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जूता फटने पर वकील ने दुकानदार को नोटिस दे दिया, इलाज और जूते के पैसे मांगे

वकील के मुताबिक, जूता फटने के चलते वह अपने साले के लड़के की शादी में नहीं जा पाया और इसलिए मानसिक रूप से बीमार हो गया.

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वकील ज्ञानेंद्र भान त्रिपाठी (फोटोसोर्स- आजतक)
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शिवेंद्र गौरव
31 जनवरी 2024 (Published: 09:43 AM IST) कॉमेंट्स
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यूपी के फतेहपुर (fatehpur uttar pradesh) जिले में एक वकील का नोटिस चर्चा में है. वकील ने जिस दुकान से जूता खरीदा, उसे नोटिस थमा दिया, क्योंकि कथित रूप से उसका जूता फट गया था. वकील के मुताबिक, जूता फटने के चलते वह अपने साले के लड़के की शादी में नहीं जा पाया. और इसलिए मानसिक रूप से बीमार हो गया. नोटिस के जरिए वकील ने दुकानदार से जूते की रकम के साथ-साथ, अपने इलाज में खर्च हुए राशि भी बतौर हर्जाना मांगी है. वकील ने कहा है कि अगर दुकानदार पैसा वापस नहीं करता तो वो अदालत में अपने हक़ की लड़ाई जारी रखेगा.

वकील का आरोप

आजतक से जुड़े नितेश श्रीवास्तव की खबर के मुताबिक, मामला कानपुर से सटे फतेहपुर जिले का है. शहर के कमलानगर इलाके के रहने वाले ज्ञानेंद्र भान त्रिपाठी पेशे से वकील हैं. उन्होंने अपने साले के बेटे की शादी में शामिल होने के लिए शहर स्थित शू ब्रांड 'बाटा' के शोरूम से 21 नवंबर 2023 को एक जोड़ी जूते खरीदे. ज्ञानेंद्र भान ने जूते का दाम ऑनलाइन पेमेंट के जरिए चुकाया. खरीद की पक्की रसीद भी दुकानदार ने दी. वकील के मुताबिक, जूते की 6 महीने की गारंटी बताई गई थी, लेकिन महज 4 से 5 दिनों में ही जूता फट गया, जिसके चलते ज्ञानेंद्र भान अपने साले के बेटे की शादी में नहीं शामिल हो सके. ज्ञानेंद्र भान के मुताबिक, शादी में न जा पाने के चलते वो मानसिक तनाव में आ गए और बीमार पड़ गए. जिसके बाद कानपुर के एक निजी अस्पताल में उनका इलाज हुआ, जिसका खर्च 10 हजार रुपए आया. तबीयत ठीक होने के बाद, ज्ञानेंद्र भान ने 19 जनवरी को अपने एक वकील साथी के जरिए दुकानदार को नोटिस दिलवाया. और 15 दिनों के अंदर  इलाज में खर्च हुए 10 हजार रुपए, रजिस्ट्री में खर्च हुए 21 सौ रुपए और जूते का दाम 12 सौ रुपए वापस करने की मांग की है. वकील का कहना है कि ऐसा न करने पर वो कोर्ट के जरिए अपने हक़ की लड़ाई लड़ेंगे.

वकील ज्ञानेंद्र भान कहते हैं,

"जूता बाटा कंपनी का बताकर दिया गया था. जो 4 से 5 दिन में ख़राब हो गया. तब से मैं बिना जूता-चप्पल के घूम रहा हूं. मैं चाहता हूं कि मुझे न्याय मिले. और दुकानदार के खिलाफ कुछ न कुछ कार्रवाई की जाए."

वहीं दुकानदार, सलमान हुसैन का कहना है कि 'ज्ञानेंद्र भान त्रिपाठी ने मेरी दुकान से जूता जरूर लिया था, लेकिन मैंने उन्हें बाटा का ओरिजिनल जूता बताकर जूता नहीं बेचा. जो जूता उन्होंने लिया वो 50 फीसद की छूट पर दिया गया था. उनको जो बिल दिया गया है उसमें 6 महीने के अंदर जूते का सोल ख़राब होने की वारंटी थी. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. वो मेरे ऊपर जबरदस्ती दबाव बना रहे हैं. और उनके सारे आरोप बेबुनियाद हैं.' फिलहाल जूता कंपनी और वकील के बीच की ये तनातनी इलाके में चर्चा का विषय बनी हुई है.

 

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