रूस-यूक्रेन युद्ध: भारत के रुख पर क्या बोले अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन?
यूक्रेन ने क्यों कहा कि वह भारत के रुख से संतुष्ट नहीं है?
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यूक्रेन पर हमले के बाद अमेरिका, ब्रिटेन समेत दुनिया के कई देशों ने रूस के प्रति कड़ी नाराजगी जाहिर की है. अमेरिका और कई यूरोपीय देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंधों की भी घोषणा की है. वहीं, इस मसले पर दुनिया भर की नजर भारत के रुख पर भी टिकी है. भारत ने यूक्रेन पर हमले का खुलकर विरोध नहीं किया है. हालांकि, वह बार-बार कह रहा है कि इस मुद्दे का हल बातचीत और कूटनीति के जरिए निकालना चाहिए. यही नहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार देर रात रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने भी इस बात को दोहराया कि रूस और NATO के बीच मतभेदों को ईमानदार और गंभीर बातचीत के जरिए हल किया जा सकता है.
भारत के रुख पर क्या बोले जो बाइडेन
इस बीच अमेरिका ने भी कहा कि वह रूस-यूक्रेन संकट को लेकर भारत के संपर्क में है. गुरुवार, 24 फरवरी को एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से पूछा गया कि क्या यूक्रेन संकट पर भारत अमेरिका के साथ है. इस पर उन्होंने कहा, 'हम आज भारत के साथ बातचीत करेंगे. हमने अब तक इस पर कोई हल नहीं निकाला है.'
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी इस मसले पर अमेरिका सहित कई देशों के साथ बातचीत की है. जयशंकर ने ट्वीट कर बताया कि उन्होंने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के साथ यूक्रेन में मौजूदा हालात और इसके प्रभावों को लेकर बातचीत की. हालांकि, उन्होंने ये नहीं बताया कि ब्लिंकन के साथ क्या बातचीत हुई है.
उधर, ब्लिंकन ने भी इस बातचीत को लेकर एक ट्वीट किया. उन्होंने कहा,Appreciate the call from @SecBlinken
Discussed the ongoing developments in Ukraine and its implications.
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— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) February 24, 2022
"यूक्रेन में संकट और रूसी आक्रामकता को एक मजबूत सामूहिक जवाब देने को लेकर एस जयशंकर से बातचीत हुई. रूस का यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता पर हमला करना अंतराष्ट्रीय सीमा नियमों का साफ उल्लंघन है."रूस के विदेश मंत्री से भी हुई बातचीत
एक और ट्वीट में एस जयशंकर ने यह भी बताया कि यूक्रेन के हालात पर रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ भी बातचीत की. उन्होंने जोर दिया कि बातचीत और कूटनीति ही आगे का बेहतरीन रास्ता है. जयशंकर ने यूक्रेन में फंसे भारतीयों को सुरक्षित निकालने के लिए भी कई देशों से संपर्क किया है. उन्होंने ट्विटर पर बताया कि भारतीयों को यूक्रेन से बाहर निकालने के लिए स्लोवाकिया और हंगरी के विदेश मंत्रियों से बातचीत की है. विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला के मुताबिक, एस जयशंकर यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा के साथ भी बात कर सकते हैं.
Just spoke to Foreign Minister Sergey Lavrov of Russia on the Ukraine developments. Underlined that dialogue and diplomacy are the best way forward. — Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) February 24, 2022
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और विदेश मंत्री ब्लिंकन के बयानों से स्पष्ट है कि भारत ने अब तक इस मुद्दे पर खुलकर अपना रुख जाहिर नहीं किया है. भारत बातचीत और कूटनीतिक रास्तों को अपनाने की सलाह दे रहा है, लेकिन किसी का पक्ष लेने से बच रहा है. इसके पीछे रूस के साथ भारत की ऐतिहासिक दोस्ती है. इस दोस्ती के अलावा रक्षा समेत कई क्षेत्रों में रूस के साथ भारत के मजबूत आर्थिक संबंध भी हैं. ऐसे में आने वाले दिनों में भारत पर दबाव बढ़ने की उम्मीद है. 'भारत के रुख से यूक्रेन संतुष्ट नहीं' रूसी हमले के पहले दिन यानी 24 फरवरी को भारत में यूक्रेन के राजदूत इगोर पोलिखा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद की अपील की थी. उन्होंने कहा था कि भारत और रूस के अच्छे रिश्ते हैं, ऐसे में इस हमले को रोकने में भारत अहम भूमिका निभा सकता है. हालांकि, इस मसले पर अबतक के भारत के रुख पर उन्होंने निराशा भी जाहिर की.
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक पोलिखा ने कहा,
"हम इस मुद्दे पर भारतीय स्थिति से काफी असंतुष्ट हैं. हम चाहते हैं कि इस मसले पर भारत मजबूती से अपनी आवाज उठाए. रूस और यूक्रेन के बीच जो कुछ चल रहा है, उस पर प्रधानमंत्री मोदी, रूस के राष्ट्रपति पुतिन और हमारे राष्ट्रपति को संबोधित कर सकते हैं. आपके अधिकारियों ने कहा कि वे स्थिति को करीब से देख रहे हैं, लेकिन इसका कोई मतलब नहीं है."
इगोर पोलिखा ने कहा कि यूक्रेन भारत के अबतक के रुख से असंतुष्ट है (फोटो: इंडिया टुडे)
गुरुवार, 24 फरवरी को रूस की सैन्य कार्रवाई के ऐलान के बाद यूक्रेन में दूसरे दिन भी कई शहरों पर हमले हो रहे हैं. शुक्रवार सुबह यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की ने जानकारी देते हुए बताया कि रूस की सेना राजधानी कीव में घुस चुकी है. उन्होंने इस संकट के बीच अंतरराष्ट्रीय मदद की भी अपील की. जेलेंस्की ने यह भी कहा कि रूस से लड़ाई में यूक्रेन को अकेला छोड़ दिया गया है. उन्होंने यह भी दावा किया कि पहले दिन रूसी हमले में 137 लोगों की मौत हुई और 316 घायल हुए, जिसमें यूक्रेनी सैनिक और आम नागरिक भी शामिल हैं.