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महुआ मोइत्रा और निशिकांत दुबे अडानी-हीरानंदानी पर क्यों भिड़ गए?

भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को चिट्ठी लिखी जिसमें तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा पर आरोप लगाए गए कि वो लोकसभा में सवाल पूछने के पैसे लेती हैं, और पैसे देने वाले का नाम भी लिया.

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Photo- India Today
महुआ मोइत्रा और निशिकांत दुबे.
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सिद्धांत मोहन
16 अक्तूबर 2023 (Published: 11:57 PM IST) कॉमेंट्स
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15 अक्टूबर को खबर आई कि गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को चिट्ठी लिखी. इस चिट्ठी में कृष्णानगर से तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा पर आरोप लगाए गए. ये कि महुआ लोकसभा में सवाल पूछने के पैसे लेती हैं, और पैसे देने वाले का नाम भी लिया - बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी. दुबे ने अपने पत्र में लिखा कि महुआ मोइत्रा को ये पैसे अडानी समूह के खिलाफ पैसे पूछने के लिए मिलते हैं. लिहाजा उन्हें लोकसभा से सस्पेन्ड कर दिया जाए और उनके खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच की जाए.

उन्होंने कहा कि हीरानंदानी समूह को अडानी ग्रुप की वजह से एनर्जी और इंफ़्रास्ट्रक्चर से जुड़ा एक बड़ा कॉन्ट्रैक्ट नहीं मिल पाया. साथ ही अडानी समूह और हीरानंदानी समूह कांटैक्ट पाने के लिए देश के कई इलाकों में एक दूसरे के खिलाफ बिड करते हैं. यानी दोनों समूहों में तगड़ा कॉम्पिटिशन है. और दुबे के आरोपों को ट्रांसलेट करें तो लगता है कि दर्शन हीरानंदानी ने खार खाकर महुआ मोइत्रा को पैसे दिए कि वो लोकसभा में अडानी को लेकर सवाल उठाएं. लेकिन ये आरोप हैं.

निशिकांत दुबे ने बस यही एक चिट्ठी नहीं लिखी थी. 15 अक्टूबर को ही उन्होंने केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव और आईटी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर के  नाम भी एक चिट्ठी लिखी. इस चिट्ठी में निशिकांत दुबे ने कहा कि महुआ मोइत्रा ने दर्शन हीरानंदानी को अपना लोकसभा वेबसाइट का लॉगिन, आईडी पासवर्ड दे दिए. इसका इस्तेमाल वो लोग अपने लाभ के लिए करने लगे. ये भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ खिलवाड़ है.

इस चिट्ठी में निशिकांत दुबे ने आगे लिखा, “आपको पता ही होगा कि National Informatics Centre (NIC) के पास सरकारी वेबसाइटों को चलाने का कार्यभार होता है. उनके पास डेटा भी होता है, साथ ही इस बात की जानकारी भी होती है कि किस-किस आईपी अड्रेस से उन वेबसाइटों पर लॉगिन किया गया है. लोकसभा की वेबसाइट भी इसी फेहरिस्त में आती है.” 

फिर निशिकांत दुबे अपनी मांग सामने रखते हैं. कहते हैं कि आईटी मंत्रालय महुआ मोइत्रा की लॉगिन आईडी की जांच करे. और पता लगाए कि क्या उनका लोकसभा अकाउंट किसी ऐसी जगह से चलाया गया, जहां वो खुद मौजूद नहीं थी? निशिकांत दुबे ने ट्वीट भी किया,

“इसी भारतीय संसद ने प्रश्न के लिए पैसे लेने के कारण 11 सांसदों की सदस्यता रद्द कर दी थी. आज भी चोरी और सीनाज़ोरी नहीं चलेगी. एक व्यापारी ख़राब, लेकिन दूसरे व्यापारी से 35 जोड़ी जूते, श्रीमती मारकोस की आत्मा की तरह Hermes, LV,Gucci का बैग, पर्स, कपड़े, नक़द हवाला से पैसे नहीं चलेंगे. सदस्यता तो जाएगी, इंतज़ार करिए.”

अब निशिकांत दुबे का जो आरोप था, उसके आधार पर सीबीआई के पास भी एक शिकायती चिट्ठी पहुंच गई. 15 अक्टूबर को ही सुप्रीम कोर्ट के वकील जय अनंत देहादराई ने ये चिट्ठी लिखी. आरोप वही जो निशिकांत दुबे ने लगाए. इस चिट्ठी पर कुछ होगा या नहीं होगा, वो तो पता ही चल जाएगा. लेकिन इन आरोपों पर दर्शन हीरानंदानी और महुआ मोइत्रा की ओर से जवाब भी आया.

