सड़कों पर लाशें, लूट और आगजनी... सीरिया में 2 दिन के भीतर 1000 से ज्यादा मौतें, निशाने पर अल्पसंख्यक
Clashes in Syria: मिडिल ईस्ट का ये देश दशकों से अशांत है. लेकिन 2024 के अंत में सीरिया में जो बदलाव हुए, उससे एक नए दौर की शुरुआत हुई. बशर अल असद लंबे समय से देश के राष्ट्रपति थे. समय के साथ उनके शासन के खिलाफ अंसतोष बढ़ता गया.

सीरिया में पिछले दो दिनों में जितनी हिंसा (Syria Violence) हुई है, शायद ही इस देश के इतिहास में कभी ऐसा हुआ हो. 14 साल पहले शुरू हुए संघर्ष के बाद से, ये अब तक के सबसे हिंसक घटनाक्रमों में से एक है. दो दिनों में 1,000 से अधिक लोगों की जान चली गई है. ब्रिटिश संगठन 'सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स' ने बताया है कि मरने वालों में 745 आम नागरिक हैं. इन्हें बिल्कुल करीब से गोली मारी गई है. 12 सरकारी सुरक्षाकर्मी और सत्ता से बेदखल किए जा चुके बशर अल असद के 148 समर्थक भी मारे गए हैं. लताकिया शहर के आसपास के बड़े इलाकों में बिजली और पीने के पानी तक की सुविधा नहीं पहुंच पा रही है. सीरिया में ऐसे हालात पैदा कैसे हुए?
Syria में क्यों हो रही है हिंसा?मिडिल ईस्ट का ये देश दशकों से अशांत है. लेकिन 2024 के अंत में सीरिया में जो बदलाव हुए, उससे एक नए दौर की शुरुआत हुई. बशर अल असद लंबे समय से देश के राष्ट्रपति थे. समय के साथ उनके शासन के खिलाफ अंसतोष बढ़ता गया. 2023 में आर्थिक संकट, भ्रष्टाचार और नागरिक स्वतंत्रता के दमन की खबरें आईं. नतीजतन देश में विद्रोह की लहर तेज हो गई.
असद की सरकार ने सालों तक रूस और ईरान के समर्थन से सत्ता बनाए रखी थी. जबकि विद्रोही गुटों और इस्लामिक स्टेट (ISIS) जैसी ताकतों ने अलग-अलग क्षेत्रों पर कब्जा जमा रखा था. लेकिन 2024 में सत्ता संतुलन बदलने लगा. विद्रोही गठबंधन और असद विरोधी समूहों ने उत्तरी और मध्य सीरिया में बड़े पैमाने पर हमले किए. असद की सरकार पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगाए गए थे, जिसके कारण वो आर्थिक संकट में थे. लिहाजा उनकी सेना कमजोर पड़ने लगी.
अक्टूबर 2024 में राजधानी दमिश्क में हुई भारी लड़ाई के बाद, असद को अपना देश छोड़कर रूस भागना पड़ा. इसके बाद, एक अस्थायी सरकार बनी, और मोहम्मद अल-बशीर को अंतरिम राष्ट्रपति नियुक्त किया गया. बशीर, पहले विपक्षी नेता और सैन्य कमांडर रह चुके थे. जनवरी 2025 में चुनाव हुए, जिसमें मोहम्मद अल-बशीर को आधिकारिक रूप से राष्ट्रपति घोषित किया गया.
इसके बाद से सीरिया के सुरक्षाबलों और बशर अल असद के समर्थकों के बीच टकराव हो रहे हैं. मोहम्मद अल-बशीर को असद समर्थकों के अलावा कई अन्य गुटों से भी हिंसा और विरोध का सामना करना पड़ रहा है. इसके कारण देश में शांति स्थापित करना कठिन हो गया है.
निशाने पर अलावी समुदायरिपोर्ट्स के मुताबिक, 6 मार्च को राजधानी में फिर से बड़े स्तर झड़पें हुईं. इसके बाद बदले की भावना से हत्याएं की गईं. नई सरकार पर सवाल उठे तो उसका जवाब आया. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार पूर्व राष्ट्रपति असद की सेना के बचे हुए लोगों के हमलों का जवाब दे रही थी.
सरकार के प्रति वफादार सुन्नी मुस्लिम बंदूकधारियों ने 7 मार्च को अलावी समुदाय को निशाना बनाया. असद को इस अल्पसंख्यक समुदाय का समर्थन है. अलावी गांवों और कस्बों के लोगों ने न्यूज एजेंसी AP से बात की. उन्होंने बताया कि अलावी लोग जब सड़कों पर थे या अपने घरों के गेट पर थे, तभी बंदूधारियों ने उनको गोली मार दी. मरने वालों में अधिकतर पुरुष थे. इसके अलावा अलग-अलग इलाकों के अलावी लोगों के घर लूट लिए गए और उनमें आग लगा दी गई.
इन लोगों ने अपनी सुरक्षा के मद्देनजर एजेंसी से कहा कि उनकी पहचान छिपा कर रखी जाए. उन्होंने बताया कि जान बचाने के लिए हजारों लोग पहाड़ों पर भाग गए हैं.
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सड़कों पर बिखरे शवबनियास कस्बे में भी बड़े पैमाने पर हिंसा हुई. वहां रहने वाले लोगों ने बताया कि सड़कों पर शव बिखड़े पड़े थे. लोगों की घरों और बिल्डिंग्स की छतों पर शव ऐसे ही पड़े थे. क्योंकि किसी में भी उन्हें हटाने की हिम्मत नहीं थी. एक स्थानीय व्यक्ति ने कहा कि बंदूकधारियों ने 7 मार्च को उनके पांच पड़ोसियों को मार डाला. और फिर घंटों तक शव नहीं हटाने दिए.
बनियास के रहने वाले 57 साल के अली सोहा, हिंसा भड़कने के कुछ घंटों बाद अपने परिवार और पड़ोसियों के साथ भाग गए थे. उन्होंने कहा कि उनके इलाके में जहां अलावी लोग रहते थे, वहां उनके कम से कम 20 पड़ोसी और कोवर्कर्स मारे गए. कुछ को उनकी दुकानों में मार दिया गया तो कुछ को अपने घरों में.
उन्होंने कहा कि बंदूकधारी असद सरकार के अपराधों का बदला अलावी अल्पसंख्यकों की हत्या से ले रहे हैं. दूसरे निवासियों ने कहा कि बंदूकधारियों में विदेशी लड़ाके और पड़ोसी गांवों और कस्बों के आतंकवादी भी शामिल थे. सोहा ने शहर से लगभग 20 किलोमीटर दूर से फोन पर AP से बात की. उन्होंने दिल दहला देने वाली बातें बताईं,
ये सब बहुत बुरा था. सड़कों पर लाशें थीं. बंदूकधारी मेरे अपार्टमेंट से 100 मीटर से भी कम की दूरी पर जमा हुए थे. लोगों के घरों पर अंधाधुंध गोलीबारी कर रहे थे. उन्होंने कुछ घरों को लूट लिया, फिर उनमें आग लगा दी और कारों को चुरा लिया.
दूसरी तरफ इस हिंसा में सरकारी सुरक्षाकर्मियों की भी जान गई है. 8 मार्च की दोपहर को उत्तर-पश्चिमी गांव अल-जनौदिया में सुरक्षाबल के चार सदस्यों का अंतिम संस्कार किया गया. अंतिम संस्कार में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए.
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