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माधवी बुच पर SEBI अधिकारियों ने ही लगाए गंभीर आरोप, बोले- 'चिल्लाती, बेइज्जत करती हैं'

एक रिपोर्ट के मुताबिक SEBI अधिकारियों ने Finance Ministry को लंबी-चौड़ी चिट्ठी लिख कर Madhabi Puri Buch की शिकायत की है. मामला ऐसे समय में सामने आया है जब SEBI चेयरपर्सन अडानी समूह की जांच को लेकर हितों के टकराव के आरोपों का सामना कर रही हैं.

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सेबी चीफ पर अपने कर्मचारियों को 'टार्चर' करने जैसे कई आरोप लगे हैं.(तस्वीर-इंडिया टुडे)

SEBI के अधिकारियों ने अपनी मुखिया माधवी पुरी बुच पर कामकाजी माहौल से जुड़े गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने बुच पर 'टॉक्सिक वर्क कल्चर' को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है. इसे लेकर इन अधिकारियों ने पिछले महीने वित्त मंत्रालय से लंबी-चौड़ी शिकायत भी की है. मामला ऐसे समय में सामने आया है जब SEBI चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच अडानी समूह की जांच को लेकर हितों के टकराव के आरोपों का सामना कर रही हैं.

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इकोनॉमिक टाइम्स की एक खबर के मुताबिक बीती 6 अगस्त को SEBI के अधिकारियों की तरफ से भेजे गए पत्र में कहा गया कि SEBI प्रमुख की बैठकों में ‘चिल्लाना, डांटना और सार्वजनिक रूप से अपमानित करना एक आदर्श’ बन गया है.

SEBI एक सरकारी संस्था है. शेयर मार्केट के निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए साल 1992 में इसकी स्थापना हुई थी. फिलहाल SEBI के पास ग्रेड ए और उससे ऊपर (सहायक प्रबंधक और उससे ऊपर) के लगभग एक हजार अधिकारी हैं. रिपोर्ट के मुताबिक इनमें से आधे यानी ‘500’ अधिकारियों ने SEBI चीफ के खिलाफ भेजी गई शिकायत में हस्ताक्षर किए हैं.

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SEBI के अधिकारियों ने 'अ कॉल फॉर रेस्पेक्ट' शीर्षक वाले इस पत्र में कहा है कि बुच का रवैया टीम के सदस्यों के प्रति ‘कठोर’ है और उनके साथ ‘गैर-पेशेवर’ भाषा का इस्तेमाल किया जाता है. उनकी 'मिनट-दर-मिनट गतिविधि' पर नज़र रखी जाती है. इसके अलावा उन्होंने ऐसे टारगेट रखें हैं जिसे पूरा करना कर्मचारियों के लिए संभव नहीं है. इतना ही नहीं, आए दिन टारगेट में बदलाव होते रहते हैं, जो कर्मचारियों की मानसिक सेहत पर बुरा असर डालता है. 

SEBI के इतिहास में शायद यह पहली बार है जब उसके अधिकारियों ने कर्मचारियों से बुरे व्यवहार के बारे में चिंता जताई है. उन्होंने पत्र में कहा कि इससे उनका मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हुआ है और निजी जीवन और काम के बीच संतुलन बिगड़ गया है. अधिकारियों ने आरोप लगाया कि प्रबंधन द्वारा की गई उनकी शिकायतों पर सुनवाई नहीं होने के बाद उन्होंने वित्त मंत्रालय को यह पत्र लिखा. पांच पन्नों के इस पत्र में ये भी कहा गया है कि दक्षता बढ़ाने के नाम पर प्रबंधन ने सिस्टम में बदलाव किया है. अधिकारियों ने आरोप लगाया है कि SEBI की मुखिया उनका नाम लेकर पुकारती है और चिल्लाती भी हैं.

SEBI में रहते हुए ICICI से पैसे लिए?
इससे पहले कांग्रेस ने माधवी पुरी बुच पर कई गंभीर आरोप. पार्टी के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने 2 सितंबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दावा ठोका कि SEBI से जुड़े होने के दौरान माधवी ICICI बैंक समेत 3 जगहों से सैलरी लेती रहीं. कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि माधबी पुरी बुच 5 अप्रैल, 2017 से 4 अक्टूबर, 2021 तक SEBI में पूर्णकालिक सदस्य थीं. इसके बाद 2 मार्च, 2022 को वह SEBI की चीफ बनीं. पवन खेड़ा ने आरोप लगाया कि इस दौरान माधबी पुरी SEBI से भी सैलरी लेती रहीं और ICICI बैंक से भी.

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कांग्रेस प्रवक्ता ने दावा किया कि SEBI की पूर्णकालिक सदस्य होते हुए भी बुच ने 2017 से 2024 के बीच ICICI बैंक से 16.80 करोड़ रुपये की सैलरी उठाई. साथ ही वो ICICI प्रूडेंशियल, ESOP और ESOP का TDS भी ICICI बैंक से ले रही थीं. कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा,

"हम SEBI चीफ से जानना चाहते हैं कि वह SEBI की पूर्णकालिक सदस्य होने के बाद भी अपना वेतन ICICI से क्यों ले रही थीं? यह सीधे-सीधे SEBI के सेक्शन-54 का उल्लंघन है. अगर माधबी पुरी बुच में थोड़ी भी शर्म होगी तो उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए."

कांग्रेस ने इसे ‘कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट’ का मामला बताया है. पवन खेड़ा ने पूछा कि सैलरी के बदले माधवी बुच ICICI को क्या सेवाएं दे रही थीं?

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हालांकि माधवी के विवादों में आने का सिलसिला इससे भी पहले शुरू हो गया था. अमेरिकी कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने 19 अगस्त, 2024 को एक रिपोर्ट जारी कर ये दावा किया था कि SEBI की मुखिया और उनके पति धवल बुच की अडानी ग्रुप से जुड़ी विदेशी ऑफशोर कंपनियों में हिस्सेदारी है. फर्म ने ये भी दावा किया कि माधवी और उनके पति का मॉरीशस की ऑफशोर कंपनी ‘ग्लोबल डायनामिक अपॉर्च्युनिटी फंड’ में भी हिस्सा है. 

हिंडनबर्ग ने गंभीर आरोप लगाते हुए दावा किया था इस फंड में कथित तौर पर अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडाणी के भाई विनोद अडाणी ने अरबों रुपये निवेश किए हैं. इस पैसे का इस्तेमाल कथित तौर पर अडानी ग्रुप के शेयरों के दामों में तेजी लाने के लिए किया गया था. माधवी बुच ने इन आरोपों को 'निराधार और चरित्र हनन का प्रयास' बताया था.

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पिछले साल जनवरी में हिंडनबर्ग की एक रिपोर्ट में अडानी ग्रुप पर कई गंभीर आरोप लगाए गए थे. इसके बाद अडानी ग्रुप के शेयरों में गिरावट की सुनामी आई गई थी. इसके चलते समूह और उसके मुखिया गौतम अडानी को भारी नुकसान उठाना पड़ा था. हालांकि अब अडानी समूह की लिस्टेड कंपनियों के शेयरों में शानदार रिकवरी आ चुकी है और गौतम अडानी की संपत्ति में भी भारी इजाफा हुआ है. हुरुन इंडिया की ताजा रिच लिस्ट में वो फिर से देश के सबसे अमीर शख्स बताए गए हैं.

वीडियो: फंस गई थी NDTV वाली डील, अब सेबी ने मंजूरी देकर अडानी ग्रुप का काम आसान कर दिया!

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