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4 जून के बाद शेयर मार्केट में तेजी या मंदी? गृहमंत्री अमित शाह ने स्टॉक मार्केट में निवेश की सलाह क्यों दी है?

गृहमंत्री Amit Shah ने कहा है कि आगे चलकर शेयर बाजार में उछाल आएगा. इस दावे की सच्चाई क्या है?

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गृह मंत्री के बयान की चर्चा हो रही है. (तस्वीर साभार: इंडिया टुडे/PTI)

शेयर बाजार में पिछले कुछ दिनों से गिरावट का सिलसिला जारी है. एक इंटरव्यू के दौरान देश के गृह मंत्री अमित शाह ने शेयर बाजार में जारी गिरावट को लेकर कई बड़ी बातें कही हैं. शाह के बयान के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी इन्हीं बातों को दोहराया है. आज हम इसी पर विस्तार से बात करेंगे. जानेंगे कि शेयर मार्केट में गिरावट के पीछे की पूरी कहानी क्या है. इस पर दुनियाभर की बड़ी निवेश और ब्रोकरेज फर्मों की राय क्या है और आगे क्या होगा?

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मई में अब तक सेंसेक्स करीब 2,000 अंक लुढ़क चुका है. 13 मई को भी जब वोटिंग जारी थी तब शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स लगभग 800 अंक गिर गया. लेकिन बाद में बाजार में रिकवरी आई और कारोबार के आखिर में शेयर मार्केट हरे निशान में बंद हुआ. टू बी स्पेसिफिक सेंसेक्स 111.66 अंक या 0.15% बढ़कर 72,776.13 पर बंद हुआ. इससे पहले के दो चरणों के मतदान की बात करें तो 7 मई और 26 अप्रैल को सेंसेक्स और निफ्टी लाल निशान में बंद हुए थे.

सवाल ये है कि शेयर मार्केट में गिरावट के प्रमुख कारण क्या हैं? इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट में बाजार में गिरावट के चार प्रमुख कारण बताए गए हैं. इनमें से पहला कारण मौजूदा लोकसभा चुनाव बताया गया था. रिपोर्ट के मुताबिक चुनाव के पहले 3 चरणों में कम मतदान से निवेशकों के बीच कुछ घबराहट पैदा हुई है. रिपोर्ट कहती है कि निवेशक इस बात को लेकर चिंतित हैं कि कम वोटिंग होने से विपक्षी पार्टियों को फायदा पहुंच सकता है.

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चुनाव और सेंसेक्स के इस रिश्ते के चलते ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बड़ा बयान दिया है. सोमवार 13 मई को एक मीडिया चैनल से उन्होंने कहा कि किसी को भी शेयर बाजार की हालिया उठापटक को 2024 के आम चुनाव से नहीं जोड़ना चाहिए. उन्होंने निवेशकों की चिंताओं को दूर करने की कोशिश करते हुए कई मौकों पर इससे भी बड़ी गिरावट देखी गई है. उनका कहना है कि मार्केट में गिरावट के पीछे हो सकता है कि कुछ अफवाहें रही हों. इसके साथ ही उन्होंने शेयर मार्केट के निवेशकों को लोकसभा चुनाव के रिजल्ट की तारीख यानी 4 जून से पहले खरीदारी करने की सलाह दी है. उनका कहना है कि आगे चलकर शेयर बाजार में उछाल आएगा. केन्द्रीय गृहमंत्री ने कहा,

"मैं शेयर बाजार की चाल का अनुमान नहीं लगा सकता. लेकिन आम तौर पर जब भी केंद्र में एक स्थिर सरकार बनती है, तो बाजार में तेजी देखी जाती है. मुझे लगता है कि BJP 400 से ज्यादा सीटें जीतेगी, एक स्थिर मोदी सरकार आएगी और इस तरह बाजार में तेजी आएगी."

गृह मंत्री अमित शाह ने एनडीटीवी को दिए इंटरव्यू के दौरान ये भी कहा कि ऐसा पहली बार नहीं है, जब शेयर बाजार टूटा है. इससे पहले भी शेयर मार्केट ने 16 बार गोते लगाए हैं. ऐसे में इसे चुनाव के साथ जोड़ना नहीं चाहिए.

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ये तो हो गई देश के गृहमंत्री का शेयर मार्केट को लेकर उनका खुद का नजरिया. अब समझते हैं कि शेयर मार्केट को लेकर दुनियाभर की प्रमुख एजेंसियों और एक्सपर्ट्स की राय क्या है? और बीजेपी की जीत से शेयर मार्केट पर क्या असर पड़ेगा?

दुनिया के प्रमुख कई देशों में निवेश और वेल्थ मैनेजमेंट का बिजनेस करने वाले फिलिप कैपिटल ने शेयर मार्केट और इसके इलेक्शन कनेक्शन को लेकर एक नोट जारी किया है. इसमें कहा है कि अगर भाजपा के नेतृत्व वाला NDA बहुप्रचारित 400 से ज्यादा सीटें जीतने का अपना लक्ष्य हासिल कर लेता है, तो शेयर मार्केट में जोरदार तेजी आएगी. वहीं अगर NDA 300-330 सीटें जीतती है, और इसका असर बाजार गिरावट के रूप में दिखता है, तो हम इसे खरीदारी के मौके के रूप में लेंगे.

