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तुर्की भूकंप: अदाना छोड़कर जा रहे थे प्रोफेसर पति-पत्नी, तभी देखा भारतीय सेना आ गई, फिर...

फुरकान और मल्लिका इस्तान्बुल यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं.

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फुरकान और मल्लिका. (फोटो: इंडिया टुडे.)
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आर्यन मिश्रा
10 फ़रवरी 2023 (Updated: 10 फ़रवरी 2023, 02:40 PM IST) कॉमेंट्स
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भूकंप से बुरी तरह प्रभावित तुर्की के लिए राहत और बचाव कार्य में भारतीय सेना (Indian Army) बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. उसका काम देख तुर्की के दो प्रोफेसरों ने भी अदाना में ही रहकर राहत कार्य जारी रखने का फैसला किया. अदाना तुर्की का सबसे ज्यादा भूकंप प्रभावित इलाका है. दोनों प्रोफेसरों ने वहीं रुक कर भारतीय सेना के डॉक्टरों की मदद करने का फैसला किया है. भारत के डॉक्टर तुर्की की स्थानीय भाषा नहीं जानते, ये दोनों इस काम में उनकी मदद करेंगे. भारत तुर्की के लिए ‘ऑपरेशन दोस्त’ चला रहा है.

क्यों रुक गया कपल?

ये दोनों प्रोफेसर फुरकान और मल्लिका तुर्की की इस्तान्बुल यूनिवर्सिटी में पढ़ाते हैं. फुरकान प्रोफेसर हैं और मल्लिका असिस्टेंट प्रोफेसर हैं. दोनों पति-पत्नी हैं. कुछ दिन अदाना में भूकंप पीड़ितों की मदद करने के बाद फुरकान और मल्लिका वापस इस्तान्बुल जा रहे थे. लेकिन उससे पहले भारतीय सेना अपनी मेडिकल टीम के साथ अदाना पहुंचती हैं. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक फुरकान और मल्लिका ने बताया कि भारत से आई इस राहत से वे बहुत खुश हुए. उन्होंने फैसला किया कि अभी इस्तान्बुल नहीं जाएंगे. अदाना में ही रुकेंगे और भारतीय सेना और डॉक्टरों की मदद करेंगे.

फुरकान ने बताया कि वो और उनकी पत्नी इंटरप्रेटर बनकर भारतीय सेना की मदद करेंगे. मतलब अदाना के लोगों की बात को भारतीय डॉक्टरों को बताएंगे और डॉक्टरों की बात स्थानीय लोगों को समझाएंगे. इससे राहत के काम में सेना और डॉक्टरों काफी मदद मिलेगी. फुरकान और मल्लिका ने बताया कि उन्होंने भारत से आई टीम के साथ काम करना शुरू भी कर दिया है और वे इससे काफी खुश हैं.

NDRF दस्ते के साथ तुर्की भैजे गाए रेस्क्यू डॉग(फोटो: इंडिया टुडे)

तुर्की-सीरिया में सोमवार को एक के बाद एक तीन भूकंप आए थे. भूकंप का केंद्र तुर्की-सीरिया बॉर्डर के पास था जिसके चलते दोनों देश इससे प्रभावित हुए. भूकंप के चलते वहां भीषण तबाही मची. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अभी तक मौतों का आंकड़ा 21 हजार के पार पहु्ंच चुका है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ये आशंका पहले ही जता दी थी. अभी भी मलबों से लाशें निकलने का सिलसिला जारी है. 

ऐसे में तबाही से जूझ रहे तुर्की और सीरिया के लिए दुनियाभर से कई देशों ने मदद का हाथ बढ़ाया है. उन्होंने वहां मदद के लिए अपनी सेनाएं भेजी हैं, जो दिन-रात राहत और बचाव कार्य में लगी हैं. भारत ने भी मदद के लिए अपनी सेना के साथ NDRF की टीमें भेजी हैं. NDRF की टीम अपने साथ चार रेस्क्यू डॉग भी ले गए हैं. साथ ही 6सी- 17 ग्लोबमास्टर सैन्य ट्रांसपोर्ट विमान में टनों राहत सामग्री के साथ एक मोबाइल अस्पताल भी भेजा है.

 

वीडियो: तुर्की और सीरिया में आए भूकंप के बीच से आईं इन 6 कहानियों को सुनकर दिल पिघल जाएगा

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