वित्तीय वर्ष 2021-22 के आम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने टैक्स चोरी से जुड़े मामलों की दोबारा जांच यानी रि इंवेस्टीगेशन की अधिकतम अवधि को 6 वर्ष से घटाकर 3 वर्ष करने का प्रस्ताव किया है.
टैक्स चोरी करने पर जांच की समयसीमा क्यों कम की गई?
टैक्स की चोरी पकड़े जाने का डर अब 6 साल की बजाए 3 साल तक ही होगा.
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बजट पेश करने जातीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण.
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हालांकि इसके अंतर्गत भी 2 तरह की व्यवस्था का प्रस्ताव बजट में किया गया है.
एक 50 लाख रुपये से कम की सालाना इनकम वालों से जुड़े मामलों के लिए और दूसरा 50 लाख से ज्यादा सालाना इनकम वालों से जुड़े मामलों के लिए.
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re-open tax investigation to 3 years vs 6 years now
वित्त मंत्री के मुताबिक छोटे टैक्सपेयर्स (जिनकी इनकम 50 लाख से कम है) से जुड़े मामलों के लिए फेसलेस डिस्प्युट रिजॉल्यूशन मैकेनिज्म बनाया जाएगा जबकि बड़े टैक्सपेयर्स के लिए इस तरह की फेसलेस डिस्प्युट रिजाॅल्यूशन जैसी कोई सुविधा नहीं दी जाएगी. फेसलेस डिस्प्युट रिजाॅल्यूशन मतलब है कि अब ऐसे मामलों में बार-बार डिपार्टमेंट के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं. टैक्स चोरी का पैसा चुकाओ और बवाल से मुक्ति पाओ.
दोनों तरह के मामलों में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पास अब कार्रवाई करने के लिए 3 साल तक का समय होगा. पहले यह समय सीमा 6 साल तक थी.
अब इसे ऐसे समझते हैं मिस्टर एक्स दिल्ली में बिजनेस करते हैं और उन्होंने वर्ष 2018 में 40 लाख रुपए की कथित टैक्स चोरी की. उनकी इस टैक्स चोरी पर पुराने नियम के अनुसार इनकम टैक्स डिपार्टमेंट 2024 तक कभी भी सूचना मिलने पर कार्रवाई कर सकता था. नए बजट प्रस्ताव के मुताबिक अब यदि मिस्टर एक्स अपनी टैक्स चोरी को 2021 तक छिपा ले गए तो उन पर आगे पता चलने पर भी कार्रवाई नहीं हो पाएगी.
लेकिन इस कानून में एक और बड़ी बात वित्त मंत्री ने कही है. उनके बजट प्रस्ताव के मुताबिक,
'यदि किसी की इनकम 10 करोड़ या उससे ज्यादा है और उस आदमी पर टैक्स चोरी का कोई आरोप है तो अगले 10 वर्षों तक कभी भी उनके मामले को रि इंवेस्टीगेट किया जा सकता है.'
यानी इस तरह के मालदार लोग अगले 10 वर्षों तक इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के रडार पर रहेंगे.
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