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कान में ब्लूटूथ डिवाइस ठूसा, एग्जाम सॉल्वर गैंग के हथकंडे देख पुलिस को चक्कर आया!

UP STF ने कुछ भर्ती परीक्षाओं के दौरान एग्जाम सॉल्वर गैंग का भंडाफोड़ किया. 8-10 लाख रुपये में नकली अभ्यर्थी दे रहे थे परीक्षा.

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परीक्षा में नकल करने के लिए सॉल्वर गैंग दूसरे की जगह देते हैं परीक्षा, ब्लूटूथ का इस्तेमाल भी किया जाता है. (फोटो- आजतक और सोशल मीडिया)

भारत में ‘भर्ती परीक्षा’ और 'नकल' का कॉम्बिनेशन किसी से छुपा नहीं है. फिर चाहे उत्तर प्रदेश में कोई भर्ती हो, मध्य प्रदेश या राजस्थान में. भर्ती परीक्षा के साथ ‘नकल’ एक कीवर्ड की तरह काम करता है. ज्यादातर भर्ती परीक्षाएं ‘नकल’ के चक्कर में सालों लटकी रहती हैं. पर नहीं लटकते हैं नकल करने वालों के हौसले. जैसे परीक्षा निकालने के लिए नई ट्रिक्स और नए टिप्स पर अभ्यर्थी काम करते हैं, वैसे ही नकल करने वाले ‘नकल’ करने के नए तौर-तरीकों पर मानो रिसर्च किया करते हैं.

अब आप हालिया UPSSSC यानी उत्तर प्रदेश अधीनस्थ चयन आयोग की ग्राम पंचायत अधिकारी परीक्षा का उदाहरण ही ले लीजिए. परीक्षा के दौरान नकल करते हुए 14 नकलचियों को गिरफ्तार किया गया. इनमें से कुछ आरोपी अपने कान में ब्लूटूथ डिवाइस लगाकर नकल कर रहे थे. मामला सामने आया तो जांच हुई. जांच में परीक्षा में नकल करने के दो तरीकों का खुलासा हुआ. आइए जानते हैं कैसे नकलची या सॉल्वर गैंग विभिन्न परीक्षाओं में सेंध मार रहे हैं.

असली उम्मीदवार की जगह सॉल्वर

भर्ती परीक्षाओं में नकल करने का ये सबसे आम तरीका है. इसमें जो अभ्यर्थी असल में परीक्षा के लिए अप्लाई करता है, वो पेपर देने जाता ही नहीं है. उसकी जगह कोई और परीक्षा देने पहुंचता है. ‘सॉल्वर’ कहा जाता है इन्हें. लेकिन ये खेल इतना आसान भी नहीं है. इसके पीछे लंबी और जटिल प्लानिंग होती है.

असल अभ्यर्थी और सॉल्वर की फोटो को मर्ज कराया जाता है. यानी दोनों की फोटो मिक्स कराई जाती है. ये वही फोटो होती है जो अभ्यर्थी के एडमिट कार्ड में चस्पा होती है. इसी से उसकी पहचान होती है. किसी और से पेपर कराने वाले अभ्यर्थियों से सॉल्वर गैंग अच्छा-खासा पैसा लेकर उनकी जगह परीक्षा देने जाते हैं. लखनऊ से पकड़ा गया कैलाश प्रसाद एक ऐसा ही सॉल्वर है. उसने दो दिन में 3 अभ्यर्थियों की जगह परीक्षा दी. एक परीक्षा के लिए उसे 20 हजार रुपए मिल रहे थे. वहीं सॉल्वर गैंग के सरगना अभ्यर्थियों से 8-10 लाख रुपए की वसूली करते हैं.

