भारतीय प्रतिभूति व विनिमय बोर्ड (SEBI) क्वॉन्ट म्यूचुअल फंड (Quant Mutual Fund) की जांच कर रही है. क्वॉन्ट, देश के सबसे तेजी से बढ़ते एसेट मैनेजरों में से एक है और उनपर फ्रंट-रनिंग के आरोप लगे हैं. एक सूत्र के हवाले से द इकोनॉमिक टाइम्स ने छापा है कि SEBI ने कंपनी के हेडक्वॉर्टर (मुंबई) और हैदराबाद में कुछ ठिकानों की तलाशी ली है.
Quant Mutual Fund पर 'घपले' के आरोप, SEBI ने की जांच शुरू... 79 लाख निवेशकों का क्या होगा?
SEBI को संदेह है कि Quant Mutual Fund का कोई डीलर या फंड के ऑर्डर्स संभालने वाली किसी ब्रोकिंग फ़र्म ने ट्रेड के बारे में जानकारी लीक की है. कंपनी में अपना पैसा लगाने वाले 79 लाख निवेशकों के लिए ये ख़बर चिंताजनक है.

Quant Mutual Fund ने ख़ुद भी स्पष्ट किया है कि उन्हें नोटिस मिला है और वो SEBI के साथ कोऑपरेट कर रहे हैं. हालांकि, SEBI ने अभी अपनी तरफ़ से कुछ नहीं कहा है.
Mutual Fund, एसेट मैनेजर और Front Running क्या है?फ़र्ज़ कीजिए, घर पर मित्र आए हैं मैच देखने. सबके लिए पिज़्ज़ा मंगवाना है. एक अनुभवी व्यक्ति को इसकी ज़िम्मेदारी दी जाती है. सबसे जुटाया चंदा उसे दिया जाता है, कि वो सबसे कम रुपयों में सबसे बढ़िया पिज़्ज़ा मंगवा ले. माने फ़ायदा ही फ़ायदा करवा दे.
इस उदाहरण में पिज़्ज़ा मंगवाने के लिए जुटाए चंदे को आप म्यूचुअल फंड समझिए. अनुभवी व्यक्ति, जिससे फ़ायदा अपेक्षित है, वो होते हैं एसेट मैनेजर.
फ़्रंट रनिंग क्या है? मान लीजिए अनुभवी व्यक्ति के मन में खोट आ जाए. उसे पता है ही कि ढेर सारे लोगों के लिए पिज़्ज़ा मंगवाना है; अच्छा डिस्काउंट तो मिलेगा, लेकिन देर भी हो जाएगी. तो वो इस जानकारी का फ़ायदा उठा कर अपना पिज़्ज़ा पहले मंगवा ले, पिज़्ज़ा वाले से मोलभाव करके घपला भी कर ले, उसका पेट भर जाए और बाक़ी लोग भुगतें.
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निवेश में इसे ऐसे समझिए कि अमुक एसेट मैनेजर के पास जानकारी आई कि इस स्टॉक में निवेश करने से फ़ायदा होगा. उसके पास बाक़ियों की भी ज़िम्मेदारी है, जिन्होंने उसपर भरोसा किया है. लेकिन फ़ायदे के मोह में आकर वो म्यूचुअल फंड से पहले ख़ुद के लिए सस्ते में स्टॉक ख़रीद लेता है. बाद में औरों को भी फ़ायदा होता है, लेकिन रेस में जो पहले भागा (फ़्रंट रनिंग), उसे सबसे ज़्यादा फ़ायदा. बाज़ार के नियमानुसार ये अपराध है, क्योंकि इससे म्यूचुअल फंड निवेशकों को नुक़सान होता है.
क्वॉन्ट म्यूचुअल फंड पर इसी के आरोप लगे हैं. सेबी को संदेह है कि कंपनी का कोई डीलर या फंड के ऑर्डर्स संभालने वाली किसी ब्रोकिंग फ़र्म ने ट्रेड के बारे में जानकारी लीक की है. कंपनी में अपना पैसा लगाने वाले 79 लाख निवेशकों के लिए ये ख़बर चिंताजनक है.
Quant Mutual Fundबाज़ार का पुराना खिलाड़ी. 1996 से लोगों का पैसा मैनेज कर रहा है. अलग-अलग पिज़्ज़ा स्लाइस की तरह निवेश के अलग-अलग विकल्प देता है. मसलन इक्विटी (स्टॉक), डेट (बॉन्ड) और हाइब्रिड (दोनों का मिक्स).
क्वॉन्ट म्यूचुअल फंड के मालिक हैं, संदीप टंडन. इनके पास कुल 27 फंड हैं, जिनमें रिलायंस इंडस्ट्रीज़, अडानी पावर और HDFC बैंक जैसी बड़ी कंपनियों में प्रमुख होल्डिंग्स हैं. आज की तारीख़ में कंपनी 93,000 करोड़ रुपये मैनेज कर रही है. गत छह सालों की तरक्की का नतीजा है. कंपनी को भी अच्छा मुनाफ़ा हुआ है, कंपनी के निवेशकों को भी.
