भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मंगलवार, 3 दिसंबर को कहा कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI), एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank) और आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) आगे भी 'सिस्टमिकली इंपॉर्टेंट बैंक' (SIB) श्रेणी में बने रहेंगे.
SBI, ICICI, HDFC बैंक को RBI ने SIB कैटेगरी में रखा, ये क्या चीज है?
सिस्टमिकली इंपॉर्टेंट बैंक ऐसे बैंक होते हैं जो काफी बड़े और पूरे सिस्टम से इतने गहराई से जुड़े होते हैं कि इनके फेल होने से पूरा बैंकिंग सिस्टम हिल सकता है
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सिस्टमिकली इंपॉर्टेंट बैंक अपने साइज के हिसाब से 'Too Big To Fail' होते हैं. आसान भाषा में कहें तो सिस्टमिकली इंपॉर्टेंट बैंक ऐसे बैंक होते हैं जो काफी बड़े और पूरे सिस्टम से इतने गहराई से जुड़े होते हैं कि इनके फेल होने से पूरा बैंकिंग सिस्टम हिल सकता है. साथ ही, अगर डूबे तो देश की अर्थव्यवस्था के लिए खतरा पैदा हो सकता है. इन बैंकों के पास बहुत ज्यादा पैसा होता है. इनके ग्राहकों की संख्या करोड़ों में होती है. इस तरह के बैंक केवल भारत में नहीं, बल्कि दूसरे देशों में भी बिजनेस करते हैं.
RBI के मुताबिक सिस्टमिकली इंपॉर्टेंट बैंकों को अतिरिक्त पूंजी रखनी जरूरी है. जैसे कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को अपनी जोखिम-आधारित परिसंपत्तियों पर 0.80% की अतिरिक्त पूंजी रखनी जरूरी होती है. जोखिम आधारित संपत्तियों में बैंकों का बांटा गया लोन, निवेश और अन्य चीजों को शामिल किया जाता है. HDFC बैंक को 0.40% और ICICI बैंक को 0.20% अतिरिक्त पूंजी बनाए रखनी होगी.
यह अतिरिक्त पूंजी इसलिए रखनी होती है ताकि कभी आर्थिक संकट आए, तो ये बैंक नुकसान झेलकर भी आराम से अपना कामकाज चला सकें और बैंकिंग सिस्टम को कोई खतरा पैदा न हो.
RBI ने साल 2015 और साल 2016 में SBI और ICICI बैंक को डोमेस्टिक सिस्टमिकली इंपॉर्टेंट बैंकों (D-SIBs) घोषित किया था. साल 2017 में HDFC बैंक को भी इस लिस्ट में जोड़ दिया गया. RBI ने 2014 में जो डोमेस्टिक सिस्टमिकली इंपॉर्टेंट बैंक्स फ्रेमवर्क बनाया था, उसके तहत आरबीआई को दो काम करने होते हैं.
- पहला, डोमेस्टिक सिस्टमिकली इंपॉर्टेंट बैंकों की श्रेणी में रखे गए बैंकों के नाम सार्वजनिक करना.
- दूसरा, इन बैंकों को उनके महत्व के आधार पर अलग-अलग समूहों में रखना. यह महत्व RBI एक स्कोर से मापता है जिसे सिस्टमिटिक इंपॉर्टेंटेंस स्कोर (SIS) कहते हैं.
बड़ा स्कोर मतलब वह बैंक सिस्टम के लिए उतना ज्यादा जरूरी हो जाता है. नियमों के मुताबिक जिस समूह (bucket) में बैंक रखा जाता है, उसके हिसाब से उसे अतिरिक्त पूंजी रखनी पड़ती है.
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