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17/5 था भारत का स्कोर, फिर कपिल देव शक्तिमान बन गए और 1983 वर्ल्डकप बचा लिया

इंट्रेस्टिंग बात ये कि इस मैच का कोई भी लाइव वीडियो, कोई रेडियो कमेंट्री, कुछ भी नहीं है.

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कपिल ने 1983 वर्ल्डकप में खेली थी अपने जीवन की सर्वश्रेष्ठ पारी.
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सौरभ
18 जून 2021 (Updated: 18 जून 2021, 11:42 IST)
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18 जून 1983. जिम्बाब्वे क्रिकेट यूनियन के चेयरमैन डेव एलमैन ब्राउन के पास एक फोन आया. ये फोन था बीबीसी के संवाददाता का. वो उनका इंटरव्यू चाहते थे. वो इसलिए क्योंकि उनको लगा था कि जिम्बाब्वे भारत के खिलाफ चल रहा मैच जीत रहा है. ऐसा इसलिए लग रहा था क्योंकि भारत के 17 रन पर 5 विकेट गिर चुके थे. खाली बीबीसी ही नहीं, मैच के आयोजक भी ये स्कोर देखकर परेशान हो गए थे कि मैच तो एक-आध घंटे में ही निपट जाएगा और परेशान थे. डेव ने दोनों को जवाब दिया -
द गेम इज नॉट ओवर.
जी हां. डेव के मुंह से निकले ये शब्द एकदम सही साबित हुए. शत प्रतिशत सही. मैच ऐसा पलटा ऐसा पलटा कि कोई नेता क्या पलटेगा. शुरू से शुरू करते हैं. ये उस मैच की कहानी है जिसमें कपिल देव के बल्ले में आग लग गई थी. बंदे ने पूरे विश्व को दहला के रख दिया था. अपनी बैटिंग से. अपना पहला और इकलौता शतक मारकर.
सुनील गावस्कर ने एक इंटरव्यू में इसे 'बेस्ट वनडे इनिंग एवर' बताया था. और ये मैच भी कोई ऐसा-वैसा मैच नहीं था. वर्ल्डकप का मैच था. जीवन-मरण वाला मैच. माने जिम्बाब्वे से ये मैच हारे तो सेमीफाइनल का सपना भूल जाना पड़ता. और भारत अपना पहला वर्ल्डकप जीतने से चूक जाता.
ये तस्वीर कभी न खिंचती अगर कपिल जिंबाब्वे के खिलाफ अपना बेस्ट न दिखाते.
ये तस्वीर कभी न खिंचती अगर कपिल जिंबाब्वे के खिलाफ अपना बेस्ट न दिखाते.

ये 1983 वर्ल्डकप का 20वां मैच था. टनब्रिज वेल्स के मैदान पर. मैदान खचाखच भरा था. भयानक उत्साह. भारतीय टीम पहले बैटिंग करने उतरी. मैदान पर लिटिल मास्टर सुनील गावस्कर और उस जमाने के सहवाग कहे जाने वाले श्रीकांत उतरे. पर दोनों ही ठुस्स हो गए. खाता तक नहीं खोल सके. सारा भौकाल धरा रह गया.
इसके बाद आए मोहिंदर अमरनाथ और संदीप पाटिल का भी यही हाल रहा. अमरनाथ ने गावस्कर से पांच गुना ज्यादा रन यानि 5 रन बनाए. पाटिल ने भी पूरे 1 रन बनाए. टीम का स्कोर 9 रन पर 4 विकेट हो गया था. फिर क्रीज पर खड़े यशपाल शर्मा का साथ देने आया वो आदमी जो उस दिन न जाने क्या खाकर आया था. हम बात कर रहे हैं उस वक्त टीम के कप्तान कपिल देव की. 24 साल के उस लड़के की जिसे कुछ महीनों पहले ही एक से एक हैवीवेट खिलाड़ियों से भरी टीम की कमान सौंप दी गई थी.
खैर कपिल के आने के बाद भी तू चल मैं आया का दौर खत्म नहीं हुआ. जिम्बाब्वे के पेस बॉलर पीटर रॉसन और केविन कर्रन ने भारत के टॉप ऑर्डर की बखिया उधेड़ दी थीं. यशपाल शर्मा कपिल के आने के चंद मिनट बाद ही 9 रन बनाकर चल दिए थे. टीम का स्कोर 17 रन पर 5 विकेट हो गया. कपिल को समझ आ गया कि अब उन्हें ही गदा उठानी पड़ेगी.
अभी नहीं तो कभी नहीं वाली स्थिति थी. सो वो मैदान पर तंबू गाड़कर बैठ गए. यशपाल के जाने के बाद मैदान में आए रोजर बिन्नी. उन्होंने कुछ देर कपिल का साथ दिया. 22 रन बनाए. 50 रन की पार्टनरशिप की मगर फिर वो भी वापस चले गए. भारत का स्कोर 77 रन पर 6 विकेट हो गया. इसके बाद आए रवि शास्त्री भी जितनी तेजी से आए उतनी ही तेजी से लौट गए. पूरे 1 रन बनाकर आउट हुए. स्कोर 78 पर 7 विकेट हो गया.
कपिल देव ने 72 गेंदों पर मार दिया था शतक.
कपिल देव ने 72 गेंदों पर मार दिया था शतक.

