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इन IAS अधिकारियों के बोर्ड एग्जाम के नंबर शायद आपसे भी कम हों, मार्कशीट देख लीजिए!

छत्तीसगढ़ कैडर के IAS अधिकारी अवनीश शरण ने अपनी 10वीं की मार्कशीट ट्विटर पर शेयर की. मार्कशीट के मुताबिक अवनीश ने 10वीं क्लास थर्ड डिवीजन में पास की थी.

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IAS अवनीश शरण और उनकी 10वीं की मार्कशीट (फोटो सोर्स-Twitter)

जब 10वीं में ही नंबर ठीक नहीं आए तो आगे क्या करोगे? 
बस 12वीं कायदे से पास कर लो आगे तो करियर सेट है

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ये कुछ सलाहें हैं. जो बोर्ड एग्जाम के समय हर छात्र के पास आती ही हैं. रिजल्ट्स का महीना चल रहा है. कई राज्यों में बोर्ड एग्जाम के रिजल्ट आ गए हैं. CBSE समेत कई राज्यों की ओर से आने वाले दिनों में घोषित हो जाएंगी. लेकिन रिजल्ट्स से पहले आने वाली ये सलाहें और नसीहतें छात्रों के मन में एक डर जैसा माहौल बना देती हैं. कई बार इसी डर की वजह से वे गलत कदम भी उठा लेते हैं. लेकिन क्या वाकई ये 10वीं और 12वीं के मार्क्स ही हैं जो हमारा करियर, हमारा भविष्य तय करती हैं?

जवाब है, बिल्कुल नहीं.

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थर्ड डिग्री में 10वीं पास IAS

छत्तीसगढ़ कैडर के एक IAS हैं, अवनीश शरण. 6 जुलाई 2022 को अवनीश ने अपनी 10वीं की मार्कशीट ट्विटर पर शेयर की. मार्कशीट के मुताबिक अवनीश ने 10वीं क्लास थर्ड डिवीजन में पास की थी. गणित में उन्हें पासिंग मार्क्स से केवल एक नंबर ज्यादा मिले थे. 100 में 31 नंबर. जबकि पासिंग मार्क्स 30 थे. इसी तरह इतिहास मे 50 मे से 24, भूगोल में 50 मे से 19, फिजिक्स में 50 में से 21, केमिस्ट्री में 50 में से 18 और बायोलॉजी मे 50 मे से 26 नंबर मिले थे. अवनीश ने 700 में से 314 का स्कोर किया था. 

पूरे गांव ने कह दिया कि ये कुछ नहीं कर सकता.

इससे पहले अवनीश शरण ने 11 जून को एक और मार्कशीट शेयर की थी. ये मार्कशीट भरूच जिले के DM तुषार सुमेरा की थी. तुषार के मार्क्स देखकर उन्हें वही कहा गया जो अंग्रेजी और गणित में पासिंग मार्क्स लाने वाले छात्रों को कहा जाता है. मार्कशीट शेयर करते हुए अवनीश ने लिखा था,  

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 भरूच के कलेक्टर तुषार सुमेरा ने अपनी दसवीं की मार्कशीट शेयर करते हुए लिखा है कि उन्हें दसवीं में सिर्फ पासिंग मार्क्स आए थे. उनके 100 में अंग्रेजी में 35, गणित में 36 और विज्ञान में 38 नंबर आए थे. ना सिर्फ पूरे गांव में बल्कि उस स्कूल में यह कहा गया कि यह कुछ नहीं कर सकते.

 तुषार ने साल 2012 में UPSC सिविल सेवा परीक्षा पास की थी. उन्होंने 342वीं रैंक हासिल की थी. फिलहाल वे गुजरात के भरुच जिले में डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के पद पर काम कर रहे हैं. 

जीवन, बोर्ड के रिजल्ट्स से कहीं अधिक है

साल 2015 मे UPSC सिविल सेवा पास कर IAS बनने वाले नितिन सांगवान की कहानी यही कहती है. 12वीं की बोर्ड परीक्षा में नितिन ने केमिस्ट्री में पासिंग नंबर से सिर्फ एक नंबर ज्यादा हासिल किया था. 14 जुलाई 2020 को एक ट्वीट में उन्होंने लिखा था,

12वीं की परीक्षा में मुझे केमिस्ट्री में 24 नंबर मिले. पासिंग नंबर से सिर्फ 1 नंबर ज्यादा. लेकिन ये यह तय नहीं करता है कि मैं अपने जीवन से क्या चाहता हूं. बच्चों पर मार्क्स का बोझ मत लादिए. जीवन बोर्ड के परिणामों से कहीं अधिक है. रिजल्ट्स को आलोचना की बजाय आत्मनिरीक्षण का अवसर होने दें.

