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टाटा समूह में क्या कलेश मचा है जिसने केंद्र सरकार को भी परेशान कर दिया?

टाटा समूह में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. समूह आंतरिक कलह को लेकर लगातार चर्चा में बना हुआ है. झगड़ा इतना बढ़ गया है कि अब बात सरकार की चौखट तक पहुंच गई है.

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टाटा समूह में आंतरिक कलह; एन चंद्रशेखरन (दाएं) और नोएल टाटा (बाएं)
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प्रदीप यादव

अपने 150 सालों से ज्यादा लंबे इतिहास में टाटा समूह ने भारत के लोगों के रोजमर्रा के जीवन में खास जगह बनाई है. हालांकि, फिलहाल टाटा समूह में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. समूह आंतरिक कलह को लेकर लगातार चर्चा में बना हुआ है. कहा जा रहा है कि झगड़ा इतना बढ़ गया है कि अब बात सरकार की चौखट तक पहुंच गई है.

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झगड़े की वजह क्या है इस पर बात करने से पहले यह समझना जरूरी है कि टाटा ट्रस्ट्स में किसकी क्या हिस्सेदारी है, पैरेंट कंपनी का मामला क्या है और कौन किसका चेयरमैन है.

आज की तारीख में टाटा समूह की करीब 400 कंपनियां हैं. लेकिन देश के कई कारोबारी घरानों की तरह टाटा समूह की ज्यादातर कंपनियों का मालिक कोई व्यक्ति या परिवार न होकर चैरिटेबल ट्रस्ट है. इस ट्रस्ट का नाम Tata Trusts है. 

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Tata Sons की लगभग 66% हिस्सेदारी Tata Trusts के पास है. Tata Sons टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी है. होल्डिंग कंपनी एक पैरेंट कंपनी होती है, जिसके तहत कई दूसरी कंपनियां काम करती हैं. मतलब टाटा समूह की सभी प्रमुख कंपनियों में टाटा संस हिस्सेदारी रखती है. फिर चाहे टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, TCS, टाटा पावर, टाटा केमिकल्स हों या दूसरी कंपनियां.

66% हिस्सेदारी की वजह से टाटा संस पर टाटा ट्र्स्ट्स का नियंत्रण है. 9 अक्टूबर 2024 को रतन टाटा का निधन हो गया. रतन टाटा के निधन के बाद उनके सौतेले भाई नोएल टाटा को Tata Trusts का चेयरमैन बनाया गया. लेकिन नोएल टाटा सीधे तौर पर Tata Sons के चेयरमैन नहीं हैं, बल्कि एन. चंद्रशेखरन टाटा संस के मौजूदा चैयरमैन हैं.

इस तरह से देखें तो टाटा ग्रुप की टॉप लीडरशिप में दो प्रमुख चेहरे हैं. पहला टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन नोएल टाटा और दूसरा टाटा संस के चैयरमैन एन. चंद्रशेखरन. हालांकि चंद्रशेखरन टाटा ग्रुप के पहले ऐसे चेयरमैन हैं जो टाटा परिवार से नहीं हैं.  

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टाटा समूह में झगड़े की वजह क्या है?

7 अक्टूबर को नोएल टाटा और चंद्रशेखरन, वेणु श्रीनिवासन और डेरियस खंबाटा, गृह मंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मिले. वेणु श्रीनिवासन टाटा ट्रस्ट्स के वाइस चेयरमैन हैं और डेरियस खंबाटा ट्रस्टी हैं.

कई मीडिया रिपोर्ट्स से पता चलता है कि रतन टाटा के निधन के बाद से ट्रस्ट आंतरिक रूप से बंट गया है. हाल के महीनों में यह दरार और बढ़ गई है. एक गुट नोएल टाटा के साथ है और दूसरा मेहली मिस्त्री के नेतृत्व में काम कर रहा है.

एनडीटीवी प्रॉफिट की रिपोर्ट के मुताबिक इस पूरे मामले से वाकिफ़ लोगों का कहना है कि फिलहाल समूह का नेतृत्व असल में दो धड़ों में बंट गया है. एक गुट नोएल टाटा के साथ है, तो दूसरा मेहली मिस्त्री के साथ. मेहली मिस्त्री के साथ दोराबजी टाटा ट्रस्ट के 3 ट्रस्टी शामिल हैं. ये हैं डेरियस खंबाटा, जहांगीर एच.सी.जहांगीर और प्रमित झावेरी.

मेहली मिस्त्री के शापूरजी पलोनजी फैमिली के साथ करीबी रिश्ते हैं. शापूरजी पलोन जी टाटा संस के लगभग 18.37% के मालिक हैं. मेहली मिस्त्री को कथित तौर पर लगता है कि उन्हें कई जरूरी फैसलों से दूर रखा गया. माना जा रहा है कि विवाद का मुख्य मुद्दा टाटा संस में बोर्ड सीटों का आवंटन है. 

मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि ताजा विवाद का कारण ये है कि इन चार ट्रस्ट्रीज ने कथित तौर पर "सुपर बोर्ड" की तरह काम किया है और चेयरमैन नोएल टाटा के अधिकार को कमज़ोर किया है. दोराबजी टाटा ट्रस्ट टाटा फैमिली का एक प्रमुख परोपकारी ट्रस्ट है. यह ट्रस्ट Tata Sons में हिस्सेदारी रखता है और टाटा समूह की अधिकांश कंपनियों पर परोक्ष नियंत्रण रखता है. 

इकोनॉमिक टाइम्स ने पिछले महीने एक रिपोर्ट में ट्रस्टियों के बीच गहरे मतभेद का खुलासा किया था. 11 सितम्बर 2015 को हुई बोर्ड बैठक में विवाद और भी बढ़ गया था. इस मीटिंग में पूर्व रक्षा सचिव विजय सिंह को टाटा संस के बोर्ड से बाहर होना पड़ा था.

सरकार क्यों हस्तक्षेप कर रही है?

इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने टाटा समूह के नेतृत्व से टाटा ट्रस्ट्स में स्थिरता बहाल करने को कहा है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि लगभग एक घंटे चली बैठक में, गृह मंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने टाटा समूह के शीर्ष नेतृत्व को ‘कड़ा संदेश’ दिया है. साथ ही इस बात पर ज़ोर दिया कि ग्रुप में स्थिरता ‘किसी भी तरह से’ बहाल की जानी चाहिए और आंतरिक मतभेदों का टाटा संस के संचालन पर कोई असर नहीं पड़ना चाहिए. इस मुद्दे को सुलझाने के लिए ट्रस्टियों की गुरुवार 9 अक्टूबर को दोबारा बैठक होनी है. 

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