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ताबड़तोड़ बीमा बेचेंगी कंपनियां, इंश्योरेंस सेक्टर में 100% FDI वाले बिल को मोदी सरकार की हरी झंडी

लोकसभा बुलेटिन के मुताबिक, इंश्योरेंस लॉज (अमेंडमेंट) बिल, 2025 का उद्देश्य देश की ज्यादा आबादी तक इंश्योरेंस की पहुंच बढ़ाना है. भारत में काम करने वाली बीमा कंपनियों के लिए कारोबार करना आसान हो, इसीलिए ये बिल लाया गया है. सरकार ने साल 2047 तक हर आदमी को बीमा कवरेज पहुंचाने का लक्ष्य रखा है.

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बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश बढ़ेगा (फोटो क्रेडिट: Aaj Tak)

केन्द्रीय कैबिनेट ने 12 दिसंबर को इंश्योरेंस सेक्टर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को 100% तक बढ़ाने वाले एक विधेयक को मंजूरी दे दी है. यह बिल संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है. 19 दिसंबर तक संसद का विंटर सेशन चलेगा.

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लोकसभा बुलेटिन के मुताबिक, इंश्योरेंस लॉज (अमेंडमेंट) बिल, 2025 का उद्देश्य देश की ज्यादा आबादी तक इंश्योरेंस की पहुंच बढ़ाना है. भारत में काम करने वाली बीमा कंपनियों के लिए कारोबार करना आसान हो, इसीलिए ये बिल लाया गया है. सरकार ने साल 2047 तक हर आदमी को बीमा कवरेज पहुंचाने का  लक्ष्य रखा है. बिल से इस लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी.  

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल के बजट भाषण में वित्तीय क्षेत्र के नए सुधारों के तहत बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा को मौजूदा 74% से बढ़ाकर 100% करने का प्रस्ताव रखा था. अब तक बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के जरिये 82 हजार करोड़ रुपये का निवेश आ चुका है. वित्त मंत्रालय ने बीमा अधिनियम, 1938 में कई प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव रखा है. इनमें बीमा क्षेत्र में एफडीआई बढ़ाकर 100% करना शामिल है. 

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इसके अलावा सरकार बीमा कंपनियों के लिए जरूरी चुकता पूंजी (paid-up capital) की शर्तों को कम करने की तैयारी कर रही है, ताकि नई बीमा कंपनियों की भारत में एंट्री आसान हो सके. कंपनी शुरू करते समय या कोई भी बिजनेस शुरू करने के लिए कंपनी के मालिकों या शेयरधारकों की तरफ से कंपनी में लगाया गया पैसा ही ‘पेड-अप कैपिटल’ कहलाता है.

सरकार की योजना एक कॉम्पोजिट लाइसेंस की व्यवस्था बनाने की भी है. ताकि एक ही लाइसेंस के तहत कंपनियां जीवन बीमा, सामान्य बीमा और स्वास्थ्य बीमा तीनों तरह के बिजनेस कर सकें. अभी जो नियम हैं, उनके मुताबिक एक कंपनी एक समय में सिर्फ एक तरह का बीमा कारोबार कर सकती है. 

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बता दें कि 1938 का इंश्योरेंस एक्ट भारत में बीमा क्षेत्र के लिए प्रमुख कानून है. यह कानून बताता है कि बीमा कंपनी को कैसे शुरू करना है, किस नियम से चलाना है, क्या करना है और क्या नहीं करना है.

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