नितिन के ट्विटर पोस्ट पर कमेंट करते हुए एक यूजर ने लिखा कि वो इस बात से पूरी तरह सहमत हैं. 10वीं में मैथ्स में मेरे 13 मार्क्स थे, पासिंग मार्क्स भी नहीं. इसने मुझे वह बनने से नहीं रोका जो मैं आज हूं. जीवन एक अलग गणना है गणित में 13 नंबर का आज कोई मूल्य नहीं है.

अंग्रेजी हमेशा परेशान करती थी.

IAS नितिन सांगवान के ट्विटर पोस्ट पर कमेंट करते हुए भारतीय वन सेवा (IFS) के अधिकारी परवीन कासवान ने कहा कि अंग्रेजी आज भी उन्हें परेशान करती है. उन्होंने ट्वीट कर लिखा, 

अंग्रेजी ने मेरे लिए वही किया. अभी भी अंग्रेजी से संघर्ष जारी है.

मार्क्स कम हैं तो क्या हुआ?  

बोर्ड या किसी भी प्रतियोगी परीक्षा का रिजल्ट आते ही टॉपर्स को पूजने और उन्हें बड़ा दिखाने की होड़ लग जाती है. लेकिन एक बहुत बड़ी संख्या ऐसे छात्रों की होती है जिनके अपेक्षाकृत कम मार्क्स होते हैं. ऐसे छात्र खुद को पिछड़ा हुआ न समझें, निराश या हताश न हो जाएं. उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए अवनीश शरण, नितिन सांगवान, तुषार सुमेरा जैसे अधिकारियों ने अपनी मार्कशीट शेयर की. लल्लनटॉप से बात करते हुए अवनीश बताते हैं,  

10वीं के नंबर देखकर खुशी तो हुई थी कि पास हो गए. पर पैरेंट्स ने दोबारा 10वीं करने को बोला तो मैने कहा कि इस बार तो पास हो गए हैं, अगर अगली बार फेल हुए तो क्या? मार्क्स और पेपर से कोई किसी का आकलन नही कर सकता. विफलताओं से सीखना जरूरी है और जीवन में, किसी भी फील्ड मे सक्सेस पाने के लिए मार्क्स का महत्व नही होता.

UPSC सिविल सेवा परीक्षा मे सफलता के बारे मे बताते हुए अवनीश ने कहा, 

10वी, 12वीं या ग्रेजुएशन करने के बाद ये महत्वपूर्ण नही होती कि कितने प्रतिशत नंबर आये. UPSC के लिए एलिजिबिलिटी ग्रेजुएशन होती है, मेरा सारा फोकस परीक्षा की तैयारी पर था न कि स्कूल और कॉलेज मे कितने नंबर आये इस पर.

उन्होंने आगे ये भी कहा कि पहले की अपेक्षा आज के पैरेंट्स ज्यादा जागरूक हैं. उन्हें अपने बच्चों को ठीक रास्ता दिखाना चाहिए और गाइड करना चाहिए. बच्चे 10वीं-12वीं क्लास में इतने परिपक्व नहीं होते कि वो अपने करियर के बारे मे सोच पायें. पैरेंट्स को उनकी क्षमता के हिसाब से उन्हें तैयार करना चाहिए और बच्चा जिस भी फील्ड मे अच्छा करे वो करने देना चाहिए.

साल 2019 में छत्तीसगढ़ बोर्ड के रिजल्ट घोषित हुए थे तो एक छात्र ने आत्महत्या कर ली थी. जिसके बाद अवनीश शरण ने एक फेसबुक पोस्ट किया था. इसमें उन्होंने बताया था कि उनके ग्रेजुएशन, 12वीं और 10वीं क्लास मे कितने प्रतिशत नंबर थे. अवनीश ग्रेजुएशन मे 60.7 प्रतिशत, 12वीं में 65 प्रतिशत और 10वीं में 44.5 प्रतिशत नंबर लाए थे. उन्होंने लिखा था, 

छत्तीसगड़ बोर्ड परीक्षा परिणाम कल घोषित किया गये थे. पिछले हफ्ते CBSE /ICSE परीक्षा परिणाम घोषित किए गए थे. आज मैंने अखबार में एक चौंकाने वाली खबर पढ़ी कि परीक्षा में अप्रत्याशित परिणाम के कारण एक छात्र ने आत्महत्या कर ली. मैं सभी छात्रों और उनके माता-पिता से अपील करता हूं कि वे परिणाम को बहुत गंभीरता से न लें. यह सिर्फ एक नंबर का खेल है. आपको अपनी काबिलियत साबित करने के और भी कई मौके मिलेंगे. 

बोर्ड एग्जाम के मार्क्स ही सबकुछ नहीं होते. अपनी काबिलियत पर भरोसा रखिए. अवनीश शरण, नितिन सांगवान, तुषार और परवीन कासवान की मार्कशीट और उनकी कहानी लाखों छात्रों के लिए नजीर की तरह है. जीवन, बोर्ड एग्जाम के मार्क्स के आगे भी बहुत कुछ है. 

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