2021 में भारतीयों ने स्विस बैंक में खूब पैसा जमा कराया है. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, 2020 के मुकाबले 2021 में भारतीयों ने स्विस बैंकों में 50 फीसदी ज्यादा रकम जमा की है. साल 2021 में भारतीयों ने स्विस बैंक में 3.83 अरब स्विस फ्रैंक यानी करीब 30 हजार 500 करोड़ रुपये जमा किये. यह रकम 14 साल में सबसे ज्यादा है. वहीं अगर साल 2020 की बात करें तो भारतीयों ने इस साल महज 20 हजार 700 करोड़ रुपये जमा किये थे. 2006 में भारतीयों का सबसे ज्यादा करीब 52 हजार करोड़ रुपया स्विस बैंकों में जमा था.
पैसा जमा करने के मामले में भारत 44वें नंबर पर स्विट्जरलैंड के सेंट्रल बैंक यानी स्विस नेशनल बैंक (SNB) की तरफ से जारी एक रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि स्विस बैंकों में भारतीयों के सेविंग अकाउंट और डिपॉजिट अकाउंट में जमा धनराशि भी बढ़कर 4800 करोड़ रुपये पर पहुंच गई है. भारतीय स्विस बैंक में कई माध्यमों के जरिये पैसा जमा करते हैं . इनमें बैंक, ट्रस्ट, सिक्योरिटीज और कस्टमर डिपॉजिट शामिल हैं. स्विस नेशनल बैंक ने कहा है कि भारतीय ग्राहकों की 2022 के अंत तक 30 हजार 839 करोड़ रुपये की देनदारी थी. स्विस बैंकों में पैसा जमा करने के मामले में भारत 44वें नंबर पर है. वहीं, इस मामले में ब्रिटेन पहले और अमेरिका दूसरे नंबर पर हैं.
क्या स्विस बैंकों में जमा पैसा कालाधन है?स्विस बैंकों में जमा भारतीयों का पैसा कालाधन है नहीं . इस बारे में विस्तार से जानेंगे लेकिन सबसे पहले समझते हैं कि स्विस बैंक क्या हैं. स्विटजरलैंड में 400 से ज्यादा बैंक हैं. ये तमाम बैंक स्विस फेडरल बैंकिंग एक्ट के गोपनीयता कानून के सेक्शन 47 के तहत बैंक अकाउंट खोलने का अधिकार रखते हैं. ये बैंक गोपनीयता का सख्ती से पालन करते थे. इसके मुताबिक अगर किसी ने स्विटजरलैंड में कोई अपराध नहीं किया है तो उसके बारे में बैंक कोई भी जानकारी साझा नहीं करता था. यहां तक कि स्विस सरकार के साथ भी नहीं. स्विस बैंक के खातों को सबसे सुरक्षित माना जाता है. खाता किस व्यक्ति का है, इसका पता बैंक के आम कर्मचारियों को भी नहीं होता. इस बारे में स्विस बैंक ने साफ कहा है कि यह कालाधन नहीं है. इसमें वह पैसा भी शामिल है जोकि भारतीयों, एनआरआई या अन्य लोगों ने दूसरे देशों के जरिये स्विस बैंकों में भेजा है. इसमें भारत में स्विस बैंकों की शाखाओं के साथ-साथ गैर-जमा देनदारियां भी शामिल हैं.
सरकार ने ब्लैकमनी को लेकर नियम कड़ेइस बारे में हमने भी टैक्स एक्सपर्ट से बात की तो उन्होंने बताया कि यह पूरा पैसा ब्लैकमनी नहीं है. हो सकता है कुछ रकम का स्रोत पता न चल पाया हो लेकिन भारत सरकार ने ब्लैकमनी को लेकर नियम काफी कड़े किये हैं. फिलहाल इनकम टैक्स रिटर्न भरते समय लोगों को लिबरालाइज्ड रेमिटेंस स्कीम यानी LRS के तहत अपने विदेशों में किये गए लेनदेन के बारे में जानकारी देना अनिवार्य हैं. आरबीआई के मुताबिक एक वित्तवर्ष में 2.5 लाख डॉलर (करीब 1 करोड़ 95 लाख रुपये) का विदेशी ट्राजैंक्शंस कर सकता है. यह पैसा विदेशी शेयर बाजारों, बॉन्ड और ईटीएफ में निवेश किया जा सकता है. इसी तरह से भारतीय करदाताओं को रिटर्न भरते समय अपने विदेश में किये गए निवेश यानी फॉरेन लायबिलटीज एंड एसेट्स (FLA) के बारे में भी जानकारी देनी जरूरी है.
भारत और स्विस सरकार के बीच समझौता अब जानते हैं कि भारत सरकार और स्विट्ज़रलैंड के बीच ब्लैकमनी को रोकने के लिए क्या प्रबंध किये गए हैं. दरअसल, भारत और स्विट्जरलैंड के बीच टैक्स मामलों को लेकर सूचनाओं का आदान-प्रदान 2018 से जारी है. इसके तहत, 2018 से स्विस बैंकों या वित्तीय संस्थानों के साथ खाते रखने वाले सभी भारतीय निवासियों की पूरी जानकारी पहली बार सितंबर 2019 में भारतीय टैक्स अधिकारियों को सौंपी गई थी. इसके अलावा, स्विट्जरलैंड सक्रिय रूप से उन भारतीयों के खातों के बारे में ब्यौरा साझा कर रहा है, जिन को लेकर भारत सरकार के पास इस बात का सबूत है कि उस व्यक्ति ने गलत काम के जरिये पैसा कमाकर स्विस बैंक में जमा कराया है. इस तरह की सूचनाओं का आदान-प्रदान अब तक सैकड़ों मामलों में हो चुका है. आपको बता दें कि स्विस बैंकों में पैसा रखने वाले दस शीर्ष देशों की सूची में वेस्ट इंडीज, जर्मनी, फ्रांस, सिंगापुर, हांगकांग, बाहमास, नीदरलैंड, केमन आइलैंड और साइप्रस शामिल है. इस सूची में भारत का स्थान पोलैंड, दक्षिण कोरिया, स्वीडन, बांग्लादेश और पकिस्तान जैसे देशों से पहले यानी 44वें नंबर पर है.
खर्चा पानी: भारतीयों ने स्विस बैंक में 30,500 करोड़ जमा किये, क्या यह ब्लैकमनी है?