हम तो प्यार थामेंगे, भले हथियार तुम थामो
जंग जैसे दौर में एक कविता रोज में पढ़िए प्यार के बीज बोती रत्नेश कुमार की कविता 'चलो अब जंग हो फिर से.'
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फोटो - thelallantop
चलो अब जंग हो फिर से
चलो अब जंग हो फिर सेचलो कुछ हाथ में थामोकि हम तो प्यार थामेंगेभले हथियार तुम थामो
मगर सुन लो चुनौती हैखुले तेरे दुकानों मेंमोहब्बत बस भरेंगे हमतेरे वहसी मकानों मेंकि हम तो फूट भर देंगेइशक को कूट भर देंगेतुम अपना सच मिटा दोगेजो अपनी झूठ भर देंगेमगर सुन लो मिटाना हैनहीं कुछ हमको दुनिया मेंपुराना घर बसाना हैवही फिर हमको दुनिया मेंजहां मिटटी रहे,खुशबू रहेबादल परिंदा होकि जिसमें हम भी जिन्दा होकि जिसमें तुम भी जिन्दा हो
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