आम आदमी पार्टी (AAP) के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में शिक्षा के क्षेत्र में काम का श्रेय हमेशा मनीष सिसोदिया को दिया है. सिसोदिया जब पहली बार चुनाव जीते तब इस बात पर स्पष्टता नहीं थी कि वो कौन-सा विभाग संभालेंगे. केजरीवाल ने उनको शिक्षा के लिए चुना. इसके बाद शिक्षा क्षेत्र को लेकर मनीष सिसोदिया के दावों को सालोंसाल हेडलाइंस मिलीं. पार्टी ने चुनावों में भी इसे खूब भुनाया और अब भी कोशिश जारी है. दिल्ली के सीएम रहे अरविंद केजरीवाल ने तो एक बार यहां तक कह दिया कि मनीष सिसोदिया को उनके कामों के लिए भारत रत्न मिलना चाहिए.
मनीष सिसोदिया की जगह पटपड़गंज से अवध ओझा को टिकट देने की वजह सिर्फ शिक्षा नहीं है
Arvind Kejriwal ने Manish Sisodia को शिक्षा के ब्रांड के तौर पर पेश किया. एक बार उन्होंने यहां तक कह दिया कि मनीष सिसोदिया को उनके कामों के लिए भारत रत्न मिलना चाहिए. लेकिन अब ये जिम्मेदारी केजरीवाल ने अवध ओझा को दे दी है.

लेकिन अब ये जिम्मेदारी केजरीवाल ने अवध ओझा को दे दी है. बीती 2 दिसंबर को अवध ओझा को पार्टी की सदस्यता देते हुए उन्होंने कहा था,
शिक्षा क्षेत्र के दिग्गज अवध ओझा, दिल्ली की शिक्षा क्रांति से प्रभावित होकर AAP में शामिल हुए हैं. हमारे प्रयासों को और आगे बढ़ाने के लिए उनका स्वागत है.
केजरीवाल ने उनको शिक्षा क्षेत्र का दिग्गज तो बताया ही, साथ ही ये भी कहा कि वो इसी क्षेत्र में काम करेंगे. इस बात की पुष्टि अवध ओझा ने भी की. उन्होंने कहा,
अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया ने मुझे राजनीति में आने और शिक्षा क्षेत्र के लिए काम करने का मौका दिया है. मैं अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत में ये कहना चाहता हूं कि मेरा प्राथमिक ध्यान शिक्षा क्षेत्र के विकास पर रहेगा.
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सवाल उठे कि अब तक जिस शिक्षा क्षेत्र की जिम्मेदारी सिसोदिया संभाल रहे थे, क्या अब वो अवध ओझा के जिम्मे दी जा रही है. अभी ये बातें चल ही रही थीं कि एक और खबर आई. ये भी एक ऐसा मौका था, जब अवध ओझा ने मनीष सिसोदिया की जगह ली थी. 9 दिसंबर को पार्टी ने अपने उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी की. इस लिस्ट में अवध ओझा का भी नाम था. लेकिन किस सीट से?
ओझा को पटपड़गंज की सीट से टिकट मिला. वही सीट जहां से सिसोदिया ने अपनी चुनावी राजनीति की शुरुआत की. 2013, 2015 और 2020 में वहां से उनको जीत मिली थी
‘AAP की मार्केटिंग के लिए फिट हैं Awadh Ojha’इंडिया टुडे से जुड़े कुमार कुणाल AAP के इस सियासी और चुनावी दांव को लेकर कहते हैं,
मनीष सिसोदिया के लिए एक सेफ सीट चाहिए थी. लेकिन उसके लिए कारण भी दिखाने थे. इसलिए किसी ऐसे को लाना था जिसे जस्टिफाई किया जा सके. इसलिए अवध ओझा को वहां (पटपड़गंज) से टिकट दिया गया.
मनीष सिसोदिया पटपड़गंज से जीतते रहे हैं, लेकिन ये चुनावी जीतें बहुत बड़े मार्जन के साथ नहीं मिलीं. 2013 में लगभग 11 हजार वोटों से तो 2015 में लगभग 28 हजार वोटों से जीत मिली. 2020 में तो जीत का अंतर बहुत कम रह गया. भाजपा के रविंद्र सिंह नेगी ने ऐसी टक्कर दी कि सिसोदिया मात्र 3000 वोटों से जीत पाए.
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इस बार वे जंगपुरा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. पटपड़गंज सीट छोड़ते हुए मनीष सिसोदिया ने कहा कि वे ओझा के ‘शिक्षा के विजन’ से प्रभावित हैं, और इसलिए ये सीट छोड़ रहे हैं. उन्होंने कहा,
अवध ओझा के विचारों ने मुझे प्रभावित किया. उन्होंने कहा कि वो एक शिक्षाविद् हैं और उनकी सबसे बड़ी इच्छा है कि वो अपनी राजनीतिक यात्रा शिक्षा की प्रयोगशाला पटपड़गंज से शुरू करें. शिक्षा के प्रति उनका दृष्टिकोण और जुनून मेरे लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया.
कुमार कुणाल इस बारे में कहते हैं,
AAP की USP है- हेल्थ और एजुकेशन. दिल्ली के स्कूलों में सिसोदिया ने जो काम किया है और उनका शिक्षा को लेकर जो नाम है, उनकी जगह देने के लिए अवध ओझा जैसे उम्मीदवार की ही जरूरत थी. ओझा शिक्षा से जुड़े हैं तो पार्टी तो इसको कैश कराएगी ही. इसलिए उनकी इस तरह मार्केटिंग की जा रही है.
उधर BJP ने पटपड़गंज से इस बार भी रविंद्र सिंह नेगी को ही टिकट दिया है. इस चुनाव क्षेत्र में पूर्वांचली और पहाड़ी वोटर्स की संख्या ठीक-ठाक है. ऐसे में कास्ट और रीजन का भी एंगल आया. नेगी की पहाड़ी उम्मीदवारी के सामने पूर्वांचली चेहरे को खड़ा किया गया. कुणाल बताते हैं,
शिक्षा वाले एंगल से तो ओझा फिट थे ही, उनको टिकट देकर AAP ने पहाड़ी बनाम पूर्वांचली मुकाबला कर दिया है. इसके अलावा ओझा की सोशल मीडिया पर भी काफी रीच है… तो पार्टी के लिए ये भी फायदेमंद है. इस तरह तीन बातें हैं जिन पर ओझा फिट बैठते हैं- शिक्षा से लगाव, पूर्वांचली चेहरा और सोशल मीडिया.
हालांकि, कुणाल ये भी कहते हैं कि ये सारे फॉर्मूले लगा लेने से भले ही ओझा पार्टी के लिए परफेक्ट विकल्प हों, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि उनकी जीत पक्की हो गई. ये तो आने वाले चुनाव में ही पता चलेगा.
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