Adani Group का कर्ज पिछले एक साल में करीब 21 फीसदी बढ़ा है. इस कर्ज में वैश्विक बैंकों की हिस्सेदारी बढ़कर एक तिहाई के करीब पहुंच गई है. न्यूज एजेंसी ब्लूमबर्ग ने Adani Group को लेकर जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है. रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि मार्च तिमाही के अंत में Adani Group ने अपना करीब 29 फीसदी कर्ज ग्लोबल इंटरनेशनल बैंकों से लिया है. ये जानकारी इसलिए अहम है क्योंकि सात साल पहले अडानी समूह को लोन देने वालों की सूची में ये वैश्विक बैंक शामिल नहीं थे.
Adani Group पर आई नई रिपोर्ट, कंपनी की क्या हकीकत पता लग गई?
Adani कर्ज में कहां तक डूबे हैं?
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इस रिपोर्ट में बताया गया है कि अडानी समूह का कर्ज भले ही बढ़ा हो, लेकिन ग्रुप की कर्ज चुकाने की क्षमता भी बेहतर हुई है. रिपोर्ट के अनुसार, अडानी समूह की शेयर मार्केट में सूचीबद्ध 7 प्रमुख कंपनियों का कर्ज मार्च के अंत में करीब 21 फीसदी बढ़कर 2.3 लाख करोड़ रुपये रहा. 2019 के बाद से Adani Group की तरफ से कर्ज लेने में लगातार इजाफा देखने को मिला है. अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद अडानी समूह को काफी झटका लगा है. इसी के चलते समूह कई तरह की रणनीति पर काम कर रहा है. इसके तहत अडानी समूह ने अपने गिरवी रखे शेयर छुड़ाए हैं. समूह ने मार्च तिमाही में करीब 25 हजार करोड़ रुपये का कर्ज समय से पहले चुकाया है. मिंट लाइव की एक रिपोर्ट में मंगलवार, 18 अप्रैल को कहा गया कि Adani Group ने करीब 3650 करोड़ रुपये कीमत के कमर्शियल पेपर्स के बदले दिए गए लोन का भी निपटारा किया है. देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई का अडानी समूह पर 27 हजार करोड़ रुपये का एक्सपोजर है.
सुप्रीम कोर्ट ने जांच बिठाईअमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग ने 24 जनवरी को एक रिपोर्ट जारी कर आरोप लगाया था कि Adani Group ने विदेशों में बनाई अपनी कंपनियों का इस्तेमाल टैक्स बचाने के लिए किया है. रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि मॉरिशस और कैरेबियाई द्वीपों जैसे टैक्स हेवन में बनाई गईं कई बेनामी कंपनियां हैं जिनके पास अडानी की कंपनियों में हिस्सेदारी है.
हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में ये आरोप भी लगाया था कि विदेश स्थित विनोद अडानी की कंपनियों ने बड़ी मात्रा में अडानी समूह की लिस्टेड कंपनियों और नान लिस्टेड कंपनियों में "अरबों रुपये" स्थानांतरित किए हैं और इस दौरान सेबी के नियमों को दरकिनार किया गया.
हालांकि, अडानी समूह ने इन सभी आरोपों को बेवुनियाद बताया था. समूह ने आरोपों के 413 पन्नों के जवाब में कहा था कि उसके द्वारा भारतीय कानूनों का पूरी तरह से पालन किया गया है.
इसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. सुप्रीम कोर्ट ने बीते मार्च में अडानी समूह और हिंडनबर्ग रिपोर्ट से जुड़े मामले पर एक एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया था. ये कमेटी 2 महीने में अपनी जांच रिपोर्ट कोर्ट को सौंपेगी.
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