ज़कीउर रहमान लखवी. आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का ऑपरेशन कमांडर. मुंबई हमले के मास्टरमाइंड्स में से एक. उसे पाकिस्तान के एंटी टेररिज़्म कोर्ट ने 8 जनवरी को टेरर फंडिंग के तीन अलग-अलग मामलों में पांच-पांच साल की सज़ा सुनाई है. ये तीनों सज़ाएं एक साथ चलेंगी. यानी लखवी पांच साल ही जेल में रहेगा. कुछ वक्त पहले ही लखवी को गिरफ्तार किया गया था.
लखवी पर आरोप था कि वो डिस्पेंसरी के नाम पर पैसा इकट्ठा करता था. इस पैसे का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों के लिए करता था, नए आतंकियों को तैयार करने में करता था. उस पर लगे ये आरोप सही साबित हुए और अदालत ने सज़ा सुनाई.
मुंबई हमले का मास्टरमाइंड
साल 2008 में 26 नवंबर को मुंबई में आतंकी हमला हुआ था. ताज होटल, ओबेरॉय होटल समेत कई हिस्सों में बम धमाके हुए थे. पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकियों ने इस हमले को अंजाम दिया था. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, इस हमले में 166 लोग मारे गए थे. लखवी, हाफिज़ सईद जैसे पाकिस्तानी नागरिक इस हमले के मास्टरमाइंड थे.
पाकिस्तान ने नवंबर-2020 में मोस्ट वॉन्टेड आतंकियों की एक लिस्ट भी जारी की थी. ‘इंडिया टुडे’ की गीता मोहन की रिपोर्ट के मुताबिक, इस लिस्ट में करीब 1,210 आंतकियों के नाम थे. नाम-पते के साथ. उन पर इनाम भी घोषित किया गया था. लिस्ट में 19 आतंकी ऐसे भी थे, जो मुंबई हमले में किसी न किसी तरीके से शामिल थे. हालांकि, पाकिस्तान ने इस लिस्ट में हाफिज़ सईद और ज़कीउर रहमान लखवी के नाम शामिल नहीं किए थे.
एक्शन के लिए मज़बूर पाकिस्तान
इस साल फाइनेंशियल एक्शन टॉस्क फोर्स (FATF) की बैठक होनी है. ये संस्था, सदस्य देशों को आतंक के खिलाफ लड़ने के लिए पैसा देती है. FATF का काम है टेरर फंडिंग पर नज़र रखना तो वो ऐसे देशों को ठांसे रहता है, जो आतंकी संगठनों की आर्थिक मदद कर रहे हों. इस मामले में पाकिस्तान का ट्रैक रिकॉर्ड भीषण रूप से ख़राब है. और यही वजह है कि FATF ने पाकिस्तान को अपनी ग्रे लिस्ट में डाल रखा है. पाकिस्तान इस लिस्ट से निकलना चाहता है. इसलिए आनन-फानन में आतंकियों पर कार्रवाई कर रहा है, ताकि छवि कुछ सुधरे.
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