भारत के कारोबारी और पूर्व राज्यसभा सांसद विजय माल्या कानूनन भगोड़े विजय माल्या कहिलाते हैं. उनको पुलिस ने पकड़ लिया था. लंदन की पुलिस ने. यहां के नौ हजार करोड़ लेके भागे थे. लंदन की कोर्ट ने 20 मिनट भी नहीं लगाए. दे दी बेल, फिर क्या था, आ गए बाहर. बैंक बेचारे पहले तो बड़े खुश थे, बाद में चेहरा उतर गया. और काहे ना हो ऐसा. भारत को 9,000 करोड़ रुपिया की चुंगी लगाई थी. यहां के बैंकों के पैसे लेके लंदन भाग गए थे. अब गिरफ्त में आए तो भी तुरंत बाहर आ गए. हालांकि अभी तक सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने माल्या के खिलाफ चार्जशीट दाखिल नहीं की है, लेकिन सारे कागजात लंदन पुलिस को सौंप दिए गए हैं. इसके अलावा दिसंबर में उनकी प्रत्यर्पण वाली अर्जी पर भी नए सिरे से सुनवाई होनी है.
पहिले भी गिरफ्तार हो चुके हैं माल्या
वेस्टमिन्स्टर कोर्ट के आदेश के बाद लोन डिफॉल्ट केस में विजय माल्या को इसी साल 18 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था. बाद में तीन घंटे के बाद ही जमानत मिल गयी थी. पेशी के ठीक बाद वेस्टमिन्स्टर कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी. माल्या के पूरे मुद्दे पर 2 मामले दर्ज हुए थे. माल्या के प्रत्यर्पण के लिए 8 फरवरी 2017 को याचिका दायर की गई थी. माल्या ने कहा कि वो प्रत्यर्पण सुनवाई का सामना करेंगे. माल्या ने 17 बैंकों के ग्रुप से लोन लिया था.
यहां से भाग के बहुत फ़ैल रहे थे. देश में उनको भगोड़ा कहा जाता है. पर उनको इस बात का कोई फर्क नहीं पड़ता था.कुछ रोज़ पहले एक इंटरव्यू में उन्होंने इंडिया के कानून का मजाक बनाया था.
माल्या ने कहा था "एयरलाइन फेल होने के लिए और कर्जे के लिए सरकारी बैंक मुझे जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. लेकिन मेरे पास इसका जवाब है. ये जुडिशियल सिस्टम में है. लोन की रिकवरी सिविल मैटर होती है. पर सरकार के कहने पर सीबीआई ने इसे क्रिमिनल मैटर बना दिया. इसके बाद बैंकों से धोखाधड़ी और मनी लॉन्डरिंग के चार्ज बना दिये गये. मेरा यकीन है कि मेरे ऊपर ऐसा कोई केस नहीं बनता. पर इंडिया तो इंडिया है. यहां की 2 सबसे बड़ी पॉलिटिकल पार्टियों के बीच मैं फुटबॉल बन गया हूं. राज्यों के चुनावों में जो चल रहा है, उससे साफ पता चलता है. पर मैं कानून को ही फॉलो करूंगा. यहां यूके में लीगल और जुडिशियल तरीका है. देखता हूं इंडिया के लोग मेरे खिलाफ क्या सबूत लेकर आते हैं. मुझे शंका है कि उनके पास सबूत है भी कि नहीं. मैं यूके के कानून के अंदर सेफ हूं, जब तक कि कुछ साबित नहीं होता. मैं परेशान होने से ज्यादा सेफ रहना ज्यादा पसंद करूंगा क्योंकि मैं भारत सरकार में बैठे किसी मैवरिक की दया पर नहीं हूं."
वैसे ये आदमी था क्या ये भी जान ही लीजिए.
2002 में विजय माल्या इंडिपेंडेंट कैंडिडेट के रूप में कर्नाटक से राज्यसभा सांसद चुन लिए गए. सारी पार्टियों के सपोर्ट से. अपने पहले टर्म में माल्या सिविल एविएशन, डिफेन्स और इंडस्ट्री की पार्लियामेंट्री कमिटी के सदस्य थे. राज्यसभा के सांसद थे. 2012 में वो केमिकल और फ़र्टिलाइज़र कमिटी के सदस्य थे. इसके साथ ही वो भारत की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक मंगलोर केमिकल और फ़र्टिलाइज़र लिमिटेड के चेयरमैन थे, 30% हिस्सेदारी के साथ.
किंगफ़िशर एयरलाइन्स 2003 में शुरू हुई थी. इसको विजय माल्या ने बेटे सिद्धार्थ को बर्थडे गिफ्ट के रूप में देकर शुरू किया था. उस वक़्त सिविल एविएशन में होने के नाते माल्या किसी भी अफसर को तलब कर सकते थे. जरूरी निर्देश दे सकते थे. इस एयरलाइन्स पर सरकारी बैंकों के नौ हज़ार करोड़ रुपये बकाया हैं. जब मार्च 2016 में माल्या पर डिफ़ॉल्ट का आरोप लगा तो वो अपने राज्यसभा वाले डिप्लोमेटिक पासपोर्ट पर विदेश निकल लिए.
क्या आपकी हमारी ज़िंदगी की कीमत बस माथे पर लिखा ये नंबर हैये भी पढ़ें:विजय माल्या के बारे में वो दस फनी बातें जो आपको गूगल पर भी नहीं मिलेंगीयूके में माल्या ने भारत सरकार की खिल्ली उड़ाई है, पूरे टशन के साथमैच करवाने की असली वजह जानकर विरोध कर रहे देशभक्तों को चैन पड़ा