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उज्जैन प्रशासन पर आरोप, भाजयुमो की रैली में सांप्रदायिक हिंसा के बाद चुनकर तोड़े अवैध मकान

क्या एक ही समुदाय के लोगों के खिलाफ़ दर्ज किया गया केस?

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2018 की भाजपा रैली की तस्वीर (सांकेतिक : Reuters)
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सिद्धांत मोहन
28 दिसंबर 2020 (Updated: 28 दिसंबर 2020, 12:42 PM IST) कॉमेंट्स
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मध्य प्रदेश का उज्जैन. यहां भाजपा के युवा संगठन भारतीय जनता युवा मोर्चा की एक रैली हुई. रैली एक मुस्लिम बहुल मोहल्ले से गुज़री. रैली के दौरान सांप्रदायिक हिंसा हुई. इस हिंसा में मोहल्ले के ही चार लोगों पर एमपी पुलिस ने राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून यानी रासुका लगा दिया. इसके अलावा तीन और लोगों पर पुलिस ने दंगा भड़काने और हत्या के प्रयास का मुक़दमा दर्ज किया है. पुलिस और प्रशासन पर भेदभाव के आरोप हैं, जबकि पुलिस इन आरोपों से इनकार कर रही है. घटना 25 दिसंबर की है. इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के मुताबिक़, 60 बाइक सवार और भाजयुमो के 300 कार्यकर्ता उज्जैन के बेगम बाग़ इलाक़े से गुज़र रहे थे. पुलिस के मुताबिक़, रैली निकाल रहे लोग नारे लगा रहे थे. ख़बरों के मुताबिक़, इसके बाद पत्थरबाज़ी शुरू हो गयी, जिससे भगदड़ जैसी स्थिति पैदा हो गयी. इस पूरी घटना में 11 लोग घायल हो गए, जिनमें से एक व्यक्ति की हालत गम्भीर बतायी जा रही है. कई वाहनों के क्षतिग्रस्त होने की भी ख़बरें आ रही हैं. लेकिन बेगम बाग़ इलाक़े में रहने वाले लोग अलग कहानी बताते हैं. कहते हैं कि उस दिन रैली कई मौक़ों पर इस इलाक़े से गुज़री. और रैली में शामिल लोग बस नारे नहीं लगा रहे थे, बल्कि गालियां भी दे रहे थे. उज्जैन के शहर-ए-क़ाज़ी ख़लीक़ुर रहमान ने एक्सप्रेस से बातचीत में कहा,
“जब बेगम बाग़ से रैली निकल रही थी, तो वो लोग बस नारे नहीं लगा रहे थे बल्कि चिल्ला-चिल्लाकर गालियां दे रहे थे. इस बात से कुछ लोग ग़ुस्सा गए. फिर दोनों तरफ़ से पत्थरबाज़ी होने लगी. यहां के निवासियों के घर, क्लीनिक और कई लोगों की गाड़ियां क्षतिग्रस्त हो गयीं.”
फ़साद के एक दिन बाद यानी 26 दिसम्बर को नगर प्रशासन ने इसी इलाक़े में कथित रूप से अवैध निर्माणों को गिराने की कार्रवाई शुरू कर दी. एक घर को पूरी तरह से गिरा दिया गया, जबकि दूसरे घर को क्षतिग्रस्त करके छोड़ दिया गया. साथ ही अधिकारियों पर ये भी आरोप है कि इसमें धार्मिक भेदभाव किया. बेगम बाग़ के रहवासी मोहम्मद अय्यूब ने कहा है,
“पत्थरबाज़ी के वीडियो के आधार पर अधिकारी एक घर को गिराने आए, जिस पर से एक महिला पत्थर फेंकते हुए दिख रही थी. उन्हें पता चला कि वो घर हिन्दू का है, तो उन्होंने वो घर छोड़ दिया. और उससे सटा हुआ दूसरा मकान गिरा दिया.”
पुलिस पर ये भी आरोप है कि भाजयुमो की रैली में शामिल लोगों पर कार्रवाई नहीं की गयी. ख़लीक़ुर रहमान दावा करते हैं कि उन्होंने पुलिस को सबूत भी दिए, फिर भी रैली में शामिल लोगों के खिलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की गयी. बस बेगम बाग़ में रहने वाले लोगों के खिलाफ़ कार्रवाई की गयी और अयाज़ मोहम्मद, वसीम असलम, शदब अकरम और अल्तू असलम के खिलाफ़ रासुका के तहत केस दर्ज किया गया. इनके अलावा जिन तीन लोगों के खिलाफ़ धारा 307 (हत्या का प्रयास), 147 (दंगा फैलाना), 323 (चोट पहुंचाना) और 423 (झूठा बयान देना) के तहत मुक़दमा दर्ज किया गया है, उनमें दो महिलाएं भी हैं. ख़बरों के मुताबिक़ एक महिला को हिरासत में ले लिया गया है, जबकि एक अभी भी फ़रार है. भाजयुमो का क्या कहना है? संगठन के ज़िला अध्यक्ष अभिलाष पांडेय ने कहा है कि भाजयुमो पर पहले भी हमले होते रहे हैं. उन्होंने कहा है,
“ये सातवीं बार है कि हमारी रैली पर हमला हुआ है. कार्यकर्ताओं पर पत्थर, पाइप, कूकर और गरम पानी से हमला किया गया और अपनी तरफ़ से की गयी कार्रवाई पर बोल दिया गया कि ऐसा हमने बचाव में किया था.”
पुलिस प्रशासन ने क्या कहा? मकान गिराने वाले आरोपों पर उज्जैन के कलेक्टर से बात करने की कोशिश की गयी. कोई जवाब नहीं मिला. लेकिन उज्जैन के एसपी सत्येंद्र कुमार शुक्ला ने कहा है कि दोनों पक्षों की ओर से FIR दर्ज की गयी है. वीडियो के आधार सबूत जुटाए जा रहे हैं और लोगों की शिनाख्त की जा रही है. उन्होंने कहा,
“बेगम बाग़ साम्प्रदायिक रूप से संवेदनशील इलाक़ा है. जिनके खिलाफ़ रासुका में मुक़दमा दर्ज किया गया है, उनके पहले से ही क्रिमिनल रिकार्ड मौजूद हैं. एक FIR में सात लोग नामज़द हैं, और दूसरी FIR अज्ञात लोगों के खिलाफ़ है जबकि तीसरी FIR में रैली में से एक व्यक्ति की शिनाख्त की जा चुकी है”

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