The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • Sports
  • Jasprit Bumrah performance in test cricket Gautam Gambhir need to think beyond

टीम इंडिया को टेस्ट में जसप्रीत बुमराह से आगे सोचने की है जरूरत? आंकड़े आप खुद देख लीजिए

Anderson-Tendulkar Trophy में Jasprit Bumrah सिर्फ 3 मुकाबले खेले. वर्कलोड मैनेजमेंट के कारण उन्होंने सीरीज के पहले ही ये कह दिया था कि वो तीन ही मुकाबले खेलेंगे. सीरीज के दौरान उन्होंने पहले Leeds, फिर Lord's और अंत में Manchester Test खेला.

Advertisement
Jasprit Bumrah, India tour of England, Ind vs Eng
जसप्रीत बुमराह ने एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी में तीन ही मैच खेले थे, इसमें उन्होंने कुल 14 विकेट लिए. (फोटो-AP)
pic
सुकांत सौरभ
6 अगस्त 2025 (Updated: 6 अगस्त 2025, 02:43 PM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

टेस्ट क्र‍िकेट में जब भी टीम इंडिया (Team India) के पेसर्स की बात होती है, सबसे पहला नाम जो जुबान पर आता है वो है जसप्रीत बुमराह (Jasprit Bumrah) का. विराट कोहली (Virat Kohli) और रोहित शर्मा (Rohit Sharma) के संन्यास के बाद टीम में फिर भी बैटर्स दिख रहे थे, जिन पर भरोसा किया जा सकता है. लेकिन, जब बात आती है कि बुमराह सारे मैच नहीं खेल सकते तो टीम इंडिया का कॉम्बिनेशन क्या होगा?

इसका जवाब टॉस से पहले तक माथापच्ची करने के बावजूद संतोषजनक नहीं होता. ये हमने एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी (Anderson-Tendulkar Trophy) के उन दोनों मैच में देखा, जिसमें बुमराह नहीं खेले. ये अलग बात है कि हमने ये दोनों मुकाबले जीत लिए. लेकिन, इस सीरीज ने हमारे सामने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है. क्या टेस्ट क्र‍िकेट अब बुमराह से आगे सोचने का समय आ गया है?

बॉलर्स की गुत्थी उलझी

भारतीय बैटिंग लाइन-अप ने इंग्लैंड में कमाल कर दिया. इसने उन सभी सवालों का जवाब दे दिया, जो इस सीरीज से पहले पूछे जा रहे थे. लेकिन, असल टेंशन बैटिंग की नहीं, अब बॉलिंग की ही है. इसका सबसे बड़ा सबूत है बुमराह पर जरूरत से ज्यादा निर्भरता. बुमराह अब खुद चोट की वजह से पहले जैसे असरदार नहीं दिख रहे.

ऐसा नहीं है कि वो टेस्ट क्र‍िकेट में विकेट नहीं ले रहे, लेकिन जब उन पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, उनका प्रदर्शन बहुत औसत रहता है. इसका एक बहुत बड़ा कारण ये भी है कि जब बुमराह खेलते हैं, दूसरे बॉलर्स न उतना दबाव लेते हैं और न ही वो कंसिस्टेंट होते हैं.

bumrah
जसप्रीत बुमराह.
क्यों बुमराह के भविष्य पर उठा सवाल?

जसप्रीत बुमराह ने सीरीज की शुरुआत से पहले ही एलान कर दिया था कि वो सिर्फ तीन मुकाबला ही खेल सकेंगे. मैनचेस्टर टेस्ट को ड्रॉ कराकर जब सीरीज में टीम इंडिया ने शानदार वापसी की, तो सबकी निगाहें इसी पर‍ टिकी थीं कि टीम के सबसे प्रमुख बॉलर ओवल में यानी डिसाइडर मैच में खेलेंगे या नहीं. हालांकि, जैसा पहले से तय था बुमराह इस अहम मुकाबले में नहीं खेले.

वर्ल्ड क्रिकेट में बुमराह का नाम बड़े सम्मान से लिया जाता है. वो 21वीं सदी के सबसे बेहतरीन तेज गेंदबाजों में से एक हैं. 19.6 का टेस्ट औसत, जो 200 से ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाजों में सबसे बेस्ट हैं. लेकिन, उनकी चोटों और टीम में बाकी गेंदबाजों का प्रदर्शन उस लेवल का नहीं होने की वजह से उन पर बढ़ते दबाव ने अब टेस्ट क्रि‍केट में उनके भ‍विष्य पर सवाल उठा दिया है. उदाहरण के तौर पर आप मोहम्मद‍ सिराज को ही ले लें. बुमराह के साथ खेले गए 25 टेस्ट में सिराज ने 74 विकेट ही लिए हैं. इस दौरान उनका औसत 35 और स्ट्राइक रेट 57.3 का रहा है. 

न्यूजीलैंड के ख‍िलाफ घरेलू सीरीज में टीम इंडिया 3-0 से हार गई थी. उस सीरीज में बुमराह का प्रदर्शन बहुत फीका रहा था. इसके बाद ऑस्ट्रेलिया में बुमराह ने पहले ही मैच में कप्तानी संभाली तो अकेले दम पर पहला टेस्ट जिताया. इस सीरीज में बुमराह ने बेहतरीन बॉलिंग की थी. उन्होंने 5 मैचों में 32 विकेट लिए थे, जबकि सिराज ने 20 लिए थे. हालांकि, सीरीज में ज्यादा दबाव होने की वजह से बुमराह की पीठ की चोट फिर से उभर आई और उन्हें टीम से बाहर होना पड़ा.

ये भी पढ़ें : अब मोहम्मद सिराज के वर्कलोड मैनेजमेंट की मांग किसने उठा दी?

