अच्छी सेहत के लिए फल-सब्जियों के साथ सप्लीमेंट भी जरूरी, लेकिन ये सेफ कितने हैं?
एक्सपर्ट भी कहते हैं कि खाने से भरपूर पोषण नहीं मिल रहा है.
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(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
दिव्या 29 साल की हैं. दिल्ली की रहने वाली हैं. उन्होंने हमें मेलकर एक सवाल पूछा. दिव्या कहती हैं कि पिछले बहुत समय से उन्हें काफ़ी थकान महसूस हो रही है. वो कुछ भी करती हैं तो जल्दी थक जाती हैं. साथ ही उनके जोड़ों में भी दर्द रहता है. उन्हें किसी बीमारी के लक्षण महसूस नहीं हो रहे थे, इसलिए उन्होंने डॉक्टर को दिखाना ज़रूरी नहीं समझा. पर कुछ समय पहले उनके कुछ ब्लड टेस्ट हुए. उनके शरीर में विटामिन डी और कैल्शियम की काफ़ी कमी थी.
जब उनके फैमिली डॉक्टर ने ये टेस्ट देखे तो दिव्या को अपना खान-पान सुधारने की सलाह दी गई. खाने के साथ सप्लीमेंट्स लेने के लिए भी कहा गया. डॉक्टर का कहना था कि जो खाना वो खा रही हैं, उससे उन्हें ज़रूरी पोषण नहीं मिल रहा है. इलसिए दिव्या को हर समय थकान और जोड़ों में दर्द रहता है.
पर दिव्या सप्लीमेंट्स को लेकर श्योर नहीं हैं. उनका सवाल है कि क्या ये सेफ़ हैं? साथ ही वो जानना चाहती हैं कि अगर सब्ज़ी-रोटी से उन्हें ज़रूरी पोषण नहीं मिल रहा, जो आमतौर पर हम सबकी डाइट का अहम हिस्सा होता है, तो ऐसे में सप्लीमेंट्स क्या कर लेंगे. वो चाहती हैं हम सप्लीमेंट्स पर एक एपिसोड बनाएं. डॉक्टर से पूछकर लोगों को इनके बारे में जानकारी दें. सप्लीमेंट्स की ज़रूरत क्यों पड़ती है, ये क्या होते हैं, ये अपने शो पर बताएं. ये सारे सवाल हमने पूछे एक्सपर्ट्स से.
तो सबसे पहले ये समझ लीजिए कि आपको सप्लीमेंट्स खाने की ज़रूरत क्यों है? सप्लीमेंट्स खाने की ज़रूरत क्यों पड़ती है? ये हमें बताया डॉक्टर लवलीना नादिर ने.
डॉक्टर लवलीना नादिर, फोर्टिस एंड अपोलो हॉस्पिटल, दिल्ली
-आम धारणा है कि अगर हम बीमारी नहीं हैं तो स्वस्थ हैं.
-पर ये बिलकुल सही नहीं है.
-क्योंकि अगर हमको ठीक से नींद नहीं आती, जोड़ों में दर्द रहता है, कमर में दर्द रहता है
-काम करने की क्षमता नहीं है, फोकस नहीं कर पाते हैं
-बाल झड़ रहे हैं
-नाख़ून ड्राय हो गए हैं
-जीभ पर छाले हो गए हैं
-मुंह के आसपास क्रैक हैं
-ये सारे लक्षण साबित करते हैं कि हमारे खाने में पौष्टिकता का अभाव है.
-इन लक्षणों का मतलब है स्वास्थ्य ठीक नहीं है.
-क्योंकि WHO के मुताबिक सेहत की परिभाषा है: हमारी मानसिक, शारीरिक, सेक्शुअल हेल्थ ठीक होनी चाहिए.
-सिर्फ़ बीमार न होने का मतलब ये नहीं कि स्वास्थ्य अच्छा है.
-हमारे खाने में संतुलित, पौष्टिक आहार नहीं मिलता.
-जहां हमारा खाना उगता है, उस खाद में तक पौष्टिकता की कमी है.
-इस खाद में कई फर्टिलाइज़र, इंसेक्टिसाइड, पेस्टीसाइड इस्तेमाल होते हैं.
-जिससे खाने की पौष्टिकता पर प्रभाव पड़ता है.
-पहले कहा जाता था, 'एन एप्पल अ डे, कीप्स डॉक्टर अवे' यानी रोज़ एक सेब खाएंगे तो डॉक्टर के पास जाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी. पर अब सिर्फ़ एक सेब खाने से बचाव नहीं होगा.
जहां फल, सब्जियां उगते हैं, उस खाद में तक पौष्टिकता की कमी है
-आज 5 सेब खाएंगे तो शायद डॉक्टर से बचाव होगा.
-1950 में पालक में 150 मिलीग्राम विटामिन-सी होता था.
-पर आजकल पालक विटामिन-सी फ्री है.
