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दिल्ली में सबसे बड़ा डिजिटल अरेस्ट, टेरर फंडिंग का डर दिखाकर पूर्व बैंकर से लूटे 23 करोड़ रुपये!

Digital Arrest Scam: पूर्व बैंकर को कथित तौर पर NIA एक्ट के आधार पर गिरफ्तार करने की धमकी दी गई. आरोप है कि स्कैमर्स ने उन्हें बकायदा अरेस्ट वारंट तक भेजा था. उन्हें कथित तौर पर प्रॉपर्टी सीज करने की भी धमकी दी गई.

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दिल्ली में पूर्व बैंकर को स्कैमर्स ने डिजिटल अरेस्ट कर ठगी की. (India Today)
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अरविंद ओझा

देश की राजधानी दिल्ली में एक पूर्व बैंकर को डिजिटल अरेस्ट कर करीब 23 करोड़ रुपये की ठगी की गई. आरोप है कि पीड़ित को डेढ़ महीने तक डिजिटल अरेस्ट करके रखा गया. 23 करोड़ रुपये की ठगी के साथ इसे भारत का सबसे बड़ा डिजिटल अरेस्ट स्कैम बताया जा रहा है. जानकारी के मुताबिक, पूर्व बैंकर को डराया गया कि उनका पैसा टेरर फंडिग में खर्च किया गया है.

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पीड़ित पूर्व बैंकर का नाम नरेश मल्होत्रा है. साउथ दिल्ली के पॉश इलाके में अपनी कोठी में अकेले रहने वाले मल्होत्रा को 1 अगस्त से 16 सितंबर तक डिजिटल अरेस्ट रखा गया. आजतक से जुड़े अरविंद ओझा ने उनसे बातचीत की तो पता चला कि एक महिला ने टेलीकॉम कंपनी की कर्मचारी बनकर उनसे बात की थी. 

डिजिटल अरेस्ट की वारदात बयान करते हुए नरेश मल्होत्रा ने बताया,

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"1 अगस्त को मुझे लगभग शाम को 4:30 बजे मेरी लैंडलाइन पर एयरटेल हेडक्वार्टर से फोन आता है कि हम एयरटेल से बोल रहे हैं और हम आपका संपर्क मुंबई हेडक्वार्टर पुलिस के साथ करा रहे हैं क्योंकि आपके आधार के बेस पर आपका बॉम्बे में एक लैंडलाइन खुल गया है. उसके तहत कई बैंकों में अकाउंट खुल गए हैं. एक कोऑपरेटिव बैंक में 1300 करोड़ का घोटाला हुआ है. उसके तहत ये पैसा वहां से टेरर फंडिंग और पुलवामा अटैक में आर्म्स और एम्युनिशन खरीदने के लिए इस्तेमाल हुआ है."

पूर्व बैंकर को कथित तौर पर NIA एक्ट के आधार पर गिरफ्तार करने की धमकी दी गई. आरोप है कि स्कैमर्स ने उन्हें बकायदा अरेस्ट वारंट तक भेजा था. उन्हें कथित तौर पर प्रॉपर्टी सीज करने की भी धमकी दी गई. इसके बाद साइबर जालसाज मुंबई पुलिस, एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ED) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के अधिकारी बनकर उनसे लगातार बात करते रहे.

4 अगस्त से 4 सितंबर तक डिजिटल अरेस्ट करने के दौरान उनसे पहले 12.84 करोड़ रुपये वसूले गए. फिर 9.90 करोड़ रुपये की ठगी हुई. कुल मिलाकार नरेश मल्होत्रा के साथ 22.92 करोड़ रुपये का फ्रॉड हुआ.

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साइबर जालसाजों ने उनसे घर, बैंक अकाउंट, एफडी, लॉकर्स, स्टॉक्स आदि की जानकारी मांगी. पीड़ित के अनुसार, स्कैमर्स ने सीक्रेट एक्ट का हवाला देकर उनसे किसी से भी बात ना करने के लिए कहा था.

नरेश मल्होत्रा ने बताया कि उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग के केस में फंसाने की धमकी दी गई और उनकी मौजूदगी कंफर्म करने के लिए स्टेटस मांगे गए. आरोप है कि उन्हें बैंक में जाकर कैमरा के आगे खड़े होकर बताना पड़ता था कि वे बैंक आ गए हैं.

नरेश मल्होत्रा ने बताया,

"मैं बहुत डरा हुआ था. परिवार के सभी लोगों से मिलता था, लेकिन किसी को कुछ नहीं बताता था क्योंकि वो कहते थे कि हमारे सीक्रेट एजेंट आपके पीछे लगे हैं. आप 24 घंटे हमारी सर्विलांस में हैं."

मल्होत्रा ​​ने शुरुआत में इस घटना के बारे में चुप्पी साधे रखी, लेकिन बाद में उन्होंने नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराई. मामला अब दिल्ली पुलिस की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस (IFSO) यूनिट को सौंप दिया गया है.

पुलिस ने बताया कि वो अलग-अलग बैंक अकाउंट में जमा 12.11 करोड़ रुपये को जब्त करने में कामयाब रही है, लेकिन गबन की गई ज्यादातर रकम पहले ही कई बैंकों के जरिए देशभर में अलग-अलग जगहों से निकाली जा चुकी थी.

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