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चुनाव आयोग ने बंगाल के DGP राजीव कुमार को हटाया, कभी ममता बनर्जी उनके लिए धरने पर बैठी थीं

1989 बैच के IPS अफ़सर राजीव कुमार को चुनाव आयोग ने दूसरी बार हटाया है. साल 2016 के विधानसभा चुनावों से पहले भी वो कोलकाता के पुलिस कमिश्नर थे. तब भी उन्हें पद से हटाया गया था.

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1989 बैच के IPS राजीव कुमार. (फ़ोटो - सोशल)
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18 मार्च 2024
Updated: 18 मार्च 2024 18:29 IST
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2011 का पश्चिम बंगाल. बीते 35 सालों से राज्य ने केवल लेफ़्ट पार्टियों का शासन देखा था. पहले 23 साल 137 दिन ज्योति बसु मुख्यमंत्री रहे, फिर उनके बाद नवंबर, 2000 में बुद्धदेव भट्टाचार्य ने राज्य की कमान संभाली. तब राज्य में विपक्ष की सबसे बड़ी नेता ममता बनर्जी थीं. उन्होंने एक IPS अफ़सर पर आरोप लगाए कि राज्य सरकार के कहने पर उन्होंने विपक्ष के नेताओं के फ़ोन टैप किए. 2011 का विधानसभा चुनाव ममता बनर्जी जीत गईं. आने वाले बरसों में हावड़ा पुल के नीचे से बहुत सारा पानी बह गया. जिस अफ़सर पर ममता ने आरोप लगाए थे, पांच बरस बाद उनकी सरकार पर भी वही आरोप लगे. फिर उसी अफ़सर का नाम आया. और जब एक दूसरे केस में अफ़सर पर CBI जांच बैठी, तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी धरने पर बैठ गईं. अफ़सर का नाम है, राजीव कुमार. पश्चिम बंगाल के पुलिस प्रमुख... पूर्व-प्रमुख. ख़बर है कि चुनाव आयोग (ECI) ने राजीव कुमार को DGP के पद से हटा दिया है. उनकी जगह IPS विवेक सहाय को पुलिस महानिदेशक के पद नियुक्त किया गया है.

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2024 के लोकसभा चुनाव की तारीख़ों की घोषणा के 48 घंटे बाद केंद्रीय चुनाव आयोग के इस क़दम को चुनावी प्रक्रिया की अखंडता सुनिश्चित करने के प्रयासों का हिस्सा माना जा रहा है. राजीव कुमार के अलावा ECI ने गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के गृह सचिवों को हटाने का आदेश दिया है. बृह्नमुंबई नगरपालिका आयुक्त इकबाल सिंह चहल को भी हटाया गया है, और मिज़ोरम और हिमाचल प्रदेश में प्रशासनिक विभागों के सचिवों को भी हटा दिया गया है.

कौन हैं पश्चिम बंगाल के पूर्व-'विवादास्पद'-DGP राजीव कुमार?

उत्तर प्रदेश के हैं. जनवरी, 1966 में जन्मे. तब के रूड़की विश्वविद्यालय (अब IIT-रुड़की) से कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग की. फिर रास्ता बदल लिया. सिविल सेवा की तैयारी की. साल 1989 में उत्तर प्रदेश कैडर से भारतीय पुलिस सेवा (IPS) में शामिल हुए.

इधर-उधर पोस्टिंग होती गई. बंगाल चले गए. उनके नेतृत्व में ही कोलकाता पुलिस की STF ने कई बड़े माओवादी नेताओं और कुख्यात अपराधियों को धरा, रोका. लालगढ़ आंदोलन के चरम पर CPI (माओवादी) के अग्रणी संगठन पीपल्स कमेटी अगेंस्ट पुलिस एट्रोसिटीज़ (PCPA) के संयोजक छत्रधर महतो को गिरफ़्तार किया गया था.

