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भारत के '80 करोड़ गरीबों' पर UNGA अध्यक्ष ने जो कहा, केंद्र सरकार झूम उठेगी

संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस ने कहा कि भारत के गांवों में किसानों का पहले बैंकिंग सिस्टम से कोई लेना-देना नहीं था, लेकिन अब वे अपने सारे काम स्मार्टफोन से कर रहे हैं.

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UNGA president on India Digital mission
संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस. (फोटो- X/@IndiainItaly)
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2 अगस्त 2024 (Updated: 2 अगस्त 2024, 08:20 PM IST)
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संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस ने भारत के डिजिटल अभियान की तारीफ की है. उन्होंने दावा किया है कि भारत ने पिछले 5-6 सालों में "सिर्फ स्मार्टफोन के इस्तेमाल" से 80 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है. फ्रांसिस ने कहा कि भारत के गांवों में किसानों का पहले बैंकिंग सिस्टम से कोई लेना-देना नहीं था, लेकिन अब वे अपने सारे काम स्मार्टफोन से कर रहे हैं. फ्रांसिस, संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र में 'मौजूदा और भावी पीढ़ियों के लिए भूख को खत्म करने की दिशा में काम' विषय पर बोल रहे थे.

इसी कार्यक्रम के दौरान उन्होंने डिजिटल अभियान के जरिये विकास किए जाने पर जोर दिया. संयुक्त राष्ट्र के राजनयिकों, अधिकारियों और पॉलिसी एक्सपर्ट के बीच उन्होंने कहा, 

"डिजिटलीकरण से किसी देश का विकास तेज होता है. भारत का उदाहरण लीजिए. भारत ने पिछले 5-6 सालों में स्मार्टफोन के इस्तेमाल से 80 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है. भारत में इंटरनेट काफी हद तक हर जगह पहुंच गया है. और लगभगर सभी व्यक्ति के पास फोन है."

UNGA अध्यक्ष ने इसी कार्यक्रम में बताया कि 'ग्लोबल साउथ' के कई हिस्सों में ऐसी स्थिति नहीं है. उन्होंने कहा कि ग्लोबल साउथ के देशों में डिजिटल क्रांति के लिए कदम उठाने की जरूरत है.

इकनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2009 में सिर्फ 17 परसेंट भारतीय व्यस्कों के पास बैंक अकाउंट थे और 15 परसेंट लोग डिजिटल पेमेंट करते थे. 25 में से एक व्यक्ति के पास यूनिक आईडी थी और करीब 37 परसेंट के पास मोबाइल फोन थे.

यही रिपोर्ट बताती है कि अब 93 परसेंट लोग मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर रहे हैं. एक अरब से ज्यादा लोगों के पास डिजिटल आईडी डॉक्यूमेंट है और 80 परसेंट से ज्यादा लोगों के पास बैंक अकाउंट है. 2022 का आंकड़ा कहता है कि भारत में हर महीने 600 करोड़ डिजिटल ट्रांजैक्शन होते हैं.

ये भी पढ़ें- 'देश में मात्र 5% ग़रीब हैं', नीति आयोग के CEO के बयान का सच क्या है?

एक और सवाल का जवाब देते हुए डेनिस फ्रांसिस ने अंतरराष्ट्रीय वित्तीय ढांचे को बदलने पर जोर दिया. कहा कि ये व्यवस्था 80 साल पहले बनाई गई थी, तब दुनिया बिल्कुल अलग थी और तब विकास का पैमाना बहुत अलग था.

वीडियो: गरीबी का नया पैमाना, कैसे नापी जाती है गरीबी?

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