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गिरते रुपये ने डुबाए निवेशकों के 7 लाख करोड़?

आज दिन के कारोबार (ट्रेडिंग) के दौरान सेंसेक्स करीब 800 अंक टूटकर 84,875 के निचले स्तर पर आ गया जबकि निफ्टी 1% की गिरावट के साथ लगभग 25,892 अंक तक फिसल गया

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शेयर बाजार क्रैश प्रतीकात्मक (फोटो क्रेडिट: Business Today)

भारतीय शेयर बाजार में सोमवार, 8 दिसंबर को भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिला. दोनों प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी करीब 1% तक टूट गए. वहीं, मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में भी भारी गिरावट देखने को मिली. स्मालकैप और मिडकैप इंडेक्स दो पर्सेंट तक लुढ़क गए. आज दिन के कारोबार (ट्रेडिंग) के दौरान सेंसेक्स करीब 800 अंक टूटकर 84,875 के निचले स्तर पर आ गया जबकि निफ्टी 1% की गिरावट के साथ लगभग 25,892 अंक तक फिसल गया. हालांकि, बाद में शेयर बाजार बंद होने पर कुछ रिकवरी दिखी. 8 दिसंबर को सेंसेक्स करीब 610 अंक गिरकर 85,103 अंक पर बंद हुआ. निफ्टी भी 226 अंक फिसलकर 25,960 अंक पर बंद हुआ.

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मिंट के पत्रकार निशांत कुमार की खबर बताती है कि इस गिरावट के चलते बंबई शेयर बाजार (BSE) में लिस्टेड कंपनियों का कुल मार्केट कैप 471 लाख करोड़ से गिरकर 464 लाख करोड़ रुपये के भी नीचे पहुंच गया. बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप का मतलब एक्सचेंज में जितनी कंपनियां सूचीबद्ध होती हैं उनके शेयरों की कुल कीमत को कहते हैं. इस तरह से शेयर बाजार में निवेश करने वाले लोगों को 7 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा. 

बता दें कि शेयर बाजार में किसी तरह का नुकसान या फायदा नोशनल होता है. आसान शब्दों में कहें तो अगर बाजार में रिकवरी आ गई और निवेशकों ने शेयर न बेचे तो नुकसान नहीं होगा. अब बात शेयर बाजार में अचानक आई गिरावट के कारणों की. 

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रुपये की कमजोरी से शेयर बाजार फिसला

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार दबाव में बना हुआ. सोमवार 8 दिसंबर को भी रुपया 90.38 प्रति डॉलर तक लुढ़क गया. दरअसल कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें और विदेशी निवेशकों के लगातार शेयर बेचने से मार्केट में गिरावट देखने को मिली है. 4 दिसंबर 2025 को रुपया 90.46 प्रति डॉलर के ऑलटाइम निचले स्तर पर आ गया था. जियोजित इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटजिस्ट डॉ. वीके विजयकुमार ने कहा कि रुपये में लगातार गिरावट से विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) भारत के शेयर बाजार से पैसा निकाल रहे हैं. भारत के शेयर बाजार के गिरने का दूसरा बड़ा कारण जापानी बॉन्ड यील्ड का बढ़ना है. विदेशी निवेशकों को जापान में निवेश करना अब ज्यादा  फायदेमंद लग रहा है.

अमेरिकी में ब्याज दरें बढ़ने की संभावना 

शेयर बाजार में गिरावट का एक बड़ा कारण अमेरिका में ब्याज दरों में कमी को माना जा रहा है. 9 दिसंबर को अमेरिका के केन्द्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की बैठक शुरू होगी और इस बैठक के नतीजे 10 दिसंबर को  आएंगे. वैसे तो उम्मीद है कि फेडरल रिजर्व 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर सकता है. लेकिन रिटेल  निवेशक पहले ही इस डर से शेयर बेचकर मुनाफा कमा ले रहे हैं. उनको लग रहा है अगर फेड ने ब्याज दरें न घटाईं तो शेयर बाजार गिरेगा और उनको नुकसान हो सकता है.

बिजनेस स्टैंडर्ड के पत्रकार देवांशु सिंगला की रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका के सेंट्रल बैंक की बैठक से पहले निवेशक सतर्क रुख अपना रहे हैं. इस रिपोर्ट में ब्रोकरेज फर्म एचडीएफसी सिक्योरिटीज के रिसर्च हेड देवर्ष वकील ने बताया है कि अमेरिका में फेडरल रिजर्व की बैठक शुरू हो रही है और वहां महंगाई के आंकड़े भी आने वाले हैं. इसलिए किसी भी संभावित नुकसान से बचने के लिए निवेशक काफी सतर्क नजर आ रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा और स्विट्जरलैंड के केंद्रीय बैंकों की भी इसी हफ्ते बैठक होने वाली है. ये भी एक वजह है कि भारत के शेयर बाजार गिर रहा है.

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भारत-अमेरिका ट्रेड डील अटकी

भारत और अमेरिका के बीच अब तक ट्रेड डील नहीं हो पाई है. हालांकि अभी दोनों देशों की ओर से सकारात्मक संकेत हैं, लेकिन यह अभी भी साफ नहीं है कि यह ट्रेड डील कब फाइनल होगी. न्यूज एजेंसी ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में बताया गया है कि अमेरिकी विदेश विभाग के एक सीनियर अधिकारी इस हफ्ते भारत आएंगे ताकि बातचीत आगे बढ़े. 6 दिसंबर को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक कार्यक्रम में संकेत दिया कि यह डील जल्द फाइनल हो सकती है लेकिन डेट नहीं बताई.

विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली

शेयर बाजार में आज आई गिरावट के पीछे विदेशी निवेशकों का भी हाथ है. FII यानी फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स इस साल जुलाई से भारतीय शेयर खूब बेच रहे हैं. मिंट की एक रिपोर्ट बताती है कि ये विदेशी निवेशक 1 लाख 60 हजार करोड़ रुपये कीमत के भारतीय शेयर बेच चुके हैं. सिर्फ दिसंबर में 5 कारोबारी दिनों में ही इन निवेशकों ने 10,404 करोड़ रुपये के शेयर बेच दिए. विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक दिसंबर तिमाही के नतीजे उम्मीद के मुताबिक नहीं आते और भारत-अमेरिका के बीच ट्रेड डील की आखिरी तारीख तय नहीं होती है तब तक बाजार में उतार-चढ़ाव जारी रह सकता है.

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