दबाव नहीं हो पा रहा कम

जसप्रीत बुमराह ने इस साल IPL में वापसी की. इकोनॉमी रेट 7 से कम रही, लेकिन टेस्ट क्रिकेट की बात ही अलग है. वर्कलोड और फिटनेस की वजह से उन्हें एक सीरीज में तीन से ज्यादा टेस्ट न खेलने की सलाह दी गई है. इंग्लैंड के खिलाफ हुई सीरीज के पहले टेस्ट में बुमराह ने पहली इनिंग में पांच विकेट लेकर उम्मीदें जगाईं. लेकिन जब टीम को 371 रनों का बचाव करना था, तो बुमराह विकेटलेस रहे.

ऐसा पहली बार नहीं हुआ. 2021 वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में भी वो एक भी विकेट नहीं ले पाए थे, जबकि उस पिच पर बाकी टीमों ने 250 रन भी नहीं बनाए थे. बुमराह ने इंग्लैंड के ख‍िलाफ लॉर्ड्स टेस्ट की पहली इनिंग में भी 5 विकेट लिए, वहीं दूसरी इनिंग में उन्होंने 2 विकेट चटकाए. मैनचेस्टर टेस्ट में भी वो खेले, लेकिन इस मैच में वो दो विकेट ही ले सके. उन्होंने 33 ओवर बॉलिंग भी की, पर असरदार नहीं दिख रहे थे.

jasprit
जसप्रीत बुमराह के साथ कोच गौतम गंभीर.
पहले बॉलर्स करते थे मदद

एक समय था, जब टेस्ट क्र‍िकेट में मोहम्मद शमी और इशांत शर्मा जैसे बॉलर बुमराह के साथ मिलकर हर टीम के बैटर्स को परेशान कर देते थे.ये तीनों मिलकर 50-60 ओवर तक सटीक, कंट्रोल और स्विंग से बल्लेबाजों को परेशान कर देते थे. 2018-19 में इस तिकड़ी ने कलेक्टिवली 40 मैच में 172 विकेट निकाले थे. वहीं, 2018 में, इस तिकड़ी ने एक कैलेंडर वर्ष में 131 विकेट लिया था. इसी के साथ इस तिकड़ी ने जोएल गार्नर, माइकल होल्डिंग और मैल्कम मार्शल की महान वेस्टइंडीज तिकड़ी के 34 साल पुराने रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया था.

लेकिन, अब ये तिकड़ी टूट चुकी है. मोहम्मद सिराज एक अच्छे बॉलर हैं, लेकिन शमी और इशांत की तरह वो बुमराह के साथ मिलकर एक खतरनाक जोड़ी नहीं बना पा रहे. इस सीरीज में सिराज भले ही सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले बॉलर रहे. लेकिन, जिन तीन मैचों में बुमराह खेले, उनमें वो 5 इनिंग में कुल 7 विकेट ही ले सके. सिराज के अलावा बाकी बॉलर्स तो कंसिस्टेंटली टीम में जगह भी नहीं बना पा रहे हैं.

प्रसिद्ध कृष्णा में रफ्तार तो है, लेकिन टेस्ट क्रिकेट में अनुभव की कमी है. बाएं हाथ के तेज गेंदबाज अर्शदीप सिंह से टीम को पारंपरिक स्विंग की उम्मीद है. आकाश दीप ने भी अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन टीम मैनेजमेंट उन पर पूरा भरोसा नहीं कर पा रहा. ऑलराउंडर शार्दुल ठाकुर पहले टेस्ट में बेअसर रहे. और नीतीश कुमार रेड्डी को अभी अपनी गेंदबाजी पर बहुत काम करना है. प्रसिद्ध ने सीरीज के अंतिम मैच में 8 विकेट जरूर चटकाए, लेेकिन सीरीज के तीन मैचों में उनकी इकॉनमी लगभग 5 की रही. बॉलर्स की कमी के कारण ही टीम ने मैनचेस्टर में अंशुल कंबोज को भी मौका देकर देखा, लेकिन वो भी असरदार नहीं दिखे. वो मैनचेस्टर टेस्ट में सिर्फ 1 विकेट चटका सके. 

बीसीसीआई के लिए क्या है चुनौती?

इनके अलावा बुमराह ही अगर एक मैच में अच्छा करते हैं, तो अगले मैच में विकेट के लिए तरसते दिख रहे हैं. बुमराह के साथ बड़ी दिक्कत ये भी है कि वो अब पहले की तरह लंबे स्पेल में बॉलिंग नहीं कर सकते. यानी 'कोहली-रोहित' के बाहर होने की चर्चा तो बहुत हुई, लेकिन असली चिंता 'शमी-इशांत' के बाहर होने की है. बुमराह टीम इंडिया के तीनों फॉर्मेट के सबसे प्रमुख बॉलर हैं. ऐसे में अगर सारे फॉर्मेट में उन पर इतना दबाव होगा, तो ये तय है कि बुमराह के करियर पर इसका बुरा प्रभाव पड़ सकता है.

यानी ये कहना गलत नहीं होगा कि बुमराह को जल्द फॉर्मेट चुनने की चुनौती का सामना करना पड़ सकता है. और अगर ऐसा हुआ तो टेस्ट क्र‍िकेट में बीसीसीआई भी चाहेगा वो एक ऐसे बॉलर को प्राथमिकता दे जो लंबी सीरीज में भी हर मैच खेल सके. वरना पेस बॉलिंग बैटरी तैयार करने की चुनौती हमेशा बनी ही रह जाएगी.

वीडियो: बुमराह को लेकर दिग्गज क्रिकेटर ने किया बड़ा दावा, बोले- 'वो जल्द ही संन्यास...'

इस पोस्ट से जुड़े हुए हैशटैग्स

Advertisement