पहले दर्शन हीरानंदानी का जवाब

हीरानंदानी समूह ने कहा कि इन बातों में कोई दम नहीं है. समूह के प्रवक्ता ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा,

"वो शुरू से बिज़नेस में हैं, पॉलिटिक्स के बिज़नेस में नहीं. उनके ग्रुप ने हमेशा देश के हित में सरकार के साथ काम किया है और आगे भी करते रहेंगे." 

ये उनका बयान हो गया. फिर इस मसले पर आया महुआ मोइत्रा का जवाब. अधिकतर जवाब एक्स पर लिखे गए.

पहला ट्वीट:

"अगर अडानी समूह किसी संदेहास्पद संघी और फेक डिग्री रखने वाले लोगों द्वारा फैलाए जा रहे किसी डोजियर का सहारा ले रहा है तो मेरी उन्हें सलाह है कि 
अपना समय न बर्बाद करें. अपने वकीलों का समझदारी से इस्तेमाल करें."

अगला ट्वीट :

"फर्जी डिग्री वालों के साथ भाजपा के अन्य सांसदों के खिलाफ भी बहुत सारे ब्रीच ऑफ प्रिविलिज के मोशन संसद में पेंडिंग हैं. मेरे खिलाफ किसी भी मोशन का
स्वागत है, अगर स्पीकर उनकी जांचों को पूरा कर लें. और इस बात का भी इंतजार है कि ईडी और दूसरी एजेंसियां मेरे दरवाजे पर आने के पहले अडानी कोयला
घोटाले में एफआईआर दर्ज करेंगी."

फर्जी डिग्री वाला : महुआ के हवाले से कहें तो ये निशिकांत दुबे हैं क्योंकि महुआ लंबे समय से निशिकांत दुबे की डिग्री फर्जी होने का आरोप लगाती रहती हैं. एक और ट्वीट में महुआ ने लिखा,

"मेरे दरवाजे पर आने से पहले सीबीआई अडानी के बेनामी खातों, ऑफ्शोर पैसे के लेनदेन की भी जांच करे."

इसके बाद जब आईटी मंत्रियों को लिखी निशिकांत दुबे की चिट्ठी सामने आई, तो महुआ मोइत्रा ने कुछ और ट्वीट किए. उन्होंने निशिकांत दुबे का पत्र शेयर करते हुए लिखा कि लोकसभा सांसदों का काम उनके पीए, असिस्टेन्ट, इन्टर्न, और बड़ी-बड़ी टीमें करती हैं. फिर उन्होंने अश्विनी वैष्णव से आग्रह किया,

“प्लीज सभी सांसदों के लॉगिन डिटेल और कॉल डिटेल शेयर करें. साथ ही इस बात की भी जानकारी दें कि स्टाफ को इस चीज से संबंधित कौन सी ट्रेनिंग दी गई है.”

लेकिन जब महुआ मोइत्रा ये बातें कर रही थीं, उसी समय अडानी ग्रुप का एक बयान भी वायरल होने लगा था. अडानी समूह ने वकील की चिट्ठी और निशिकांत दुबे की चिट्ठी का हवाला दिया और कहा कि बहुत सारे लोग और समूह, अडानी ग्रुप को नुकसान पहुंचाने पर तुले हुए हैं. अडानी ग्रुप भारत और देश के बाहर लगातार काम कर रहा है. अडानी समूह के प्रवक्ता ने मीडिया और खबरों पर भी सवाल उठाए. कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट में डेट होती है, तो उसके पहले ही फाइनैंशियल टाइम्स समेत दूसरे अखबारों में खबर कैसे सामने आ जाती है. मतलब इग्ज़ैक्ट शब्द तो ये नहीं थे, लेकिन लुब्बेलुबाब यही लिखा जाएगा.

महुआ मोइत्रा ने इसका भी जवाब दिया. एक्स पर लिखा, 

"आप ये खोखला बयान लेकर आए हैं? मैं तब तक चुप नहीं बैठूंगी जब तक ईडी और सीबीआई आपके खिलाफ जांच करके वो 13 हजार करोड़ फ्रीज़ नहीं करते हैं, 
जो आपने कोयला घोटाला करके हम भारतीय लोगों से चुराए हैं. मुझे तो बताया गया है कि पीएम नरेंद्र मोदी भी आपसे और आपके घोटालों से तंग आ चुके हैं."

