सनी देओल सांसद चुने गए और 'काले कांवा' की तरह उड़ गए!
गुरदासपुर में एक स्क्रीनराइटर को उन्होंने अपना प्रतिनिधि नियुक्त किया है.
Advertisement

सनी देओल के इस स्टेप की वजह से कांग्रेस को मौक़ा मिल गया है.
लेकिन चुनाव परिणामों के एकाध महीने बाद ही सनी देओल ने एक नया बवाल खड़ा कर दिया है. सनी देओल का एक आधिकारिक पत्र सामने आया है. 26 जून को जारी इस पत्र में सनी देओल ने गुरप्रीत सिंह पल्हेरी को अपने लोकसभा क्षेत्र गुरदासपुर में अपना प्रतिनिधि घोषित किया है. सनी देओल ने कहा है कि मोहाली, पंजाब के रहने वाले सुपिंदर सिंह के बेटे गुरप्रीत सिंह पल्हेरी को वे अपने लोकसभा क्षेत्र में ज़रूरी मीटिंग और मसलों के लिए अपना प्रतिनिधि नियुक्त कर रहे हैं.

सनी देओल का पत्र.
सनी देओल के इस कदम के बाद बहुत हल्ला हो रहा है. विपक्ष ने सनी देओल पर हमला किया है कि सनी देओल जनादेश का अपमान कर रहे हैं. पंजाब के कैबिनेट मिनिस्टर सुखजिंदर सिंह रंधावा ने 'इन्डियन एक्सप्रेस' से बातचीत में कहा है,
"अपना प्रतिनिधि नियुक्त करके सनी देओल ने गुरदासपुर के लोगों को धोखा दिया है. कोई सांसद कैसे अपना प्रतिनिधि नियुक्त कर सकता है? वोटरों ने सनी देओल को अपना सांसद चुना है. उनके प्रतिनिधि को नहीं."इस मामले पर सफाई देते हुए सनी देओल ने ट्विटर पर लिखा है कि इस मामले पर बिना किसी बात के बवाल हो रहा है. उन्होंने कहा है,
"मैंने अपने पीए को अपने ऑफिस का प्रतिनिधित्व करने के लिए गुरदासपुर में नियुक्त किया है. ये नियुक्ति इसलिए की गयी है ताकि मेरी गैर-मौजूदगी में भी मेरे संसदीय क्षेत्र का काम सुचारु रूप से चलता रहे. मेरा मकसद है कि कोई भी काम बिना रुके या बिना धीमा पड़े चलता रहे और मुझे भी अपडेट मिलता रहे."
— Sunny Deol (@iamsunnydeol) July 2, 2019सनी देओल ने आगे कहा है,
"हमारे साथ हमारी पार्टी का पूरा नेतृत्त्व है, जो मेरे लोकसभा क्षेत्र में होने वाले काम का जायजा लेता रहेगा."कौन हैं गुरप्रीत सिंह पल्हेरी?
राजनीतिक आदमी नहीं हैं. फिल्म से जुड़े हैं. पटकथा लेखक हैं. कई कई हिंदी और पंजाबी फिल्मों के लाइन प्रोड्यूसर रह चुके हैं. खबरें हैं कि गुरप्रीत सिंह पल्हेरी सनी देओल के करीबी हैं. शाहरुख़ खान और प्रीती जिंटा की फिल्म "वीर-ज़ारा" की टीम का हिस्सा थे. उन्होंने सनी देओल के साथ फिल्म "यमला पगला दीवाना" और "घायल वन्स अगेन" जैसी फिल्मों में बतौर लाइन प्रोड्यूसर काम किया है. खबरों के मुताबिक़ पंजाबी फिल्म अरदास और सज्जन सिंह रंगरूट जैसी पंजाबी फिल्मों में भी काम किया है.

चुनाव प्रचार में बाड़मेर में रोड शो के दौरान सनी देओल और कैलाश चौधरी.
गुरदासपुर लोकसभा सीट से सबसे विनोद खन्ना जीतकर संसद पहुंचे थे. विपक्ष विनोद खन्ना का सहारा लेकर कहता है कि वे जब सांसद थे तब तो उन्होंने अपना कोई प्रतिनिधि नहीं रखा था, सनी देओल को ऐसी क्यों ज़रुरत पड़ी है?
क्या ये इतनी बड़ी बात है?
है भी और नहीं भी. रवि किशन, मनोज तिवारी, नुसरत जहां, किरण खेर, स्मृति ईरानी और मिमी चक्रबर्ती जैसी फ़िल्मी हस्तियां संसद पहुंची हैं. इन सभी हस्तियों को अभी तक किसी प्रतिनिधि की ज़रूरत नहीं पड़ी. इसके पहले भी, विनोद खन्ना से ही लेकर चलें, फ़िल्मी हस्तियों ने प्रतिनिधि नहीं बिठाया. ऐसे में सनी देओल का यह कदम प्रश्नों के घेरे में आ जाता है.

चुनाव प्रचार के दौरान रोड शो में सनी देओल.
और नहीं क्यों? क्योंकि एक सांसद का काम इतना छोटा होता नहीं, जितना समझा जाता है. एक लोकसभा क्षेत्र एक बड़े क्षेत्रफल में फैला होता है, और इन लोकसभा क्षेत्रों में काम भी बड़ा फैला होता है. कई कर्मठ सांसदों को भी काम पूरा करने में बहुत समय लग जाता है. प्रतिनिधि की मदद से सांसद कई मोर्चों पर एक साथ काम करने की कोशिश करते हैं. कई मामलों में तो ऐसा भी देखा गया है सांसद का असल काम प्रतिनिधि ही करते हैं, लेकिन बस वहां एक आधिकारिक पत्र नहीं होता है. लेकिन सनी देओल के मामले में पत्र तो सामने ही है. शायद इसीलिए इस बात पर बवाल हो रहा है.
लल्लनटॉप वीडियो : क्या हिंदू से शादी पर नुसरत जहां के खिलाफ फतवा जारी हुआ?