पड़ताल: क्या CM योगी के 'गुंडों' ने समाजवादी पार्टी का झंडा फहराने वाले ढाई साल के बच्चे को मरवाया?
ये कहना है सोशल मीडिया पर वायरल हो रही एक पोस्ट का. सच्चाई आंखें खोल देने वाली है.
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सोशल मीडिया पर ये पोस्ट काफी शेयर हो रहा है. लोग लिख रहे हैं कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गुंडों ने इस बच्चे की हत्या की. बस इसलिए कि बच्चे ने समाजवादी पार्टी का झंडा थामा था (फोटो: फेसबुक)
उत्तर प्रदेश में एक बच्चे की हत्या कर दी गई. क्यों? क्योंकि उसने समाजवादी पार्टी का झंडा लहराया था. इसी बात से चिढ़कर बीजेपी के गुंडों ने बच्चे की हत्या कर दी.पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है. उसी पोस्ट में ये जानकारी बांटी जा रही है.

क्या है इस वायरल पोस्ट में? पोस्ट में कुछ तस्वीरें हैं. पहली तस्वीर में एक छोटा सा बच्चा है. तकरीबन दो-ढाई साल का. उसके हाथ में समाजवादी पार्टी का झंडा है. लाल-हरे रंग का बैकग्राउंड. उसके ऊपर अखिलेश यादव का चेहरा. साथ में पार्टी चुनाव चिह्न साइकल. बच्चे के कपड़े देखकर मालूम होता है कि शायद सर्दियों के दिन होंगे. इसके साथ तीन-चार तस्वीरें और हैं. उनमें एक बच्चा जमीन पर पड़ा है. उसे घेरकर कुछ लोग खड़े हैं. बच्चे का क्लोज शॉट भी है. मुंह खुला हुआ है उसका. लगता नहीं कि उसके अंदर जान बाकी है. इन तस्वीरों के साथ एक मेसेज भी लिखा है. मेसेज है-
यह वही सम्राट है, जिसने समाजवादी पार्टी का दामन पकड़ा था. कल योगी के कुछ नामुराद गुंडों ने क्षण भर की दुश्मनी निकालने के लिए इस मासूम बच्चे की निर्मम रूप से हत्या कर दी. यह घटना जनपद जालौन के कंथ गांव की है. जहां पर आज सम्राट के गांव में मातम पसरा है. यह सम्राट आपका भी बेटा था. इसीलिए इसके हत्यारे को फांसी की सजा दिलाए जाने की मांग कीजिए.

25 मई को पुलिस ने सम्राट की लाश बरामद की. दो-तीन दिन के भीतर ही सोशल मीडिया पर ये मेसेज खूब वायरल हो गया है.
इस पोस्ट का सच क्या है? इस पोस्ट में थोड़ा सच है. बाकी सब झूठ है. सच ये है कि घटना सच में जालौन की है. कंथ नाम के गांव में हुई है, ये भी सच लिखा है. बच्चे का नाम सम्राट था, ये वाली बात भी सच है. गांव में मातम है, ये भी सच है. मगर बाकी सारी चीजें झूठ हैं. जमीन पर जो बच्चा दिखाई देता है, उसकी हत्या की गई है. उसका नाम सम्राट है. वही जमीन पर पड़ा दिखाई देता है. लेकिन जो बच्चा हाथ में समाजवादी पार्टी का झंडा थामे दिख रहा है, वो कोई और ही बच्चा है. वो बच्चा जालौन के कंथ गांव का सम्राट नहीं है.

समाजवादी पार्टी और योगी आदित्यनाथ वाली बात इस पोस्ट का असली पंच है. मतलब वो बात, जिसकी वजह से ये पोस्ट लिखी और शेयर की गई. मतलब कि जालौन के कंथ गांव में एक बच्चे की हत्या हुई. और इसका फायदा उठाते हुए कुछ लोगों ने इसे राजनैतिक ऐंगल दे दिया. योगी सरकार को घेरने के लिए इस हत्या का इस्तेमाल किया.

सम्राट पूरे ढाई साल का भी नहीं था. दो महीने और रहता, तो ढाई का होता. वो अपने मां-बाप की इकलौती औलाद था. उसके शव को राजनैतिक विरोध का अजेंडा बनाकर सोशल मीडिया पर घुमाया जा रहा है. हमने बच्चे के चेहरे को ब्लर कर दिया है.
हुआ क्या था? हमने जालौन के SP अमरेंद्र सिंह से बात की. जालौन के स्टेशन इंजार्च संजय कुमार गुप्ता से बात की. मारे गए बच्चे सम्राट के पिता इंद्रपाल से भी बात की. SP और स्टेशन इंचार्ज, दोनों ने ही राजनैतिक ऐंगल को खारिज कर दिया. आप कह सकते हैं कि पुलिस शायद प्रदेश सरकार के दबाव में हो. ठीक है. मगर बच्चे के पिता का भी यही कहना था. उनके मुताबिक, सम्राट बस दो साल, चार महीने का था. 24 मई, 2018 को वो एकाएक लापता हो गया. परिवारवालों, पड़ोसियों, गांववालों ने सम्राट को सब जगह खोजा. मगर वो नहीं मिला.

फिर उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. पुलिस ने तुरंत बच्चे को खोजना शुरू किया. 25 मई को गांव के ही बाहर बच्चे की लाश मिली. किसी ने उसका गला घोंटकर उसे मार डाला था. और फिर उसकी लाश वहां कूड़े में फेंक दी थी. सम्राट के परिवार का कहना है कि उनकी किसी से भी दुश्मनी नहीं है. सम्राट के पिता दिल्ली में प्राइवेट नौकरी करते हैं. बेटे के गुमशुदा होने की खबर मिलते हुए वो गांव पहुंच गए. उन्होंने हमसे बात की. हमने उन्हें बताया कि सम्राट को लेकर सोशल मीडिया में क्या वायरल हो रहा है. इंद्रपाल ने इस बात पर ताज्जुब जताया. वो दुखी हुए कि उनके इकलौते बच्चे की हत्या पर लोग राजनीति कर रहे हैं. उन्होंने कहा-
हमारे परिवार का दूर-दूर तक राजनीति से कोई वास्ता नहीं है. सम्राट ढाई साल का भी नहीं था. इतने छोटे बच्चे के मर्डर में राजनीति कहां से आएगी? प्लीज, ऐसा मत करिए. ऐसा मत होने दीजिए.पुलिस की जांच जालौन पुलिस फिलहाल इस मामले की तफ्तीश में जुटी है. रंजिश, अंधविश्वास, सब तरह के कारणों की पड़ताल की जा रही है. अभी तक कोई ठोस सबूत नहीं मिला है. मगर राजनैतिक कारणों को इसलिए खारिज किया जा रहा है कि इसका कोई तुक नहीं है. ढाई साल के बच्चे का राजनीति से क्या वास्ता होगा? वो भी तब, जबकि उसके परिवार का राजनीति से कोई लेना-देना ही नहीं है. सोशल मीडिया पर जो लोग भी सम्राट की हत्या को समाजवादी पार्टी बनाम भाजपाइयों का ऐंगल दे रहे हैं, वो असंवेदनशील लोग हैं. मौकापरस्त. बच्चे की लाश पर अपना राजनैतिक विरोध साध रहे हैं. इनकी तो बस थू-थू होनी चाहिए.
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