इसके बाद उन्होंने तीन ट्वीट में तीन सवाल रखे.

पहला- आपका राष्ट्रीय हित तब कहां चला जाता है, जब आप 13 हज़ार करोड़ रूपयों के चालान को खत्म करने के लिए एक चीनी नागरिक, एक अमेरिकी नागरिक और 3 ऑफशोर कंपनियों का इस्तेमाल करते हैं? (महुआ का निशाना अडानी समूह के खिलाफ हाल फिलहाल आई स्टोरी की तरफ था.)

दूसरा- आपका राष्ट्रीय हित तब कहां चला जाता हैं, जब आप आईओसीएल (इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड) और गेल (भारतीय गैस प्राधिकरण लिमिटेड) को धर्मा एलएनजी कॉन्ट्रैक्ट में मैनिपुलेट करते हैं ताकि आपको 45 हज़ार करोड़ का कॉन्ट्रैक्ट बिना टेंडर के मिल सके. राजस्थान में बिना टेंडर के कोयले की खदान पाने में कौन सा राष्ट्रहित है? (यानी वो कह रही हैं कि बिना टेंडर का ठेका उठा लिया, प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ वाले आरोप).

तीसरा- ये राष्ट्रहित तब कहां चला जाता है, जब सेबी (Security Exchange Board Of India) की नाक के नीचे आप बेनामी एफपीआई संपत्ति के जरिए शेयर बाजार में लाखों-करोड़ों का खेल कर देते हैं.

इस स्टोरी-वीडियो तक मामला यही सिमटा हुआ है. कहीं से कुछ ताज़ा आरोप और कुछ जवाब आएंगे तो वो भी हम आपको बताएंगे. लेकिन चलते-चलते एक बात जान लीजिए कि हीरानंदानी समूह है क्या?और दर्शन हीरानंदानी कौन हैं? 

दर्शन हीरानंदानी देश की प्रमुख रियल एस्टेट समूह हीरानंदानी ग्रुप के सीईओ हैं. अब इस हीरानंदानी ग्रुप को खड़ा किया था - निरंजन हीरानंदानी और सुरेन्द्र हीरानंदानी नाम के दो सगे भाईयों ने. दर्शन हीरानंदानी, निरंजन हीरानंदानी के बेटे हैं. हीरानंदानी ग्रुप की गिनती देश के सबसे बड़े रियल एस्टेट समूह में होती है. मुंबई में पवई झील के आसपास बसी फेमस हीरानंदानी सोसायटी इसी कंपनी ने बनाई है. बीती सदी के आखिरी और इस सदी के पहले दशक की बहुत सारी फिल्मों के गाने यहां शूट हुए हैं. 

इस ग्रुप के बहुत सारे प्रोजेक्ट हैं. देश के अलग अलग हिस्सों में. रियल एस्टेट के अलावा हीरानंदानी समूह हेल्थ, एजुकेशन, एनर्जी, डेटा सेंटर, क्लाउड कम्प्यूटिंग, लॉजिस्टिक्स और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में भी फैला है.

हीरानंदानी ग्रुप का विवादों से रिश्ता

नवंबर 2017: पैराडाइज़ पेपर्स सामने आए. 180 देशों के टैक्स चोरी से जुड़े 1 करोड़ 34 लाख दस्तावेजों का खुलासा किया गया था. कैसे कंपनियां पैसा बचाने के लिए टैक्स चोरी करने के लिए विदेशों में कंपनी खोल रही थीं. खुलासा किया गया कि हीरानंदानी ने भारत में टैक्स से बचने के लिए बरमूडा में एक फर्जी कंपनी बनाई थी. मार्च 2008 में सीबीआई ने कंपनी के मुंबई ऑफिस की तलाशी भी ली थी. दो निदेशकों पर एफआईआर भी लिखी थी. 

अक्टूबर, 2021 में पैंडोरा पेपर्स सामने आए. इन पेपर्स में कहा गया था कि दुनियाभर के अरबपति कैसे विदेशों में काला धन जमा कर रहे हैं. इसमें भी हीरानंदानी समूह पर आरोप लगाया गया था कि 6 करोड़ अमेरिकी डॉलर के ट्रस्ट का फ़ायदा हीरानंदानी परिवार को मिला, क्योंकि ट्रस्ट में पैसा दरअसल हीरानंदानी परिवार ने ही लगाया था. फिर मार्च 2022 में आयकर विभाग ने हीरानंदानी समूह के 24 स्थानों पर छापा मारा था.

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