UN में फिलिस्तीन को 'आजाद देश' बनाने के प्रस्ताव को भारी समर्थन, भारत ने भी किया वोट
UN के प्रस्ताव में Gaza में इजरायली हमलों और Hamas की निंदा की गई. India ने भी Two-State Solution का समर्थन किया. वहीं, Israel और America ने Palestine से जुड़े इस प्रस्ताव को नुकसानदायक और 'पब्लिसिटी स्टंट' बताया.

सयुंक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में फिलिस्तीन को एक आजाद देश बनाने के प्रस्ताव पर दुनिया भर के देशों ने भारी समर्थन दिया है. भारत ने भी फिलिस्तीन और इजरायल को दो स्वतंत्र और संप्रभु देश मानने के पक्ष में वोटिंग की. शुक्रवार, 12 सितंबर को 'न्यूयॉर्क डिक्लेरेशन' का समर्थन करने के लिए मतदान हुआ. इसके पक्ष में 142 देशों और विरोध में 10 देशों ने मतदान किया. वहीं, 12 देश मतदान से दूर रहे.
'न्यूयॉर्क डिक्लेरेशन' इजरायल और फिलिस्तीन के बीच लंबे समय से चले आ रहे संघर्ष के लिए ‘टू-स्टेट सॉल्यूशन’ यानी ‘दो-राष्ट्र समाधान’ की मांग करता है. माने फिलिस्तीन और इजरायल शांति के साथ दो स्वतंत्र और संप्रभु देश के तौर पर रहें. लेकिन इसमें हमास की भागीदारी नहीं है, जो मौजूदा समय में गाजा पट्टी को कंट्रोल करता है.
इस डिक्लेरेशन को आधिकारिक तौर पर 'फिलिस्तीन के प्रश्न के शांतिपूर्ण समाधान और दो-राज्य समाधान के कार्यान्वयन पर न्यूयॉर्क घोषणा' कहा जाता है. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सात पेज का यह डिक्लेरेशन जुलाई में संयुक्त राष्ट्र में दशकों पुराने संघर्ष पर आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का परिणाम है. इसे सऊदी अरब और फ्रांस ने होस्ट किया था. वहीं, अमेरिका और इजरायल ने इस आयोजन का बहिष्कार किया था.
193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा में लाए गए प्रस्ताव में 7 अक्टूबर, 2023 को इजरायल पर हमास के हमलों की निंदा की गई, जिसने गाजा में युद्ध को जन्म दिया. यह प्रस्ताव गाजा में लोगों और नागरिक बुनियादी ढांचे पर किए गए इजरायली हमलों, घेराबंदी और भुखमरी की भी निंदा करता है, जिसकी वजह से विनाशकारी मानवीय संकट पैदा हुआ.
इजरायल लंबे समय से संयुक्त राष्ट्र पर 7 अक्टूबर के हमलों के लिए हमास की नाम से निंदा ना करने का आरोप लगाता रहा है. उसने इस डिक्लेरेशन को एकतरफा बताते हुए वोट को 'नौटंकी' करार दिया. इजरायल के संयुक्त राष्ट्र राजदूत डैनी डैनन ने कहा,
“इकलौता लाभार्थी हमास है... जब आतंकवादी खुशी मना रहे होते हैं, तो आप शांति को बढ़ावा नहीं दे रहे होते, बल्कि आप आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे होते हैं.”
इस प्रस्ताव का सभी खाड़ी अरब देशों ने समर्थन किया. इजरायल और संयुक्त राज्य अमेरिका ने इसका विरोध किया. साथ ही अर्जेंटीना, हंगरी, माइक्रोनेशिया, नौरू, पलाऊ, पापुआ न्यू गिनी, पराग्वे और टोंगा ने भी इसका विरोध किया.
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