किरमानी के दिव्य ज्ञान से जाग उठे कपिल
फिर भारत को एक जीवनदान मिला. मतलब कोई कैच नहीं छूटा था. भारतीय बल्लेबाजों की नाक में दम किए रॉसन और कर्रन को जिंबाब्वे के कप्तान डंकन फ्लेचर ने रेस्ट दे दिया था. इसका फायदा क्रीज पर आए मदन लाल और कपिल देव ने बखूबी उठाया. टीम का स्कोर 140 तक पहुंच गया मगर फिर मदन लाल 17 रन बनाकर आउट हो गए. स्कोर था 140/8. मैदान पर अब एंट्री मारी सैय्यद किरमानी ने. कपिल देव के पास गए और बोले -
तुम अपना नैचुरल गेम खेलो अब. टेंशन नहीं लो.
कपिल ने जवाब दिया - हम दोनों को 60 ओवर खेलना है.
किरमानी ने कपिल को काम की सलाह दी.
किरमानी ने कपिल को काम की सलाह दी.
60 ओवर. जी हां ये मैच 60 ओवर का ही था. तब इतने ही ओवर का वनडे मैच होता था. कलर ड्रेस भी नहीं थी. पर कपिल अब अपने बल्ले से जिम्बाब्वे के गेंदबाजों को सारे रंग दिखाने वाले थे. किरमानी का ये बोलना था कि कपिल के बल्ले में करंट आ गया. पहले जो कपिल सिंगल-डबल लेकर खेल रहे थे, उन्होंने जो मारना शुरू किया कि पूछो मत. मार छक्का, चउवा सूत दिया एकदम.
72 गेंदों पर कपिल का शतक पूरा हो चुका था. माने एक तरफ से किरमानी कपिल को स्ट्राइक दे रहे थे और दूसरी तरफ से कपिल उड़ा रहे थे. गेंदबाजों को नौवें विकेट के लिए तरसा रहे थे. दोनों के बीच 126 रन की पार्टनरशिप हुई. नाबाद वाली. पवेलियन में बलविंदर सिंह संधू पैड बांधकर अपनी चल्ला का इंतजार ही करते रह गए. किरमानी ने अपनी इस इनिंग में 24 रन बनाए. वहीं 60 ओवर खत्म होने तक कपिल 138 बॉलों पर 175 रन ठोंक चुके थे. 16 चौकों और 6 छक्कों की मदद से.
भारत का स्कोर कार्ड.( सोर्स- ईएसपीएन क्रिक इंफो)
भारत का स्कोर कार्ड.(सोर्स- ईएसपीएन क्रिक इंफो)

कपिल अद्भुत, अद्वितीय, अकल्पनीय पारी खेल चुके थे...वो पारी जो इतिहास के पन्नों पर मोटें अक्षरों में लिखी जानी थी. वो पारी जो टीम इंडिया को वर्ल्डकप के और करीब ले जा रही थी. वो पारी जो दुनिया या कहें भारतीयों को ये यकीन दिला रही थी कि उन्हें वो कप्तान मिल गया है जो वर्ल्डकप का सूखा पूरा करने जा रहा है.
कपिल की इस इनिंग का जलवा ऐसे समझिए कि जब कपिल इस इनिंग को खेलकर वापस पवेलियन की तरफ लौटे तो वहां महान सुनील गावस्कर ने खुद उन्हें अपने हाथ से ग्लास में पानी भरकर पानी पिलाया. उनसे जाकर मिले और शाबाशी दी. कपिल की इस इनिंग की बदौलत ही टीम इंडिया ने 60 ओवरों में 266 रन बनाए. इसके जवाब में उतरी जिंबाब्वे की टीम 235 पर ऑलआउट हो गई थी. सबसे ज्यादा तीन विकेट मदन लाल ने लिए. उनके अलावा रोजर बिन्नी और अमरनाथ ने भी शानदार बॉलिंग की. जिसकी बदौलत टीम सेमीफाइनल में पहुंची और फिर वर्ल्डकप जीता.
जिंबाब्वे का स्कोर कार्ड. (सोर्स - ईएसपीएन क्रिक इंफो)
जिंबाब्वे का स्कोर कार्ड. (सोर्स - ईएसपीएन क्रिक इंफो)

पर कोई देख नहीं सका था ये मैच
कपिल का ये पहला और उनका इकलौता शतक था. मगर उनकी इस शानदार इनिंग को कोई लाइव देख नहीं पाया था. लाइव टेलिकास्ट तो छोड़िए, लोग इस मैच को रेडियो तक पर सुनने को तरस गए थे. वो इसलिए क्योंकि उस दिन बीबीसी हड़ताल पर था. कैमरा वाले मैदान पर ही नहीं आए थे. एक और बात बताएं. टेलिकास्ट तो छोड़िए इस मैच की न तो कोई वीडियो रिकॉर्डिंग है और न ऑडियो. माने जैसे 2011 वर्ल्डकप का वो धोनी का विनिंग छक्का आप यूट्यूब पर जाकर देख लेते हो. वैसे इसको नहीं देख सकते. बस याद कर सकते हैं. खुश हो सकते हैं. गर्व कर सकते हैं. कपिल की कभी न भुलाई जा सकने वाली इस इनिंग पर.


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