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यूपी में छात्र क्यों कह रहे ‘योगी जी न्याय करो…केशव चाचा न्याय करो’?

ये मामला उत्तर प्रदेश में 69 हज़ार शिक्षक भर्ती से जुड़ा हुआ है. अभ्यर्थियों ने पहले डिप्टी CM के आवास को घेरा, फिर अपना दल की प्रमुख अनुप्रिया पटेल को घेरा.

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उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और अपना दल की प्रमुख अनुप्रिया पटेल (फ़ोटो - एजेंसी)
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सोम शेखर
3 सितंबर 2024 (Published: 07:19 PM IST) कॉमेंट्स
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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भारी विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं. मुद्दा है, शिक्षक भर्ती. प्रक्रिया में देरी और अनियमितताओं को लेकर अभ्यर्थी लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं. मंगलवार, 3 सितंबर को केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के लखनऊ स्थित पार्टी कार्यालय के सामने धरना दिया गया. इस दौरान कुछ प्रदर्शनकारी महिलाओं की तबीयत भी बिगड़ गई. उन्हें अस्पताल ले जाया गया.

इससे पहले सोमवार, 2 सितंबर को ख़बर आई थी कि प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री के आवास का घेराव किया गया. लगातार नारेबाज़ी की गई, ‘योगी जी न्याय करो…केशव चाचा न्याय करो’. प्रदर्शन के मद्देनज़र बड़ी संख्या में पुलिस की तैनाती थी. प्रदर्शनकारियों को डिप्टी CM के आवास से पहले ही रोक दिया गया. इससे वो आक्रोशित हो गए. उनके और पुलिस के बीच झड़प हुई. लाठी चार्ज किया गया, कइयों को हिरासत में लिया गया.

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वो बीते चार सालों से प्रदर्शन कर रहे हैं. मगर सरकार उनकी मांगों को अनदेखा कर रही है.

क्या है मांग?

दिसंबर, 2018 में उत्तर प्रदेश सरकार ने 69 हज़ार सहायक शिक्षकों की भर्ती लिए नोटिफ़िकेशन जारी किया था. इम्तिहान लिया 2019 की जनवरी में. अनारक्षित कैटगरी के लिए कट-ऑफ़ 67.11 फ़ीसदी था, OBC के लिए 66.73 फ़ीसदी और अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए 61.01 फ़ीसदी. भर्ती में 4 लाख 31 हज़ार उम्मीदवारों ने अप्लाई किया था. इनमें से क़रीब 1 लाख 46 हज़ार सफल हुए. मगर मेरिट लिस्ट आई, तो विवाद भी साथ-साथ आ गया.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़, लगभग 19 हज़ार अभ्यर्थियों को कट-ऑफ़ से 65 प्रतिशत नंबर आए थे. क़ायदे से इन अभ्यर्थियों को सामान्य कैटेगरी में शामिल किया जाना चाहिए था. बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 के मुताबिक़, अगर OBC वर्ग का कोई अभ्यर्थी अनारक्षित श्रेणी के कट-ऑफ़ से ज़्यादा नंबर पाता है, तो उसे OBC कोटे से नहीं, बल्कि अनारक्षित श्रेणी में नौकरी मिलेगी. माने वो आरक्षण के दायरे में नहीं गिना जाएगा. मगर इस केस में ऐसा नहीं हुआ. इनकी नियुक्ति प्रक्रिया आरक्षित कोटे में ही पूरी कर दी गई थी. आंदोलनरत अभ्यर्थियों का दावा था कि 69 हजार शिक्षक भर्तियों में OBC वर्ग को 27% की जगह मात्र 3.86% आरक्षण मिला है. सो आरक्षण के नियमों के उल्लंघन के ख़िलाफ़ छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किए.

अक्टूबर 2020 से कई बार विरोध प्रदर्शन हुए. कई बार पुलिस के साथ झड़प की घटनाएं रिपोर्ट की गईं. 2021 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लखनऊ में प्रदर्शनकारी छात्रों के एक प्रतिनिधिमंडल से मिले भी, और बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों को त्वरित और निष्पक्ष समाधान खोजने का निर्देश दिया.

ये भी पढ़ें - ‘पिछले 7 साल में कोई पेपर लीक नहीं’, क्या शिक्षा मंत्री ने लोकसभा में झूठ बोला?