मई, 2024 तक फंड की प्रबंधन के तहत संपत्ति (AUM) ₹84,000 करोड़ है, जिसमें इक्विटी कुल AUM का 97% है. दिसंबर, 2019 के मुक़ाबले 46,285% ज़्यादा.
समय | AUM (मैनेज करने को कितना फंड?) | फ़ोलियो (अकाउंट) |
दिसंबर, 2019 | 166 | 19,829 |
दिसंबर, 2020 | 488 | 58,737 |
दिसंबर, 2021 | 5,455 | 6,79,559 |
दिसंबर, 2022 | 17,228 | 19,39,220 |
मई, 2024 | 84,000+ | 79,00,000 |
क्वॉन्ट म्यूचुअल फंड ने इस मामले पर सफ़ाई जारी की है. उन्होंने पुष्टि की है कि उन्हें सेबी से नोटिस मिला है. साथ में अपने निवेशकों को आश्वासन दिया कि वो बाज़ार नियामक के साथ सहयोग करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं.
हम मीडिया रिपोर्ट्स पर टिप्पणी नहीं करते हैं. हालांकि, हमारे सभी स्टेकहोल्डर्स के साथ पारदर्शिता बनाए रखने के लिए कुछ बिंदुओं को स्पष्ट करना ज़रूरी है. हाल ही में क्वॉन्ट को सेबी से इनक्वायरी नोटिस मिला है.
हम आपको आश्वस्त करना चाहते हैं कि क्वॉन्ट म्यूचुअल फंड एक रेगुलेटेड बॉडी है और हम किसी भी समीक्षा के दौरान नियामक के साथ सहयोग करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं. हम कोऑपरेट करेंगे और सेबी को आवश्यकतानुसार डेटा देना जारी रखेंगे.
सेबी ने इस मामले पर अभी तक आधिकारिक रूप से कोई टिप्पणी नहीं की है.
तलाशी के दौरान सेबी ने दफ़्तरों से मोबाइल फ़ोन और कंप्यूटर समेत डिजिटल डिवाइस ज़ब्त किए हैं. सूत्रों के मुताबिक़, इन्हीं डिवाइसेज़ की जांच से पता चलेगा कि ट्रेड से जुड़ी गोपनीय जानकारी कौन लीक कर रहा था. शुरुआती निष्कर्षों के आधार पर जांच एजेंसी क्वॉन्ट के बड़े अफ़सरों से पूछताछ करेगी, जिन्हें गोपनीय जानकारियां पता होती हैं.
अगर आरोप सही निकले, तो?बाज़ार बूझने वालों का कहना है कि इस तरह की नकारात्मक ख़बरों के चलते फंड हाउस को रिडेम्प्शन दबाव देखने को मिल सकता है, जिससे नेट एसेट वैल्यू (NAV) में गिरावट आ सकती है. स्मॉलकैप स्टॉक में क्वॉन्ट की हालत अच्छी है, लेकिन वो भी सेलिंग प्रेशर में आ सकते हैं.
क्वॉन्ट को लेकर ख़बरें अच्छी नहीं हैं. मनीकंट्रोल की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक़, कंपनी के पोर्टफ़ोलियो से पता चलता है कि ऐसे कुल 14 स्टॉक हैं, जहां निवेश करने वाला एकमात्र म्यूचुअल फंड क्वॉन्ट है.
अगर सेबी को आरोपों के पीछे सबूत मिल जाते हैं, तो रिडेम्प्शन होगा और इसलिए आने वाले समय में कंपनी का प्रदर्शन ख़राब रहेगा. आगे चल कर विश्वसनीयता का जोखिम भी गले पड़ सकता है.
हालांकि, CNBC की अंशुल और सोनल की रिपोर्ट के मुताबिक़, भले ही फ्रंट-रनिंग के आरोप सच साबित हो जाएं, क्वॉन्ट के यूनिटधारकों को ये जानना ज़रूरी है कि फंड के पास पहले से जो निवेश हैं, उन पर इसका असर नहीं पड़ना चाहिए. NAV पर भी सीधा असर नहीं पड़ना चाहिए. फिर कंपनी ने ये भी आश्वासन दिया है कि आपको अपने शेयर बेचने में कोई परेशानी नहीं होगी. माने लिक्विडिटी में कोई दिक़्क़त नहीं आएगी. साथ ही निवेश खींचने पर कोई अतिरिक्त शुल्क (एग्ज़िट लोड) भी नहीं लगेगा.
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सेबी की जांच एक गंभीर मामला है, मगर खुदरा निवेशकों को घबराना नहीं चाहिए. सचेत रहना, अपनी निवेश रणनीतियों की समीक्षा करना और कोई भी निर्णय लेने से पहले बाज़ार की स्थिति को ठीक से परखना ज़रूरी है. आज भी, आगे भी.
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