सीन 1: आपको अपनी पुरानी गाड़ी बेचनी थी, जो आपने बेच दी. गाड़ी के अच्छे पैसे भी मिल गए. आपने गाड़ी से जुड़े सभी डॉक्यूमेंट्स भी खरीददार को दे दिए. जैसे कि रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, बीमा, पॉल्यूशन सर्टिफिकेट यानी PUC आदि. खरीददार भी सभी कागज पत्री और कार की चाबी लेकर अपने रास्ते निकल लिया.
गाड़ी बेचते वक्त ये गलती की तो घर पर पुलिस आएगी
अपनी पुरानी गाड़ी अच्छे दाम में बेचकर, पैसा अकाउंट में देखकर और सारे कागज खरीदार के हाथ में थमाकर खुश हो रहे हैं तो रुक जाइए. आपकी एक चूक आपको जेल जाने के लिए मजबूर कर सकती है.

सीन 2: आप कोर्ट में खड़े हैं क्योंकि आपसे हुई है एक चूक. इस चूक की वजह से आप जेल भी जा सकते हैं. खबर कर्नाटक हाईकोर्ट से आई है.
गाड़ी बेचना भर नहीं हैकर्नाटक हाईकोर्ट ने एक मामले में गाड़ी के असल मालिक को आरोपी माना है. Live Law की रिपोर्ट के मुताबिक सुधा नामक एक महिला की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी. जब उनकी डेथ हुई, तो स्कूटर उसके असल मालिक के नाम पर ही रजिस्टर थी. ऐसे में जब ये मामला कोर्ट पहुंचा, तो पुराने मालिक को आरोपी बताया गया. इस मामले पर स्कूटर के असली मालिक प्रभाकरण ने दावा किया कि उन्होंने तो स्कूटी महिला को बेच दी थी. इसलिए उसे आरोपी नहीं बताया जा सकता है. लेकिन न्यायमूर्ति जे एम खाजी (J M Khazi) ने याचिकाकर्ता की तरफ से दायर याचिका को खारिज कर दिया. उन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 279 और 304-ए (लापरवाही से मौत) के तहत दंडनीय अपराध का आरोप लगाया गया था. न्यायमूर्ति जे एम खाजी ने कहा,
दुर्घटना की तारीख पर आरोपी नंबर 2 (प्रभाकरण) स्कूटर का पुराना मालिक था. वह अपने खिलाफ दर्ज अपराध को इस आधार पर रद्द करने की मांग नहीं कर सकता कि उसने वाहन पहले ही बेच दिया है.
इस केस में ये भी बात निकलकर आई कि जब स्कूटी बेची गई, तो महिला के पास ड्राइविंग लाइसेंस भी नहीं था. इसकी जानकारी शख्स को भी थी. लेकिन आरोपी शख्स ने बताया कि उसने महिला को एक शर्त के साथ स्कूटी बेची थी कि वह RC ट्रांसफर करा लेगी. लेकिन उसने ऐसा कुछ नहीं कराया और जब स्कूटी के साथ हादसा हुआ, तो पुराना मालिक भी आरोपी बन गया.

एक किस्म से खबर यहीं खत्म हो जाती है. मतलब इस तरीके की चूक हमारे यहां बहुत ही कॉमन है. विशेषकर जब गाड़ी को आपस में बेचा जाता है. लेनदेन तो हो जाता है मगर RC को ट्रांसफर नहीं करते हैं. कई बार सामने वाला भी आलस कर जाता है क्योंकि मामला तो जान-पहचान का है. लेकिन जब नए वाहन का मालिक किसी दुर्घटना में फंसता है, तो पुराने मालिक का नाम अपने आप ही इसमें शामिल हो जाता है. Supreme Court की इसको लेकर साफ गाइड लाइन भी है और कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला इसकी एक बानगी ही है. इसलिए आप गाड़ी देते समय ये सुनिश्चित करें कि सभी दस्तावेज इसके नए मालिक के नाम पर समय रहते ट्रांसफर हो जाएं.
जब एक व्यक्ति पुरानी गाड़ी खरीदता है, तो उसे 14 दिन के अंदर RC अपने नाम ट्रांसफर करा देनी चाहिए. वहीं, कार खरीदने वाला अगर दूसरे राज्य में रहता है, तो उसे करीब-करीब 45 दिन के अंदर इसे ट्रांसफर करा देना चाहिए. RC ट्रांसफर कराने के लिए आपको अपने नजदीकी RTO ऑफिस जाना होगा, सभी दस्तावेजों के साथ. क्योंकि ये लंबी और उबाऊ प्रोसेस है, ऐसे में आप एजेंट की मदद भी ले सकते हैं.
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