रधानमंत्री का आना एक दुर्लभ घटना होती थी. लेकिन त्रिपुरारी सिंह के राजनीतिक संबंधों की वजह से तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने उनके पक्ष में चुनावी सभा को संबोधित किया था.

चार्टर प्लेन से पहुंचे मोरारजी देसाई

मोरारजी देसाई दिल्ली से सेवेन सीटर चार्टर प्लेन से बिठलपुर स्थित एयर स्ट्रिप पर उतरे थे. और उसके बाद सड़क के रास्ते जमुई के महाराजगंज स्थित गांधी पार्क में पहुंच कर सभा की थी. जमुई और आसपास के इलाकों के लिए यह पहला मौका था, जब कोई प्रधानमंत्री उनके यहां चुनाव प्रचार करने पहुंचा था. समाजवादी आंदोलन से जुड़े उमेश प्रसाद सिंह ने बताया कि उस सभा में प्रधानमंत्री को देखने और सुनने के लिए जनसैलाब उमड़ा था.

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हेलीकॉप्टर से पहुंचीं इंदिरा गांधी

जनता पार्टी के नेता त्रिपुरारी सिंह ने अपने प्रचार में प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई को बुलाया, तो उनके प्रतिद्वंद्वी पंचानन सिंह ने भी अपनी ओर से कोई कसर बाकी नहीं रखी. उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस नेता इंदिरा गांधी को अपने प्रचार के लिए बुलाया. इंदिरा गांधी हेलीकॉप्टर से जमुई के केकेएम कॉलेज ग्राउंड में उनका प्रचार करने पहुंची थीं.

यह चुनाव समाजवादी विचारधारा और कांग्रेसी विचारधारा के बीच की लड़ाई बन गया था. त्रिपुरारी सिंह के प्रचार में जनता पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष चंद्रशेखर, पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर, रामकृष्ण हेगड़े और आचार्य जेबी कृपलानी ने भी जनसभा की थी.

राष्ट्रीय स्तर पर भी थी सबकी नजरें

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जमुई विधानसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के कई सियासी दिग्गजों के ताबड़तोड़ चुनाव प्रचार और जनसभा ने इस चुनावी मुकाबले को काफी अहम बना दिया. जाहिर है परिणाम पर राज्य से लेकर राष्ट्रीय स्तर की बड़ी-बड़ी सियासी हस्तियों की नजरें टिकी हुई थीं. बाजी मारी त्रिपुरारी सिंह ने. प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई और जनता पार्टी अध्यक्ष चंद्रशेखर और पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की मेहनत रंग लाई थी. जनता पार्टी प्रत्याशी त्रिपुरारी भारी अंतर से जीत कर विधायक चुने गए. कांग्रेस प्रत्याशी पंचानन सिंह के पक्ष में इंदिरा गांधी का प्रचार करना भी नाकाफी रहा.

त्रिपुरारी सिंह को इस चुनाव में 45 हजार 943 वोट मिले. वहीं पंचानन सिंह के खाते में मात्र 18 हजार 789 वोट आए. उनको 27 हजार 154 वोट से करारी शिकस्त मिली. साल 1977 में 324 सीटों के लिए हुए बिहार विधानसभा चुनाव में जनता पार्टी को 214 सीट मिलीं. वहीं कांग्रेस मात्र 57 सीटों पर सिमट गई, जबकि कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (CPI) के खाते में 21 सीटें आईं.

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चुनाव नतीजों के बाद बिहार में जनता पार्टी की सरकार बनी. और कर्पूरी ठाकुर को मुख्यमंत्री बनाया गया. उन्होंने मुख्यमंत्री पद के लिए पार्टी के भीतर हुए चुनाव में सत्येंद्र नारायण सिन्हा को हराया. मुख्यमंत्री पद के लिए सत्येंद्र नारायण सिन्हा 84 विधायकों की पसंद थे. वहीं कर्पूरी ठाकुर को 144 विधायकों ने वोट किया. त्रिपुरारी सिंह को भी जमुई से चुनाव जीतने का इनाम मिला. उन्हें विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया.

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