दिल्ली में एक महिला ने अपने साथी के खिलाफ यौन उत्पीड़न की गंभीर शिकायत दर्ज कराई, लेकिन बाद में दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि उसने 'भावनात्मक परेशानी' के कारण ऐसा किया था और अब वह इसे वापस लेना चाहती है. लेकिन न्यायमूर्ति स्वर्णकांत शर्मा इससे सहमत नहीं हुईं. अदालत ने न केवल प्राथमिकी रद्द कर दी, बल्कि आपराधिक न्याय प्रणाली का दुरुपयोग करने के लिए शिकायतकर्ता पर ₹20,000 का जुर्माना भी लगाया. अदालत ने फैसला सुनाते हुए शिकायतकर्ता को कैसे फटकार लगाई? विस्तार से जानने के लिए, अभी पूरा वीडियो देखें.