फिलिप कैपिटल का हेडऑफिस सिंगापुर में है. इसके अलावा अमेरिका, ब्रिटेन, जापान , हांगकांग में भी इसके ऑफिस हैं. फिलिप कैपिटल ने अपने नोट में ये भी कहा था कि पहले तीन चरणों में मतदान थोड़ा कम रहा है, हालांकि, ये कुछ निर्वाचन क्षेत्रों के परिणामों को प्रभावित कर सकता है. लेकिन इससे भाजपा के सत्ता में लौटने के व्यापक रूप से अपेक्षित परिणाम पर कोई असर पड़ने की संभावना नहीं है.

इसी तरह दुनिया की जानी मानी निवेश और वैश्विक वित्तीय सेवा समूह नोमुरा इंडिया ने कुछ दिनों पहले एक रिसर्च रिपोर्ट पेश की थी. इस रिपोर्ट में नोमुरा के एनालिस्ट्स सोनल वर्मा और ऑरोदीप नंदी ने कहा है कि जनमत सर्वेक्षण इस बात का इशारा कर रहे हैं कि मोदी सरकार की वापसी होगी. इस रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया गया था कि भाजपा सरकार अपनी पुरानी नीतियां जारी रखेगी. नोमुरा के विश्लेषकों ने कहा कि सरकार भूमि, पूंजी और न्यायिक सुधारों के साथ-साथ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर प्रशासन को सरल बनाने पर विचार कर सकती है. मोदी सरकार इस बात सत्ता में लौटती है तो बिजली, तेल एवं गैस और शराब को जीएसटी व्यवस्था के तहत लाने पर भी विचार किया जा सकता है. 

एचएसबीसी के अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी ने सुझाव दिया कि भाजपा की सीटें 2019 में मिली 303 सीटों के मुकाबले बढ़कर इस बार 323 सीटों तक पहुंच सकती हैं, जबकि इसका NDA गठबंधन 377 तक पहुंच सकता है. हालांकि, ये रिपोर्ट 7 मई को होने वाले तीसरे चरण के मतदान से पहले आई थी.

मिराए एसेट कैपिटल को भी उम्मीद है कि शेयर बाजार में तेजी देखने को मिलेगी. मिरे एसेट ने कहा कि अगर बीजेपी सत्ता में आती है तो सभी की निगाहें जुलाई के बजट पर होंगी कि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष कराधान, एमएसपी नीति और मनरेगा भुगतान में कुछ बदलाव होते हैं या नहीं. मिराए एसेट कैपिटल मार्केट्स ने कहा कि लंबी अवधि में उनका ध्यान बुनियादी ढांचे के विकास, कृषि कानूनों, कौशल विकास और ग्रामीण भारत से मांग बढ़ाने के लिए विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार पैदा करने पर होगा.

अब गिरावट की बाकी तीन वजहें भी बता दें. मतलब वो वजहें जो विशेषज्ञ कह रहे हैं, हम नहीं.

बाजार के गिरावट की दूसरी वजह चाइना इफेक्ट को माना जा रहा है. यहां चाइना इफेक्ट का मतलब है कि दुनियाभर के निवेशकों का चीन के शेयर मार्केट में निवेश बढ़ रहा है. इसी के चलते पिछले एक महीने में चीन के शेयर मार्केट के प्रमुख शेयर सूचकांक शंघाई कंपोजिट 4% और हैंग सेंग 14% ऊपर हैं. विदेशी संस्थागत निवेशक यानी एफआईआई काफी तेजी से भारतीय बाजारों से पैसा निकाल रहे हैं. एफआईआई ने इस महीने में अब तक भारतीय शेयर मार्केट से लगभग 19,000 करोड़ रुपये की निकासी की है. वहीं, चीन के शेयर मार्केट में बढ़ते निवेश को लेकर जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के डॉ वीके विजयकुमार ने इकोनॉमिक टाइम्स से कहा कि चीनी शेयरों का वैल्यूएशन भारत के मुकाबले सस्ता है. आगे भी ये ट्रेंड जारी रहने की संभावना है. इसी तरह जेफ़रीज़ के क्रिस वुड ने हाल ही में एशिया प्रशांत में चीन का वेटेज बढ़ाया था. हालांकि, इसमें जापान शामिल नहीं था.

भारतीय शेयर मार्केट में पिछले कुछ दिनों से जारी गिरावट के पीछे तीसरा कारण शेयरों का वैल्यूएशन है. पिछले कुछ साल में शेयर मार्केट्स में तेज उछाल आया है. इस तेजी के चलते कई सेक्टर्स के शेयरों का वैल्यूएशन काफी बढ़ा है. इसके अलावा बाजार में गिरावट का चौथा बड़ा कारण कंपनियों की कमाई को माना जा रहा है. विश्लेषकों का कहना है कि चौथी तिमाही में घरेलू कंपनियों की इनकम काफी हद तक उम्मीदों के अनुरूप होने के बावजूद, ओवरआल इनकम में उल्लेखनीय कमी आई है. पिछले एक महीने में निफ्टी आईटी ने अपने वैल्यूशन में करीब 7 परसेंट की गिरावट देखी है. इसी तरह निफ्टी बैंक भी 4 परसेंट नीचे आ चुका है.

वीडियो: खर्चा पानी: शेयर बाजार में गिरावट पर क्या बोले अमित शाह?

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