-ऐसे ही फ़सलों में पौष्टिकता का अभाव है.
-संतुलित आहार बनाने का वक़्त नहीं है.
-इसलिए हम बहुत सारा प्रोसेस्सेड खाना खाते हैं.
-खाना तो अच्छा खाते हैं पर सही मात्रा में नहीं खाते.
-पौष्टिक आहार में 30 प्रतिशत प्रोटीन, 30 प्रतिशत फैट और 40 प्रतिशत कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट होने चाहिए.
-खाने में जो संतुलन होना चाहिए वो ठीक नहीं है.
-पोषण हमें मिल तो रहा है पर सही मात्रा में नहीं.
-उसपर हम फ़ास्ट फ़ूड खाते हैं.
-हम वो खाना खाते हैं जिसमें एम्प्टी कैलोरीज़ होती हैं, पौष्टिकता नहीं होती, कोल्ड्रिंक पीते हैं
-फल और सब्जियां सही मात्रा में नहीं खाते
-इस कारण से हमें सही पोषण नहीं मिलता.
-यही कारण है कि हमें सप्लीमेंट की ज़रूरत पड़ती है.
पौष्टिक आहार में 30 प्रतिशत प्रोटीन, 30 प्रतिशत फैट और 40 प्रतिशत कॉम्प्लेक्स कार्बोहायड्रेट होने चाहिए
सप्लीमेंट्स क्या होते हैं? -सप्लीमेंट्स दरअसल विटामिंस, मिनरल्स या माइक्रोन्यूट्रिएंट्स को कहते हैं.
-ये हमें ज़्यादा से ज़्यादा पोषण देते हैं.
-एक होता है रेकमेंडेड डेली अलाउंस यानी अगर हम सप्लीमेंट एक मात्रा में लेंगे तो बीमारी से बचेंगे.
-पर अगर हम ऑप्टिमम यानी सर्वोत्तम मात्रा में लेंगे तो हमें सर्वोत्तम पोषण मिलेगा.
-यानी हमारा स्वास्थ्य 100/100 होगा.
इसलिए हमें सप्लीमेंट्स की ज़रूरत है. सप्लीमेंट्स किसे लेने चाहिए? -सप्लीमेंट्स सभी एडल्ट्स को लेने चाहिए. क्या सप्लीमेंट्स सेफ़ हैं? -सप्लीमेंट्स लाइफस्टाइल से होने वाली क्रोनिक बीमारियों के रिस्क को कम करते हैं.
-हमारे काम करने की क्षमता बढ़ाते हैं.
-पोषण की कमी से होने वाली बीमारियों का रिस्क कम करते हैं.
-नुकसान तभी होता है जब हम खुद से सप्लीमेंट्स लेना शुरू करें.
-हमें हमेशा डॉक्टर की सलाह से ही सप्लीमेंट्स लेने चाहिए.
हम वो खाना खाते हैं जिसमें एम्प्टी कैलोरीज़ होती हैं, पौष्टिकता नहीं होती
-बाज़ार में कम क्वालिटी के सप्लीमेंट्स भी मिलते हैं.
-कभी भी सप्लीमेंट्स अपने आप से मत लीजिए.
-नहीं तो नुकसान हो सकता है.
-डॉक्टर्स आपकी जांच करेंगे, आपकी उम्र और एक्टिविटी के हिसाब से आपके शरीर में जो-जो कमियां हैं, उसे नाप कर सप्लीमेंट्स देंगे.
-सप्लीमेंट्स का सही डोज़ लेना चाहिए तभी उनका असर होता है.
-सप्लीमेंट्स लीजिए, ये सेफ़ हैं पर अपने डॉक्टर की सलाह के अनुसार.
वो गुज़रे ज़माने थे जब हमें लगता था रोटी-सब्ज़ी, दाल-चावल खा लिया, काम हो गया. एक्सपर्ट्स का यही मानना है कि अगर आपके खाने से आपको भरपूर पोषण नहीं मिल रहा है तो उसकी कमी पूरी करने के लिए सप्लीमेंट्स एक अच्छा विकल्प हैं. वैसे भी बहुत बार ऐसा होता है कि दौड़-भाग, ऑफिस या घर का काम करने में हम इतना ज़्यादा बिजी हो जाते हैं कि अपने खाने पर ध्यान नहीं देते हैं.
अगर लंबे समय तक हमारे खाने में पोषण की कमी है या जो खाना हम खा रहे हैं उसमें मिलावट है तो उसका असर हमारी सेहत पर पड़ने लगता है. भले ही हम बीमार न पड़ें. पर थकान, कमज़ोरी, हाथ-पैरों में दर्द जैसी समस्याएं हो जाती हैं. इसलिए अगर आप सप्लीमेंट्स लेना चाहते हैं तो हिचके नहीं. पर हां, कोई भी सप्लीमेंट बिना डॉक्टर की सलाह के हरगिज़ न लें.