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SSC GD 2018: SSC ने कहा, योग्य अभ्यर्थी न मिलने की वजह से खाली रह गईं 4 हजार सीटें

SSC ने कॉन्स्टेबल जनरल ड्यूटी की भर्ती जुलाई 2018 में निकाली थी. ये भर्ती कुल 60 हजार 210 पदों के लिए जारी हुई थी. लेकिन जॉइनिंग मिली केवल 55,913 कैंडिडेट्स को.

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नागपुर से दिल्ली पैदल मार्च करते SSC GD 2018 कैंडिडेट्स (फोटो- स्पेशल सोर्स)

SSC GD 2018 में खाली सीटों को भरने की मांग को लेकर कैंडिडेट्स का नागपुर से दिल्ली पैदल मार्च जारी है. इसी बीच स्टाफ सेलेक्शन कमीशन (SSC) की तरफ से अभ्यर्थियों के एक सवाल का जवाब समाने आया है. जिसमें SSC की तरफ से कहा गया है कि 4 हजार पदों पर पात्र अभ्यर्थी उपलब्ध ने होने के कारण उन्हें भरा नही जा सका है. क्या है पूरा मामला और क्यों अभी तक प्रदर्शन थमा नही है, एक-एक करके समझते हैं.

गृह मंत्रालय और SSC ने दिया अलग-अलग जवाब

SSC GD 2018 भर्ती से जुड़े अभ्यर्थियों ने स्टाफ सेलेक्शन कमीशन को पत्र लिखकर जवाब मांगा था. इसमें ये कहा गया था कि 60 हजार 210 पदों पर जारी किये गये भर्ती नोटिफिकेशन में सिर्फ 55 हजार 912 पदों को ही भरा गया था. यानी 4 हजार पद खाली थे. इसपर जवाब देते हुए SSC ने कहा,

कुछ पदों को कोर्ट के विभीन्न आदेशों के तहत खाली रखा गया है और लगभग 4 हजार पदों को पात्र अभ्यर्थी उपलब्ध न होने के कारण भरा नहीं जा सका है.

वहीं लोक सभा सांसद जसबीर सिंह गिल के सवाल पर जवाब देते हुए गृह विभाग में राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि कांस्टेबल (जीडी) परीक्षा, 2018 की नहीं भर पायी रिक्तियों को अगली भर्ती परीक्षा, 2021 के लिये आगे बढ़ा दिया गया है. इसके लिये दिनांक 17 जुलाई 2021 को 25 हजार 271 पदों को भरने के लिये नोटिफिकेशन जारी किया जा चुका है. और इस भर्ती के लिये लिखित परीक्षा दिनांक 16 नवंबर 2021 से 15 दिसंबर 2021 के बीच पूरी की जा चुकी है.

SSC और गृह मंत्रालय की तरफ से दिये गये जवाब एक जैसे नही हैं. एक तरफ कहा गया है कि उन 4 हजार पदों को इसलिये नही भरा जा सका है क्योंकि पात्र उम्मीदवार नही उपलब्ध थे. जबकी दूसरी तरफ से जवाब दिया गया कि खाली पदों को अगली भर्ती में शामिल कर दिया गया है. भर्ती से जुड़े केशव ने बताया, 

जनवरी में हमने PMO को पत्र लिख ये जानना चाहा था कि 4 हजार पदों को क्यों नही भरा गया है. जबकी हम लोगों ने परीक्षा की सारी स्टेज पास कर ली थी. लेकिन PMO की तरफ से  जवाब आया कि इन पदों पर पात्र उम्मीदवार नही मिले. ऐसा कैसे हो सकता है, वो भी जब हम परीक्षा के सारे स्टेज क्लियर कर चुके हैं.

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1 लाख 9 हजार 552 उम्मीदवार योग्य पाये गये थे

स्टाफ सेलेक्शन कमीशन यानी SSC ने कॉन्स्टेबल जनरल ड्यूटी की भर्ती जुलाई 2018 में निकाली थी. आसान भाषा में इसे SSC GD 2018 कहा जाता है. ये भर्ती पैरामिलिट्री फोर्सेज CRPF, ITBP, BSF, CISF, NIA और असम राइफल्स में सिपाहियों के 54 हजार पदों पर भर्ती के लिए निकाली गई थी. बाद में पदों की संख्या बढ़ाकर 60 हजार 210 कर दी गई. भर्ती तीन चरणों में होती है- रिटन एग्जाम, फिजिकल टेस्ट और मेडिकल टेस्ट. रीटेन एग्जाम में कुल 30 लाख 41 हजार 284 कैंडिडेट्स ने हिस्सा लिया था. 

