देश की नंबर 1 मोबाइल कंपनी कौन, शाओमी या सैमसंग? भई, कन्फ्यूज कर दिया
जानिए, दो रिसर्च कंपनियों के दावे अलग-अलग क्यों हैं?
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दो रिसर्च कंपनियों के आंकड़ों से ये सवाल खड़ा हो गया है कि देश में टॉप मोबाइल कंपनी सैमसंग है या शाओमी.
अभी कुछ दिन पहले रिसर्च फर्म कनालीस (Canalys) की एक रिपोर्ट आई थी. बताया गया कि गढ्ढे में गिरे इंडिया के स्मार्टफोन मार्केट ने साल के तीसरे तिमाही (Q3 2020) यानी जुलाई-अगस्त-सितंबर में गज़ब की छलांग मारी है. एक दूसरी मार्केट रिसर्च फर्म काउन्टरपॉइंट (Counterpoint) ने भी इसी तरह के आंकड़े पेश किये. दोनों का कहना है कि कोरोना लॉकडाउन में लोग खरीदारी नहीं कर पाए थे. उसके बाद ऑनलाइन सेल चालू हो गईं. बस इसी के चलते मार्केट ने रेकॉर्ड बना दिया.पिछले साल की तीसरी तिमाही (Q3 2019) के मुकाबले कनालीस ने इंडियन स्मार्टफ़ोन मार्केट की ग्रोथ को 8% बताया तो काउन्टरपॉइंट ने इसे 9% बोला. दोनों का ही कहना है कि इंडियन मार्केट में चाइनीज कंपनियों का बोलबाला है. देश की टॉप 5 में से 4 कंपनियां चाइनीज हैं. मगर इंडिया की टॉप स्मार्टफ़ोन कंपनी को लेकर दोनों की रिपोर्ट अलग-अलग हैं. कनालीस के हिसाब से टॉप पर अब भी चाइनीज कंपनी शाओमी है. वहीं, काउन्टरपॉइंट का कहना है कि साउथ कोरियन कंपनी सैमसंग ने शाओमी को पछाड़कर पहली पोज़ीशन पर कब्जा कर लिया है.
काउन्टरपॉइंट की रिपोर्ट क्या कहती है?

इंडियन मार्केट शेयर Q3 2020. (क्रेडिट: काउन्टरपॉइंट)
*पिछले साल की तीसरी तिमाही (Q3 2019) में सैमसंग और शाओमी का मार्केट शेयर 20% और 26% था, मगर इस साल की तीसरी तिमाही (Q3 2020) में सैमसंग का मार्केट शेयर बढ़कर 24% हो गया है. शाओमी का शेयर घटकर 23% रह गया.
*काउंटरपॉइंट के मुताबिक, तीसरे नंबर पर वीवो है, चौथे पर रियलमी और पांचवीं पोज़ीशन पर ऑप्पो है.
*इंडियन स्मार्टफ़ोन मार्केट में जुलाई-अगस्त-सितंबर में 5.3 करोड़ फ़ोन शिप हुए. पिछले साल की तुलना में ये 9% ज्यादा है.
*10,000 से 20,000 रुपए वाले मिड-टियर सेगमेंट में इस तिमाही में सबसे ज़्यादा ग्रोथ हुई. इसी के साथ 20,000 से 30,000 रुपए की रेंज में वनप्लस नॉर्ड स्मार्टफ़ोन सबसे ज़्यादा बिकने वाला स्मार्टफ़ोन रहा.

वनप्लस नॉर्ड. (फ़ोटो: वनप्लस)
*वनप्लस 8 की सेल के साथ अफोर्डेबल सेगमेंट (30,000 - 45,000 रुपए) में वनप्लस टॉप ब्रांड रहा.
*आईफोन SE 2020 और आईफोन 11 की पॉपुलैरिटी के चलते प्रीमियम सेगमेंट (30,000 रुपए से ऊपर की रेंज) में ऐपल टॉप पर रहा.
रिसर्च फर्म क्या करती हैं?
किसी भी तरह के बिज़नेस के फलने-फूलने के लिए मार्केट की समझ और जानकारी होना बहुत ज़रूरी है. आप कितने पानी में हैं, आपके कॉम्पिटीटर कहां चल रहे हैं, मार्केट में किस चीज़ की डिमान्ड आने वाले टाइम में बढ़ने वाली है वग़ैरह-वग़ैरह. बस यही जानकारी जुटाने के लिए मार्केट रिसर्च फर्म एग्ज़िस्ट करती हैं.

काउन्टरपॉइंट के मुताबिक सैमसंग का मार्केट शेयर 24% है.
एक इंडस्ट्री में एक से ज़्यादा रिसर्च फर्म काम करती हों. ऐसी सूरत में इनके आंकड़े आगे-पीछे होते हैं. मगर इस बार काउन्टरपॉइंट और कनालीस के आंकड़ों में कुछ ज़्यादा ही फ़र्क है. इतना ज़्यादा कि दोनों ने अलग-अलग कंपनियों को इंडिया की टॉप मोबाइल कंपनी घोषित कर दिया.
इनके नंबर अलग-अलग क्यों हैं?
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि दो रिसर्च फर्म के नंबर अलग-अलग हैं. कुछ ऐसा ही केस 2018 में टॉप स्पॉट को लेकर सैमसंग और शाओमी के बीच हुआ था. लेकिन तब कनालीस और काउन्टरपॉइंट दोनों का मानना था कि शाओमी टॉप पर है. और एक तीसरी फर्म Gfk के मुताबिक सैमसंग टॉप पर थी.

शाओमी के Redmi Note 9 सीरीज़ ने काफ़ी सेल की है.
चूंकि हर फर्म का कैल्कुलेशन मेथड थोड़ा अलग होता है इसलिए नंबर भी अलग आते हैं. कुछ रिसर्च कंपनियां सेल के आंकड़े देखती हैं तो कुछ शिपमेंट नंबर काउन्ट करती हैं. शिपमेंट का मतलब वे फ़ोन, जिनको बेचने के लिए भेजा जाता है. कहां? ऑनलाइन चैनल जैसे फ़्लिपकार्ट, ऐमज़ॉन या फ़िर ऑफलाइन रीटेल शॉप्स पर.
काउन्टरपॉइंट और कनालीस दोनों ही स्मार्टफ़ोन शिपमेंट काउन्ट करते हैं, मगर शायद इनके कैल्कुलेशन मेथड में फ़र्क होने की वजह से मार्केट शेयर के नंबर में इतना ज़्यादा फ़र्क आ रहा है. अभी सैमसंग और शाओमी के स्मार्टफ़ोन शिपमेंट के आंकड़े और मार्केट शेयर काफ़ी आजू-बाजू हैं, इसलिए ये कन्फ्यूज़न बना हुआ है. बात तब ही क्लियर होगी जब अगली तिमाही के आंकड़े आएंगे. 2018 वाला कन्फ्यूज़न ऐसे ही क्लियर हुआ था और ये वाला भी ऐसे ही क्लियर होगा. तब तक थोड़ा सब्र रखिए.