राजीव, पूर्व-मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य के 'प्रिय' थे. पुराने पत्रकार बताते हैं कि 2011 में जब ममता बनर्जी वाम मोर्चे को हराकर चुनाव जीतीं, तो वो चाहती थीं कि राजीव को कहीं दूर ट्रांसफ़र कर दिया जाए. मगर वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने उन्हें ऐसा ना करने की सलाह दी. जनवरी 2012 में जब बिधाननगर पुलिस आयुक्तालय बना, तो राजीव कुमार को इसका पहला आयुक्त नियुक्त किया गया था. फ़रवरी, 2016 में जाकर वो कोलकाता पुलिस के कमिश्नर बने.

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चुनाव आयोग का उन्हें हटाना पहली बार नहीं है. 2016 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा और कांग्रेस, दोनों ने तृणमूल कांग्रेस (TMC) सरकार पर उनके फ़ोन टैप करवाने के आरोप लगाए थे. उनका कहना था कि इस टैपिंग में कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार ने उनका साथ दिया था. भाजपा और कांग्रेस ने शिकायत की, तो चुनाव आयोग ने उन्हें पद से हटा दिया था. बाद में उन्हें फिर से बहाल कर दिया गया और वो तीन साल तक कमिश्नर रहे.

आगे चल कर उन्होंने आपराधिक जांच विभाग (CID), स्पेशल टास्क फ़ोर्स (STF) का भी ज़िम्मा संभाला. सूचना प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग के प्रमुख सचिव भी रहे.

ममता बनर्जी धरने पर क्यों बैठी थीं?

सारदा ग्रुप चिट फंड स्कैम. सारदा ग्रिप की एक पोंजी स्कीम से जुड़ा एक बड़ा राजनीतिक घोटाला. पश्चिम बंगाल, असम, झारखंड, ओडिशा और छत्तीसगढ़ के अनुमानित 18 लाख लोगों के क़रीब 2,460 करोड़ रुपये ठग लिए गए थे. 2012 में जाकर पता चला, जब पैसा लगाने वालों ने पुलिस में शिकायत दर्ज करनी शुरू की.

कौन हैं बंगाल के नए DGP राजीव कुमार? जिनके लिए ममता बनर्जी धरने तक पर बैठ  गई थीं - Who is ips rajiv kumar new dgp of west bengal mamta banerjee tmc –
एक रैली के दौरान ममता बनर्जी और राजीव कुमार. (फ़ोटो - सोशल)

राज्य सरकार ने SIT गठित की थी. इसके हेड थे राजीव कुमार. बाद में केस CBI को ट्रांसफ़र कर दिया गया और 2019 में CBI ने राजीव कुमार पर सबूतों को दबाने और नष्ट करने के आरोप लगाए थे. जांच एजेंसी ने राजीव से पूछताछ भी की थी, उनके घर की तलाशी भी ली थी. इसी के बाद ममता बनर्जी CBI दफ़्तर के बाहर दो दिन के धरने पर बैठी थीं. उनके आरोप थे कि राजीव समेत बंगाल के और अफ़सरों पर दबाव बनाया जा रहा है. और इस आरोप का आधार, एक कॉल रिकॉर्डिंग.

सितंबर, 2018 में भाजपा नेता मुकुल रॉय और कैलाश विजयवर्गीय के बीच एक कथित टेलीफोन बातचीत की ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया पर तैर रही थी. एक क्लिप में मुकुल रॉय को चार IPS अधिकारियों का ज़िक्र करते हुए सुना जा सकता है.

..जो चार IPS हैं, उन पर CBI को थोड़ी नज़र डालनी होगी. इसमें अगर एक बार ध्यान देंगे, तो ये लोग डर जाएंगे.

इसी आधार पर ममता ने आरोप लगाए कि ये केंद्र की चाल है. जब सुप्रीम कोर्ट ने उनकी गिरफ़्तारी पर रोक लगाई, तब जाकर मुख्यमंत्री ने धरना बंद किया.

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राजीव के करियर से कई विवाद नत्थी रहे हैं. अलग-अलग सरकारों में अलग-अलग विपक्षों ने उन पर फ़ोन टैप करने की तोहमत लगाई. तो उन्हें साइबर सर्विलेंस में दक्ष कहा गया. कभी ममता बनर्जी को फूटी आंख ना सुहाने वाले से लेकर आज की तारीख़ में उनका सबसे क़रीबी अफ़सर बताया गया.

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