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Myntra पर 1,654 करोड़ के गबन का केस दर्ज, थोक व्यापार की आड़ में बड़े नियम तोड़ने का आरोप

ED के मुताबिक Myntra ने थोक कारोबार के नाम पर निवेश लिया, मगर अपने ही ग्रुप की दूसरी कंपनी के जरिए उन सामानों को खुदरा कस्टमर्स को बेच रही थी. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के नियमों के तहत इसकी इजाजत नहीं है.

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मिंत्रा का दावा, कंपनी नियमों का पालन करती है और जांच में सहयोग के लिए तैयार है. (Pic- इंडिया टुडे)
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मुनीष पांडे

ऑनलाइन कपड़े और एक्सेसरीज बेचने वाली कंपनी मिंत्रा (Myntra) प्रवर्तन निदेशालय (ED) के निशाने पर आ गई है. ED के बेंगलुरु जोनल ऑफिस ने मिंत्रा और उससे जुड़ी कंपनियों पर विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) के उल्लंघन को लेकर शिकायत दर्ज की है. ED को जानकारी मिली थी कि मिंत्रा और उसकी सहयोगी कंपनियां 'होलसेल कैश एंड कैरी' के नाम पर मल्टी ब्रांड रिटेल कारोबार कर रही थीं. कारोबार करने का ये तरीका विदेशी निवेश (FDI) की नीति के खिलाफ है.

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ED ने 23 जुलाई को एक्स पर एक पोस्ट करके इसकी जानकारी दी. उसमें बताया गया है कि मिंत्रा और उसकी कंपनियों ने 1,654 करोड़ रुपये के निवेश को लेकर नियम तोड़े हैं. ईडी के मुताबिक कंपनी ने थोक निवेश के नाम पर निवेश लिया. उसने थोक में Vector E-Commerce Pvt. Ltd. नाम की कंपनी को सामान बेचा भी. और वहां से खुदरा में लोगों को सामान बेचा गया.

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Myntra ने गड़बड़ कहां की?

यहां तक सुनने में सारा मामला लीगल लगता है, लेकिन कागजी तार खंगालने पर पता चला कि वेक्टर ई कॉमर्स और मिंत्रा दोनों एक ही ग्रुप से जुड़ी हैं. यानी मिंत्रा थोक निवेश के नाम पर पैसे लेकर अप्रत्यक्ष रूप से रिटेल कारोबार कर रही थी, जो फेमा के नियमों के खिलाफ है. ईडी का कहना है कि मिंत्रा ने वेक्टर ई-कॉमर्स को सिर्फ इसलिए बनाया था ताकि देखने में ऐसा लगे कि वो एफडीआई के नियमों का पालन कर रही है.

एफडीआई नियमों के अनुसार, एफडीआई के साथ काम करने वाली ई-कॉमर्स कंपनियां सिर्फ मार्केट प्लेस के तौर पर काम कर सकती हैं. यानी उन्हें सिर्फ एक प्लेटफॉर्म की तरह काम करने की इजाजत है, जहां थर्ड-पार्टी विक्रेता अपने प्रोडक्ट्स बेचते हैं. मगर मिंत्रा ने सीधे रिटेल बिजनेस में हिस्सा लिया. इसी आधार पर ईडी ने मिंत्रा पर फेमा, 1999 के नियमों का उल्लंघन का आरोप लगाया है. 

इतना ही नहीं, थोक व्यापार विदेशी निवेश की नीति में ये भी साफ तौर पर कहा गया है कि थोक व्यापार में एक ही ग्रुप की कंपनियों को कुल बिक्री का सिर्फ 25% ही दिया जा सकता है. जबकि मिंत्रा ने 25 फीसदी से कहीं ज्यादा सामान वेक्टर ग्रुप को बेचा. इस लिहाज से मिंत्रा ने इस नियम का भी उल्लंघन किया है. इन सभी बातों को देखते हुए ईडी ने FEMA की धारा 16(3) के तहत मिंत्रा और उससे जुड़ी कंपनियों के खिलाफ आधिकारिक तौर पर शिकायत दर्ज की है. मामले में मिंत्रा और इससे जुड़ी कंपनियों के डायरेक्टर्स के खिलाफ भी शिकायत दर्ज की गई है. जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी व्यक्तिगत देनदारी तय की जा सकती है. संभावित जुर्माना भी लगाया जा सकता है.

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न्यूज 18 की रिपोर्ट के मुताबिक मिंत्रा ने कहा कि कंपनी नियमों का पालन करती है और जांच में सहयोग के लिए तैयार है. लेकिन, अगर ईडी के आरोप सही साबित हुए, तो मिंत्रा को भारी जुर्माना देना पड़ सकता है. इससे कंपनी के बिजनेस पर असर पड़ सकता है.

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