2018 में SSC ने कॉस्टेबल जनरल ड्यूटी के 60,210 पदों पर वैकेंसी निकाली थी.

 परीक्षा पास की 5 लाख 54 हजार 903 अभ्यर्थियों ने. इसके बाद हुए डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन में कुल 1 लाख 52 हजार 265 अभ्यर्थियों के डॉक्यूमेंट सही पाये गये और उन्हें मेडिकल परीक्षण के लिये बुलाया गया. मेडिकल परीक्षा में कुल 1 लाख 9 हजार 552 अभ्यर्थियों को योग्य पाया गया. इसके बाद SSC ने 21 जनवरी 2021 और 28 जनवरी 2021 को परीक्षा के अंतिम परिणाम घोषित किय, जिसमें कुल 55 हजार 913 अभ्यर्थियों का फाइनल सेलेक्शन हुआ था. योग्य कैंडिडेट न मिलने के सरकारी दावे पर सवाल उठाते हुए प्रदर्शनकारी कैंडिडेट कहते हैं, 

 रीटेन, फिजिकल और मेडिकल तीनों परीक्षा पास कर चुके कैंडिडेट्स की संख्या देखें तो पता चलता है जितने पदों पर भर्ती आई थी, परीक्षा पास करने वाले कैंडिडेट्स की संख्या उससे काफी ज्यादा थी. ऐसे में योग्य कैंडिडेट न मिलने का कोई मसला ही नहीं है. 

भर्ती से जुड़े कैंडिडेट्स का कहना है कि सरकार तक अपनी बात पहुंचाने के लिए उन्होंने कई सांसदों, मंत्रियों को पत्र लिखा. यहां तक कि केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भी गृह मंत्रालय को पत्र लिख मामले के बारे में अवगत कराया था लेकिन गृह मंत्रालय की तरफ से कोई जवाब नही मिला.

नागपुर से दिल्ली पैदल मार्च जारी

भर्ती में न्याय न मिल पाने की वजह से आखिर में थक-हार कर अभ्यर्थियों ने नागपुर से दिल्ली पैदल मार्च शुरू किया था. पैदल मार्च को अब 55 दिन हो चुके हैं.  पैदल मार्च करने के पीछे का मुख्य कारण SSC GD 2018 में खाली सीटों को भरना है. अभ्यर्थी इसके लिए पिछले डेढ़ साल से प्रदर्शन कर रहे हैं.  काफी समय तक इन अभ्यर्थियों ने दिल्ली में जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया. फिर नागपुर में 72 दिन तक अनशन पर बैठे रहे. लेकिन अब तक इनकी कोई सुनवाई नहीं हुई. प्रदर्शन में शामिल अभ्यर्थी केशव बताते हैं,

हम सभी कैंडिडेट अपने नियुक्ति पत्र के लिए पिछले 1 साल से दिल्ली में धरना प्रदर्शन कर रहे थे. हम युवाओं को वहां से कोई नहीं न्याय मिला तो हम लोग नागपुर (महाराष्ट्र) संविधान चौक पर 72 दिन लगातार आमरण अनशन पर बैठे रहे. 4 मई को केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री रामदास अठावले साहब ने वीडियो कांफ्रेंसिंग कर के हम युवाओं को अमित शाह से मुलाकात कर न्याय दिलाने की बात कह कर अनशन तुड़वाया. इसके बाद ये सुनने को मिल रहा है कि खाली पदों के लिये योग्य उम्मीदवार नही पाये गये.

पैदल मार्च कर रहे अभ्यर्थियों का कहना है कि आगरा में पुलिस ने आगे जाने से रोक दिया और हिरासत में ले लिया. पैदल मार्च में शामिल जितेंद्र ने बताया, 

आगरा के गुरुद्वारे में पुलिस प्रशासन ने साजिश के तहत रहने-खाने की व्यवस्था की थी. फिर सुबह 16 तारीख को सुबह 4 बजे जब हम लोग सभी साथी सोए थे तभी पुलिस आई और सभी साथियों को जगा कर हम लोगों को बसों में बैठा करके जबरदस्ती अलग-अलग जगहों पर ले जाया गया था. किसी को राजस्थान (धौलपुर ), किसी को मध्यप्रदेश ( मुरैना ), तो किसी को शिकोहाबाद ले जाया गया था.

जितेंद्र आगे बताते हैं कि यूपी पुलिस ने हमसे अभद्र व्यवहार किया. हमें धमकी भी दी गई और कहा गया कि तुम्हारी जिंदगी खराब कर देंगे फिर नौकरी लेते रहोगे. जितेंद्र ने बताया कि अलग-अलग लोकेशन से वापस आकर कैंडिडेट्स ने फिर से दिल्ली मार्च शुरू कर दिया है. 

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