फिर अभ्यर्थियों ने हाई कोर्ट का दरवाज़ा क्यों खटखटाया? लिस्ट के साथ और बाद कई याचिकाएं दायर की गईं. श्रेणीवार ब्यौरा घोषित किए बिना लिस्ट जारी करने के ख़िलाफ़, अनुपातहीन प्रतिनिधित्व के ख़िलाफ़, आरक्षित अभ्यर्थियों को सामान्य श्रेणी के बजाय आरक्षित श्रेणी में रखने के ख़िलाफ़.

जनवरी, 2024 में एक प्रदर्शनकारी ने आजतक को बताया था कि लिस्ट में ‘आरक्षण का घोटाला’ किया गया. उसके मुताबिक,

“आरक्षित वर्गों के जिन अभ्यर्थियों का चयन अनारक्षित पदों पर होना था, उनको जबरन आरक्षित कोटे में डाल दिया गया. इससे हमारे जैसे अभ्यर्थी - जो अपने कोटे में चयन पाते - प्रक्रिया से ही बाहर हो गए. 69 हज़ार का 27% मतलब 18,598 सीटें. इतनी सीटें आरक्षित वर्ग की बनती थीं. लेकिन इसकी 6,800 सीटों पर उनकी भर्ती हुई, जिनका चयन अनारक्षित पदों में होना था.”

उच्च अदालत में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कई हलफ़नामे दायर किए. बाद में एक प्रेस विज्ञप्ति में सरकार ने क़ुबूला कि इस केस में आरक्षण अधिनियम, 1994 का ठीक से पालन नहीं किया गया है. इसलिए उन्होंने 5 जनवरी, 2022 को एक नई लिस्ट जारी की. इसमें आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों में से 6,800 और नियुक्तियां की गईं. लेकिन 13 मार्च, 2023 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने चयनित अभ्यर्थियों की पिछली सूचियों को ख़ारिज कर दिया. छात्र हाई कोर्ट के आदेश के ख़िलाफ़ फिर से इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुंच गए.

इसके बाद इस केस में 16 अगस्त, 2024 को एक बड़ा फ़ैसला आया. कोर्ट ने पुरानी सारी लिस्ट्स को रद्द कर दिया और बोर्ड को निर्देश दिए कि नई मेरिट लिस्ट जारी करें. बेसिक शिक्षा विभाग को अब तीन महीने में सेलेक्टेड अभ्यर्थियों की नई लिस्ट जारी करनी होगी. हालांकि, पिछली सूचियों के आधार पर नियुक्त किए गए सहायक शिक्षकों पर इस फ़ैसले का कोई असर नहीं पड़ेगा.

अब प्रदर्शन कर रहे लोगों का कंसर्न है कि मुमकिन है नई मेरिट लिस्ट में हज़ारों टीचर बाहर हो जाएं. इसी को लेकर प्रदर्शन हो रहे हैं. उनकी तीन प्रमुख मांगें हैं: उच्च अदालत के आदेश का पालन हो, नियुक्तियों के लिए नई मेरिट लिस्ट जल्द से जल्द जारी हो और पिछली लिस्ट में जो ‘घपला’ हुआ था, उसके ज़िम्मेदारों पर कार्रवाई हो.

ये भी पढ़ें - लेटरल एंट्री से भर्ती में आरक्षण नहीं, पूरा विवाद क्या है?

चूंकि बात OBC उम्मीदवारों के आरक्षण की है, इसलिए ये मुद्दा योगी आदित्यनाथ सरकार के लिए संवेदनशील है. यूपी की आबादी में OBC की हिस्सेदारी क़रीब 50 फ़ीसदी है. ग़ालिबन इसलिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार, 18 अगस्त को कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार का दृढ़ विश्वास है कि आरक्षण का लाभ आरक्षित वर्ग के सभी उम्मीदवारों को मिलना चाहिए. छात्रों को आश्वासित किया कि किसी भी उम्मीदवार के साथ अन्याय नहीं होगा.

हालांकि, दूसरी तरफ़ समाजवादी पार्टी ने इसे योगी सरकार की विफलता बताया. सपा अध्यक्ष और कन्नौज से सांसद अखिलेश यादव ने कहा कि ये भर्ती भाजपा के घोटाले, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार का शिकार हो गई है.

वीडियो: उत्तर प्रदेश की 69,000 सहायक शिक्षकों की भर्ती रद्द, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दिया नए सिरे से परिणाम जारी करने का आदेश

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