लेकिन नकल करने के इस मेथड में एक दिक्कत है. फोटो तो मर्ज हो जाती है. पर अभ्यर्थी के फिंगर प्रिंट का क्या. वो मर्ज करना सबके बस का नहीं. एग्जाम सेंटर पर अभ्यर्थी के फिंगर प्रिंट का मिलान नहीं हो पाता है. रिजल्ट सॉल्वर पकड़े जाते हैं. किसी तरह बच गए तो किसी डिवाइस के साथ धर लिए जाते हैं.

टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कोई इनसे सीखे

असल अभ्यर्थी की जगह सॉल्वर की बात तो हो गई. इस तरीके के खतरों की बात भी निपट गई. तो इससे बचने के लिए दूसरा तरीका खोजा गया. टेक्नोलॉजी के सहारे के साथ. इसमें असल अभ्यर्थी ही परीक्षा देने जाता है. कान में ब्लूटूथ डिवाइस लगा कर. पेपर सामने आते ही अभ्यर्थी सारे सवाल तेज आवाज़ में पढ़ता है.

इस प्रक्रिया में दूसरी तरफ सॉल्वर बैठा होता है. माने सॉल्वर का इस्तेमाल यहां भी है. सॉल्वर कान में ब्लूटूथ डिवाइस लगाकर बैठा होता है. उसे सारे सवाल सुनाई देते हैं. वो सवालों का जवाब देता है. जिसे परीक्षा हॉल में बैठा अभ्यर्थी सुनता है और सही जवाब लिख देता है. या कहें की मार्क कर देता है.

10 जिलों से सॉल्वर गैंग के 30 सदस्य गिरफ्तार

उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में हो रही ग्राम पंचायत अधिकारी, ग्राम विकास अधिकारी और समाज कल्याण पर्यवेक्षक की लिखित परीक्षा के दूसरे दिन भी यूपी STF ने सॉल्वर गैंग के कई सदस्यों को पकड़ा. राजधानी लखनऊ, नोएडा, गाजियाबाद समेत 10 जिलों से सॉल्वर गैंग के 30 सदस्यों को गिरफ्तार किया गया. इनमें 2 महिलाएं भी शामिल हैं जो पैसा लेकर सॉल्वर की तरह परीक्षा दे रही थीं.

परीक्षा के दूसरे दिन STF के साथ जिला पुलिस ने भी कार्रवाई की. उसने दोनों शिफ्ट की परीक्षा में 87 लोगों को गिरफ्तार किया. इस तरह यूपी एसटीएफ और जिला पुलिस ने 2 दिनों तक चली इस परीक्षा में लगभग ढाई सौ लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा है.

बिहार से बुलाए गए सॉल्वर्स

UPSSSC परीक्षा में STF ने बरेली के हाफिजगंज थाना क्षेत्र से नकल करा रहे गिरोह के मुखिया नाजिम, 2 सॉल्वर, 2 कैंडिडेट, 1 हेल्पर और इस गैंग के लिए काम करने वाले ड्राइवर को भी गिरफ्तार किया है. पूछताछ में नाजिम ने बताया कि 2018 में हुई इसी परीक्षा में वह बिहार से सॉल्वर लाया था. फोटो मिक्सिंग के जरिए परीक्षार्थियों की जगह सॉल्वर ने परीक्षा दी थी. इस बार भी परीक्षा में बिहार से बुलाए गए सॉल्वर्स को एग्जाम में बैठाया गया था, जिन्‍हें UP STF ने गिरफ्तार किया है.

वहीं गोरखपुर से STF ने एक कैंडिडेट दीपांशु वर्मा और उसके साथी को गिरफ्तार किया है. दीपांशु वर्मा ने 2018 में ग्राम विकास अधिकारी के लिए परीक्षा दी थी. वो इस बार खुद सॉल्वर बनकर एग्जाम देने पहुंचा था.

वीडियो: 24 घंटे में मेरठ कमिश्नर का कुत्ता खोजने वाली यूपी पुलिस आम जनता के लिए इतनी तेज क्यों नहीं?