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हम तो प्यार थामेंगे, भले हथियार तुम थामो

जंग जैसे दौर में एक कविता रोज में पढ़िए प्यार के बीज बोती रत्नेश कुमार की कविता 'चलो अब जंग हो फिर से.'

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6 अक्तूबर 2016 (Updated: 6 अक्तूबर 2016, 02:17 AM IST) कॉमेंट्स
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ये हैं रत्नेश कुमार. लल्लनटॉप डेली पढ़ते हैं. और अपने सुझाव भी भेजते हैं. पर इनकी एक बड़ी खासियत ये है कि लिखते भी लल्लनटॉप हैं. खासकर कविताएं. आजकल बीएचयू से पत्रकारिता की पढ़ाई कर रहे हैं. रहते भी बनारस में ही हैं. और जैसा कि हर बनारसी के साथ होता है, दर्शन में खासी रुचि रखते हैं. चाहे एटम बम का दर्शन हो या जीवन का. एक कविता रोज में इनकी कविता पढ़ जाइए, खुदै समझ जाएंगे -

चलो अब जंग हो फिर से

चलो अब जंग हो फिर सेचलो कुछ हाथ में थामोकि हम तो प्यार थामेंगेभले हथियार तुम थामो
मगर सुन लो चुनौती हैखुले तेरे दुकानों मेंमोहब्बत बस भरेंगे हमतेरे वहसी मकानों मेंकि हम तो फूट भर देंगेइशक को कूट भर देंगेतुम अपना सच मिटा दोगेजो अपनी झूठ भर देंगेमगर सुन लो मिटाना हैनहीं कुछ हमको दुनिया मेंपुराना घर बसाना हैवही फिर हमको दुनिया मेंजहां मिटटी रहे,खुशबू रहेबादल परिंदा होकि जिसमें हम भी जिन्दा होकि जिसमें तुम भी जिन्दा हो

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